चमोली: भगवान बदरी विशाल के कपाट खुलने में अब चंद दिन शेष बचे हुए हैं. देश में बढ़ते कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच भगवान बदरी विशाल के कपाट नियत तिथि 30 अप्रैल को ही खुलेंगे. बदरीनाथ धाम से जुड़े हुए हक-हकूक धारी, धर्माधिकारी, धर्मशास्त्र और विद्वानों का कहना है कि भगवान बदरी विशाल के कपाट तय तिथि पर ही खोले जाएंगे. लेकिन कपाट खुलने के दौरान तीर्थयात्री मौजूद नहीं रहेंगे.
ऐसी ही परिस्थिति 1920 में भी सामने आई थी, जब 1920 में पहाड़ों में हैजा जैसी बीमारी के खतरनाक होने के कारण श्रद्धालु भगवान बदरी विशाल में अखंड ज्योति के दर्शन नहीं कर पाए थे. इस बार भी ऐसा ही होगा. ठीक 100 साल बाद 2020 में भी ऐसा लग रहा है कि तीर्थ यात्री कपाट खुलने के दिन अखंड ज्योति के दर्शन नहीं कर पाएंगे.
हालांकि, धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल का कहना है कि उन्होंने 1920 की महामारी के बारे में अपने पूर्वजों से सुना था. लेकिन 2020 की महामारी का जिक्र हिंदू पंचांग में भी स्पष्ट तौर से लिखा हुआ है. जो आज प्रत्यक्ष रूप से कोरोना महामारी के रूप में सामने दिखाई दे रहा है. कुछ विद्वानों का कहना है कि 100 साल में ऐसी बीमारी उत्पन्न होती है जो महामारी का रूप ले लेती है.
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हालांकि वैज्ञानिक युग में इन चीजों का होना संभव नहीं माना जाता है. लेकिन वर्तमान समय की स्थिति को देखकर लग रहा है कि भगवान बदरी विशाल की यात्रा पूर्ण रूप से कोरोना वायरस के चलते प्रभावित हो चुकी है.
क्या है अखंड ज्योति, जानिए
बदरीनाथ धाम में पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद करने के दौरान भगवान के मंदिर में एक दीप प्रज्वलित किया जाता है. दीप 6 माह तक जलते रहे, इसके लिए तेल की पूरी व्यवस्था कपाट बंद करने से पूर्व मंदिर समिति की ओर से की जाती है. कहा जाता है कि अखंड ज्योति के रूप में यह दीप 6 माह तक प्रज्वलित रहता है और जिस दिन भगवान बदरी विशाल के कपाट खोले जाते हैं. उस दिन भक्त बड़ी संख्या में भगवान की इस अखंड ज्योति के दर्शन करने के लिए बदरीनाथ धाम पहुंचते हैं.