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Joshimath Crisis: लोगों के पुनर्वास एवं हाईपावर कमेटी के गठन को लेकर दाखिल याचिका दिल्ली HC से वापस ली गई

जोशीमठ संकट को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में वकील रोहित डंडरियाल ने जो जनहित याचिका दाखिल की थी, उसे कोर्ट से वापस ले लिया गया है. याचिकाकर्ता रोहित डंडरियाल ने जनहित याचिका में जोशीमठ के लोगों के पुनर्वास और वहां से अध्ययन के लिए एक हाईपवार कमेटी गठित करने की मांग की थी.

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Published : Feb 7, 2023, 4:23 PM IST

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दिल्ली/देहरादून: उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में भू-धंसाव को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में जो जनहित याचिका दाखिल की गई थी, उससे वापस ले लिया गया है. न्यायमूर्ति सतीश चंदर शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने दिल्ली के वकील रोहित डंडरियाल की जनहित याचिका को खारिज कर दिया है.

कोर्ट में महाधिवक्ता जतिंदर कुमार सेठी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 16 जनवरी 2023 को इसी तरह की एक अन्य जनहित याचिका के याचिकाकर्ता को उत्तराखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्देश दिया था, क्योंकि यही मामला नैनीताल में उत्तराखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष लंबित था.
पढ़ें- Uttarakhand Disaster: आपदाओं से जख्म मिले तो प्रकृति ने दिए संकेत, नहीं बन पाई ठोस सुरक्षा योजना

इससे पहले उत्तराखंड सरकार की तरफ से दिल्ली हाईकोर्ट को बताया था कि जोशीमठ संकट को लेकर केंद्र और राज्य सरकार गंभीर है. जोशीमठ की सुरक्षा के लिए हर संभव काम किया जा रहा है. उत्तराखंड सरकार के वकील ने कोर्ट बताया कि जोशीठम में एनडीआरएफ और उत्तराखंड एसडीआरएफ को तैनात किया गया है. इसके अलावा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है. प्रभावित परिवारों को पुनर्वास पैकेज भी दिए जा रहे हैं और धरातल पर काम किया जा रहा है.

वहीं, याचिकाकर्ता और वकील रोहित डंडरियाल ने अपनी जनहित याचिका में कहा था कि उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में पिछले कुछ सालों में बेतरतीब तरीके से किए गए निर्माण की वजह से जोशीमठ में आज इस तरह के हालात बन गए हैं. इस तरह गतिविधियों के कारण वहां पर स्थानीय निवासियों के मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया है.
पढ़ें- Joshimath Rehabilitation: कैबिनेट में होगा प्रभावितों के स्थायी पुनर्वास पर निर्णय, जोशीमठ में दरारें बढ़ी

याचिकाकर्ता रोहित डंडरियाल ने अपनी दलील में आगे कहा था कि साल 2021 से घरों में दरारें पड़नी शुरू हो गई थी, जिससे स्थानीय लोग काफी चितिंत थे. 2021 में दरारों की पहली रिपोर्ट के बाद चमोली में भूस्खलन के बाद करीब 570 घरों को नुकसान हुआ. क्योंकि चमोली में सालों से बार-बार भूकंपीय झटके महसूस किए हैं.

याचिका में कहा था कि जोशीमठ जिसे ज्योतिर्मठ के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय राज्य उत्तराखंड के चमोली जिले में एक शहर और एक नगरपालिका बोर्ड है. 6150 फीट (1875 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित, यह कई हिमालय पर्वत चढ़ाई अभियानों, ट्रेकिंग ट्रेल्स और बदरीननाथ जैसे तीर्थस्थलों का प्रवेश द्वार है. यह आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार प्रमुख पीठों में से एक का घर है.
पढ़ें- Joshimath Crisis: हरिद्वार में होगा अंतरराष्ट्रीय सेमिनार, आपदाओं पर जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही की जाएगी तय

बता दें कि उत्तराखंड में जोशीमठ शहर में भू-धंसाव के बाद राहत और बचाव का कार्य जारी है. जोशीमठ का करीब 30 प्रतिशत हिस्सा भू-धंसाव की चपेट में है, जहां पर करीब 700 से ज्यादा घरों में दरारें पड़ा हुई है. कई संस्थानों के एक्सपर्ट जोशीमठ में दिन रात अध्ययन कर रहे हैं और असुरक्षित भवनों को तोड़ा भी जा रहा है.

(इनपुट एएनआई)

दिल्ली/देहरादून: उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में भू-धंसाव को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में जो जनहित याचिका दाखिल की गई थी, उससे वापस ले लिया गया है. न्यायमूर्ति सतीश चंदर शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने दिल्ली के वकील रोहित डंडरियाल की जनहित याचिका को खारिज कर दिया है.

कोर्ट में महाधिवक्ता जतिंदर कुमार सेठी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 16 जनवरी 2023 को इसी तरह की एक अन्य जनहित याचिका के याचिकाकर्ता को उत्तराखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्देश दिया था, क्योंकि यही मामला नैनीताल में उत्तराखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष लंबित था.
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इससे पहले उत्तराखंड सरकार की तरफ से दिल्ली हाईकोर्ट को बताया था कि जोशीमठ संकट को लेकर केंद्र और राज्य सरकार गंभीर है. जोशीमठ की सुरक्षा के लिए हर संभव काम किया जा रहा है. उत्तराखंड सरकार के वकील ने कोर्ट बताया कि जोशीठम में एनडीआरएफ और उत्तराखंड एसडीआरएफ को तैनात किया गया है. इसके अलावा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है. प्रभावित परिवारों को पुनर्वास पैकेज भी दिए जा रहे हैं और धरातल पर काम किया जा रहा है.

वहीं, याचिकाकर्ता और वकील रोहित डंडरियाल ने अपनी जनहित याचिका में कहा था कि उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में पिछले कुछ सालों में बेतरतीब तरीके से किए गए निर्माण की वजह से जोशीमठ में आज इस तरह के हालात बन गए हैं. इस तरह गतिविधियों के कारण वहां पर स्थानीय निवासियों के मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया है.
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याचिकाकर्ता रोहित डंडरियाल ने अपनी दलील में आगे कहा था कि साल 2021 से घरों में दरारें पड़नी शुरू हो गई थी, जिससे स्थानीय लोग काफी चितिंत थे. 2021 में दरारों की पहली रिपोर्ट के बाद चमोली में भूस्खलन के बाद करीब 570 घरों को नुकसान हुआ. क्योंकि चमोली में सालों से बार-बार भूकंपीय झटके महसूस किए हैं.

याचिका में कहा था कि जोशीमठ जिसे ज्योतिर्मठ के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय राज्य उत्तराखंड के चमोली जिले में एक शहर और एक नगरपालिका बोर्ड है. 6150 फीट (1875 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित, यह कई हिमालय पर्वत चढ़ाई अभियानों, ट्रेकिंग ट्रेल्स और बदरीननाथ जैसे तीर्थस्थलों का प्रवेश द्वार है. यह आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार प्रमुख पीठों में से एक का घर है.
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बता दें कि उत्तराखंड में जोशीमठ शहर में भू-धंसाव के बाद राहत और बचाव का कार्य जारी है. जोशीमठ का करीब 30 प्रतिशत हिस्सा भू-धंसाव की चपेट में है, जहां पर करीब 700 से ज्यादा घरों में दरारें पड़ा हुई है. कई संस्थानों के एक्सपर्ट जोशीमठ में दिन रात अध्ययन कर रहे हैं और असुरक्षित भवनों को तोड़ा भी जा रहा है.

(इनपुट एएनआई)

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