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जोशीमठ नगर में भू धंसाव से प्रभावित बेघर, जनप्रतिनिधियों ने जताई चिंता

जोशीमठ नगर (Chamoli Joshimath Nagar) में लगातार भू धंसाव से लोगों का जीना मुहाल हो गया है. लोगों के घरों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ी हुई हैं. समस्या समय के साथ बढ़ती जा रही है. लोग अपने घरों को खाली कर सुरक्षित स्थानों की तलाश में भटक रहे हैं. जिस पर स्थानीय प्रतिनिधि चिंता जता रहे हैं.

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Published : Jan 3, 2023, 11:32 AM IST

देहरादून: जोशीमठ नगर (Chamoli Joshimath Nagar) में लगातार हो रहे भू धंसाव के कारण नगर को खतरा उत्पन्न हो रहा है. ऐसे में स्थानीय विधायक राजेंद्र भंडारी सहित जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने इस पर चिंता जताई है. विधायक राजेंद्र भंडारी (Joshimath MLA Rajendra Bhandari) का कहना है कि नगर में हो रहे भू धंसाव के संबंध में सरकार को सूचित किया जा चुका है. सरकार यदि शीघ्र समुचित उपाय नहीं करती है तो नगर की स्थिति चिंताजनक हो जाएगी.

इस दौरान जोशीमठ नगर पालिका के अध्यक्ष (Joshimath Municipality President) शैलेंद्र पंवार ने कहा कि नगर में तहसील प्रशासन के निर्देश पर पालिका द्वारा करवाए गए सर्वेक्षण में 550 के करीब भवन क्षतिग्रस्त हुए हैं. कई घरों में दरारें आ चुकी हैं. उन्होंने बताया कि जोशीमठ में सैकड़ों घर, अस्पताल, सेना के भवन मंदिर सड़कें प्रतिदिन धंसाव की जद में हैं. यह हर दिन बढ़ रहा है. वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कमल रतूड़ी ने सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि सरकार के संज्ञान में सब कुछ है. लेकिन सरकार इस मामले में ठोस कार्रवाई करने से बच रही है.
पढ़ें-चमोली: भू धंसाव से प्रभावित जोशीमठ के 574 परिवार, मकानों में दो इंच मोटी दरारें, ग्राउंड रिपोर्ट

जिससे जनता और नगर को भारी क्षति पहुंच रही है. जनप्रतिनिधि अतुल सती के मुताबिक उनकी बीते दिन मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से मुलाकात हुई थी. अब देखना होगा कि सरकार इस मामले में क्या कार्रवाई करती है. उन्होंने कहा कि नगर में हो रहे भू धंसाव के कारण जोशीमठ के निवासी खौफजदा हैं. यदि इस प्रकार भूस्खलन होगा तो जोशीमठ के अस्तित्व को बचाना मुश्किल है. जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति का कहना है कि 20 से 25 हजार की आबादी वाला नगर अनियंत्रित अदूरदर्शी विकास की भेंट चढ़ रहा है. एक तरफ तपोवन बिष्णुगाड़ परियोजना की एनटीपीसी की सुरंग ने जमीन को भीतर से खोखला कर दिया है.

दूसरी तरफ बाईपास सड़क जोशीमठ की जड़ पर खुदाई करके पूरे शहर को नीचे से हिला रही है. एक तरफ जनता बीते 1 साल से अधिक त्राहि-त्राहि कर रही है. दूसरी तरफ शासन-प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है. ऐसे में जोशीमठ के स्थानीय प्रशासन ने 1 साल में तमाम बार अवगत कराने के बावजूद घरों का सर्वे नहीं किया है.

देहरादून: जोशीमठ नगर (Chamoli Joshimath Nagar) में लगातार हो रहे भू धंसाव के कारण नगर को खतरा उत्पन्न हो रहा है. ऐसे में स्थानीय विधायक राजेंद्र भंडारी सहित जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने इस पर चिंता जताई है. विधायक राजेंद्र भंडारी (Joshimath MLA Rajendra Bhandari) का कहना है कि नगर में हो रहे भू धंसाव के संबंध में सरकार को सूचित किया जा चुका है. सरकार यदि शीघ्र समुचित उपाय नहीं करती है तो नगर की स्थिति चिंताजनक हो जाएगी.

इस दौरान जोशीमठ नगर पालिका के अध्यक्ष (Joshimath Municipality President) शैलेंद्र पंवार ने कहा कि नगर में तहसील प्रशासन के निर्देश पर पालिका द्वारा करवाए गए सर्वेक्षण में 550 के करीब भवन क्षतिग्रस्त हुए हैं. कई घरों में दरारें आ चुकी हैं. उन्होंने बताया कि जोशीमठ में सैकड़ों घर, अस्पताल, सेना के भवन मंदिर सड़कें प्रतिदिन धंसाव की जद में हैं. यह हर दिन बढ़ रहा है. वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कमल रतूड़ी ने सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि सरकार के संज्ञान में सब कुछ है. लेकिन सरकार इस मामले में ठोस कार्रवाई करने से बच रही है.
पढ़ें-चमोली: भू धंसाव से प्रभावित जोशीमठ के 574 परिवार, मकानों में दो इंच मोटी दरारें, ग्राउंड रिपोर्ट

जिससे जनता और नगर को भारी क्षति पहुंच रही है. जनप्रतिनिधि अतुल सती के मुताबिक उनकी बीते दिन मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से मुलाकात हुई थी. अब देखना होगा कि सरकार इस मामले में क्या कार्रवाई करती है. उन्होंने कहा कि नगर में हो रहे भू धंसाव के कारण जोशीमठ के निवासी खौफजदा हैं. यदि इस प्रकार भूस्खलन होगा तो जोशीमठ के अस्तित्व को बचाना मुश्किल है. जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति का कहना है कि 20 से 25 हजार की आबादी वाला नगर अनियंत्रित अदूरदर्शी विकास की भेंट चढ़ रहा है. एक तरफ तपोवन बिष्णुगाड़ परियोजना की एनटीपीसी की सुरंग ने जमीन को भीतर से खोखला कर दिया है.

दूसरी तरफ बाईपास सड़क जोशीमठ की जड़ पर खुदाई करके पूरे शहर को नीचे से हिला रही है. एक तरफ जनता बीते 1 साल से अधिक त्राहि-त्राहि कर रही है. दूसरी तरफ शासन-प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है. ऐसे में जोशीमठ के स्थानीय प्रशासन ने 1 साल में तमाम बार अवगत कराने के बावजूद घरों का सर्वे नहीं किया है.

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