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अच्छी खबर: नंदादेवी नेशनल पार्क में दिखाई दिया दुर्लभ हिम तेंदुआ, खुशी से झूमे अधिकारी

वाइल्ड लाइफ से जुड़ी एक अच्छी खबर जोशीमठ के नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क से सामने आई है. यहां कैमरे में हिम तेंदुए की तस्वीर कैद हुई है, जो इसी वर्ष 2 फरवरी की बताई जा रही है. स्नो लेपर्ड दुनिया की दुर्लभ प्रजातियों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. यह 10 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर पाया जाता है.

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नंदादेवी नेशनल पार्क में दिखाई दिया दुर्लभ हिम तेंदुए
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Published : Mar 4, 2022, 1:27 PM IST

चमोली: वाइल्ड लाइफ से जुड़ी एक अच्छी खबर जोशीमठ के नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क से सामने आई है. यहां नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान द्वारा जोशीमठ रेंज में अलग-अलग जगहों पर 9 ट्रैप कैमरे लगाए गए थे. इनमें से एक कैमरे में एक हिम तेंदुए की तस्वीर कैद हुई है. तस्वीर इसी वर्ष 2 फरवरी की बताई जा रही है. हिम तेंदुए की तस्वीर कैमरे में कैद होने के बाद उसके इस क्षेत्र में होने की संभावनाओं को लेकर वन्यजीव प्रेमी और वन विभाग काफी उत्साहित है. बता दें कि पिछले सालों में भी स्नो लेपर्ड की तस्वीरें नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान से सामने आ चुकी हैं.

बता दें कि समुद्र तल से करीब 3000 से 5000 मीटर की ऊंचाई वाले इलाकों में हिम तेंदुओं के पाए जाने की संभावना बनी रहती है. पूर्व में भी वन विभाग को नंदादेवी राष्ट्रीय पार्क क्षेत्र में हिम तेंदुओं की मौजूदगी से जुड़े संकेत मिल चुके हैं. इस वर्ष भी नंदादेवी वन क्षेत्र में हिम तेदुओं की तस्वीरों के मिलने से पार्क प्रबंधन इसे लेकर आगे की खोज पर फोकस कर रहा है. वहीं नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के उप वन संरक्षक प्रेम बल्लभ शर्मा का कहना है कि पार्क के अनेक क्षेत्रों में लगाए गए ट्रैप कैमरों में हिम तेंदुए के साथ ही अन्य जीव जंतुओं जैसे हिमालयन थार, भरल, लाल लोमड़ी की तस्वीर भी कैद हुई है.

पढ़ें-उत्तराखंड में हिम तेंदुओं की गणना के लिए लगाए जाएंगे ट्रैप कैमरे, जानिए क्या है हिम तेंदुआ

प्रेम बल्लभ शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय पार्क वन्य जीव जंतुओं के संरक्षण के लिए प्रयास कर रहे हैं. वन्य जीवों की तस्करी पर रोक लगाने के लिए वन विभाग ने अनेक टीमें बनाई हैं, जो नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के अंतर्गत अनेक क्षेत्रों में पहुंचती हैं. भारी बर्फबारी के बाद भी लगातार वन विभाग का गश्ती दल राष्ट्रीय पार्क के अंतर्गत अनेक क्षेत्रों में गश्त कर रहा है.

दुर्लभ हिम तेंदुए का वास: स्नो लेपर्ड दुनिया की दुर्लभ प्रजातियों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. यह 10 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर पाया जाता है. हिम तेंदुआ बर्फीले क्षेत्र में निवास करने वाला स्लेटी और सफेद फर वाला विडाल कुल और पैंथर उप कुल का स्तनधारी वन्य जंतु है. यह तेंदुए की विश्व स्तर पर विलुप्त प्राय प्रजाति है. यह मध्य एशिया के बर्फीले पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाता है.

पढ़ें-गंगोत्री नेशनल पार्क में बढ़ी हिम तेंदुओं की संख्या, 'लंका' में दिखा स्नो लेपर्ड

रंग-रूप और आकार: हिम तेंदुए करीब 1.4 मीटर लंबे होते हैं और इनकी पूंछ करीब 90 से 100 सेंटीमीटर तक होती है. इनका भार 75 किलो तक हो सकता है. इनकी खाल पर स्लेटी और सफेद फर होते हैं और गहरे धब्बे होते हैं. इनकी पूंछ में धारियां बनीं होती हैं. इनके फर बहुत लंबे और मोटे होते हैं, जो इन्हें ऊंचे और ठंडे स्थानों पर भीषण सर्दी से बचा कर रखते हैं. इन तेंदुओं के पैर भी बड़े और ऊनी होते हैं. ताकि बर्फ पर चलना-फिरना सहज हो सके.

