चमोली: जोशीमठ विकासखंड स्थित डुमुक और कलगोठ के ग्रामीणों को आज भी सरकारी हुक्मरानों की हीलाहवाली का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. इन गावों के लिए साल 2007 में सड़क की स्वीकृति हुई थी, लेकिन सड़क का निर्माण कार्य इतना सुस्त है कि 13 सालों में मात्र 17 किलोमीटर ही सड़क बन पाई है. यहां के काश्तकार अपनी नकदी फसलें बाजार तक नहीं पहुंचा पाने की वजह से आर्थिक तंगी झेल रहे हैं.
जोशीमठ विकासखंड स्थित डुमुक और कलगोठ के ग्रामीणों ने रोड के लिए भले ही लोकसभा, विधानसभा और पंचायत चुनाव का बहिष्कार किया हो, लेकिन आज तक ग्रामीणों सड़क सुविधा का लाभ नहीं मिल पाया. सरकार में बैठे हुक्मरानों के आश्वासनों के बाद भी ये गांव विकास की मुख्यधारा में नहीं जुड़ पाया है. आज भी ग्रामीण 20 किलोमीटर की पैदल दूरी तय करने को मजबूर हैं.
दरअसल, जोशीमठ विकासखंड के अंतर्गत पड़ने वाले डुमुक और कलगोठ गांव चमोली जनपद के सबसे दूरस्थ गांव हैं. ग्रामीणों ने सड़क की मांग को लेकर लोकसभा, विधानसभा और पंचायत चुनावों तक का बहिष्कार कर चुके हैं. लेकिन आज भी ग्रामीणों को सड़क सुविधा का लाभ नहीं मिल पाया है. साल 2007 में 32.43 किलोमीटर सैंजी लगा मैंकोट, डुमुक, कलगोठ सड़क के निर्माण को शासन से हरी झंडी मिली थी, लेकिन 13 वर्षों में पीएमजीएसवाई के द्वारा सड़क का निर्माण कार्य मात्र 17 किलोमीटर तक हो पाया है.
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प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (PMGSY) के अधिशासी अभियंता तनुज कांबोज का कहना है कि सड़क निर्माण कार्य गतिमान है. सड़क के बीच में कठोर चट्टानें होने के कारण कार्य धीमी गति से हो रहा है. चट्टान कटिंग के लिए बड़ी मशीन को पहुंचाया जा रहा है. जल्द ही डुमुक कलगोठ को सड़क मार्ग से जोड़ दिया जाएगा.
बता दें, क्षेत्र में आलू, चौलाई, राजमा का अत्यधिक उत्पादन होता है, लेकिन काश्तकारों को अपने उत्पाद सड़क तक पहुंचाने के लिए 1000 रुपये ढुलान देना पड़ता है. जिस कारण काश्तकारों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है.