चमोली: आदि गुरु शंकराचार्य गद्दी की पूजा अर्चना के बाद सुबह योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर से शंकराचार्य जी की पवित्र डोली को जोशीमठ नरसिंह मंदिर रवाना किया गया. इस दौरान सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पवित्र गद्दी की पूजा अर्चना की. बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी के सानिध्य में शंकराचार्य गद्दी को यात्रा के साथ जोशीमठ नरसिंह मंदिर स्थित मठ आंगन परिसर में लाया गया. यहां पर लोगों ने फूल वर्षा कर शंकराचार्य गद्दी का स्वागत किया.
चारधाम यात्रा का विधिवत समापन: पूजा अर्चना के बाद आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी जो जोशीमठ के नरसिंह मंदिर के समीप मठ आंगन शंकराचार्य गद्दी स्थल में विराजित किया गया. शीतकाल के दौरान जहां भगवान श्री हरि नारायण अपने दर्शन योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर और जोशीमठ नृसिंह मंदिर में देंगे. वहीं शंकराचार्य गद्दी के दर्शन जोशीमठ के नरसिंह (नृसिंह) मंदिर में होंगे. इसके साथ ही इस वर्ष की चारधाम यात्रा का विधिवत समापन हो गया है.
ऐसा रहा था यात्रा पथ: कपाट बंद होने के बाद शनिवार 18 नवंबर शाम को श्री कुबेर जी ने रात्रि प्रवास हेतु बामणी गांव प्रस्थान किया था. रविवार 19 नवंबर रविवार प्रात: 10 बजे को श्री उद्धव जी एवं आदि गुरु शंकराचार्य जी की पवित्र गद्दी ने रावल जी सहित पांडुकेश्वर हेतु प्रस्थान किया. रविवार को ही श्री कुबेर जी ने बामणी गांव से पांडुकेश्वर प्रस्थान किया था. जबकि उद्वव जी एवं शंकराचार्य जी की गद्दी मंदिर परिसर से पांडुकेश्वर रवाना हुई थी.
अगले 6 महीने जोशीमठ में होगी पूजा: श्री उद्धव जी योग बदरी मंदिर व कुबेर जी अपराह्न अपने पांडुकेश्वर स्थित मंदिर में पहुंचे. श्री कुबेर जी श्री उद्धव जी शीतकाल छह मास पांडुकेश्वर में प्रवास करेंगे. जबकि श्री गरुड़ जी शीतकाल में मंदिर खजाने के साथ जोशीमठ प्रवास करेंगे. इसके पश्चात योग बदरी पांडुकेश्वर तथा श्री नरसिंह मंदिर जोशीमठ में शीतकालीन पूजाएं शुरू हो गयी हैं.
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