हिम तेंदुए रात्रि में होते हैं सक्रिय: ये बिल्ली-परिवार की एकमात्र प्रजाति है, जो दहाड़ नहीं सकती है, लेकिन गुर्रा (बिल्ली के जैसी आवाज) सकती है. हिम तेंदुए अधिकांशत: रात्रि में सक्रिय होते हैं. ये अकेले रहने वाले जीव हैं. लगभग 90 से 100 दिनों के गर्भाधान के बाद मादा 2 से 3 शावकों को जन्म देती है. यह बड़ी आकार की बिल्लियां हैं और लोग इनका शिकार इनके फर के लिए करते हैं.

चमोली: वाइल्ड लाइफ से जुड़ी एक अच्छी खबर जोशीमठ के नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क से सामने आई है. यहां नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान द्वारा जोशीमठ रेंज में अलग-अलग जगहों पर 9 ट्रैप कैमरे लगाए गए थे. इनमें से एक कैमरे में एक हिम तेंदुए की तस्वीर कैद हुई है. तस्वीर इसी वर्ष 2 फरवरी की बताई जा रही है. हिम तेंदुए की तस्वीर कैमरे में कैद होने के बाद उसके इस क्षेत्र में होने की संभावनाओं को लेकर वन्यजीव प्रेमी और वन विभाग काफी उत्साहित है. बता दें कि पिछले सालों में भी स्नो लेपर्ड की तस्वीरें नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान से सामने आ चुकी हैं.

बता दें कि समुद्र तल से करीब 3000 से 5000 मीटर की ऊंचाई वाले इलाकों में हिम तेंदुओं के पाए जाने की संभावना बनी रहती है. पूर्व में भी वन विभाग को नंदादेवी राष्ट्रीय पार्क क्षेत्र में हिम तेंदुओं की मौजूदगी से जुड़े संकेत मिल चुके हैं. इस वर्ष भी नंदादेवी वन क्षेत्र में हिम तेदुओं की तस्वीरों के मिलने से पार्क प्रबंधन इसे लेकर आगे की खोज पर फोकस कर रहा है. वहीं नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के उप वन संरक्षक प्रेम बल्लभ शर्मा का कहना है कि पार्क के अनेक क्षेत्रों में लगाए गए ट्रैप कैमरों में हिम तेंदुए के साथ ही अन्य जीव जंतुओं जैसे हिमालयन थार, भरल, लाल लोमड़ी की तस्वीर भी कैद हुई है.

पढ़ें-उत्तराखंड में हिम तेंदुओं की गणना के लिए लगाए जाएंगे ट्रैप कैमरे, जानिए क्या है हिम तेंदुआ

प्रेम बल्लभ शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय पार्क वन्य जीव जंतुओं के संरक्षण के लिए प्रयास कर रहे हैं. वन्य जीवों की तस्करी पर रोक लगाने के लिए वन विभाग ने अनेक टीमें बनाई हैं, जो नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के अंतर्गत अनेक क्षेत्रों में पहुंचती हैं. भारी बर्फबारी के बाद भी लगातार वन विभाग का गश्ती दल राष्ट्रीय पार्क के अंतर्गत अनेक क्षेत्रों में गश्त कर रहा है.

दुर्लभ हिम तेंदुए का वास: स्नो लेपर्ड दुनिया की दुर्लभ प्रजातियों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. यह 10 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर पाया जाता है. हिम तेंदुआ बर्फीले क्षेत्र में निवास करने वाला स्लेटी और सफेद फर वाला विडाल कुल और पैंथर उप कुल का स्तनधारी वन्य जंतु है. यह तेंदुए की विश्व स्तर पर विलुप्त प्राय प्रजाति है. यह मध्य एशिया के बर्फीले पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाता है.

पढ़ें-गंगोत्री नेशनल पार्क में बढ़ी हिम तेंदुओं की संख्या, 'लंका' में दिखा स्नो लेपर्ड

रंग-रूप और आकार: हिम तेंदुए करीब 1.4 मीटर लंबे होते हैं और इनकी पूंछ करीब 90 से 100 सेंटीमीटर तक होती है. इनका भार 75 किलो तक हो सकता है. इनकी खाल पर स्लेटी और सफेद फर होते हैं और गहरे धब्बे होते हैं. इनकी पूंछ में धारियां बनीं होती हैं. इनके फर बहुत लंबे और मोटे होते हैं, जो इन्हें ऊंचे और ठंडे स्थानों पर भीषण सर्दी से बचा कर रखते हैं. इन तेंदुओं के पैर भी बड़े और ऊनी होते हैं. ताकि बर्फ पर चलना-फिरना सहज हो सके.

हिम तेंदुए रात्रि में होते हैं सक्रिय: ये बिल्ली-परिवार की एकमात्र प्रजाति है, जो दहाड़ नहीं सकती है, लेकिन गुर्रा (बिल्ली के जैसी आवाज) सकती है. हिम तेंदुए अधिकांशत: रात्रि में सक्रिय होते हैं. ये अकेले रहने वाले जीव हैं. लगभग 90 से 100 दिनों के गर्भाधान के बाद मादा 2 से 3 शावकों को जन्म देती है. यह बड़ी आकार की बिल्लियां हैं और लोग इनका शिकार इनके फर के लिए करते हैं.

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