चमोली: आज के इस वैज्ञानिक युग में भी देवभूमि उत्तराखंड इन उच्च हिमालयी क्षेत्र में कई पौराणिक,धार्मिक और आध्यात्मिक रहस्य समेटे हुए है. जो विज्ञान को भी हैरत में डाल देता है. आज हम आपको ऐसी जगह से रूबरू कराने जा रहे हैं जो उच्च हिमालयी क्षेत्र में कई रहस्य समटे हुए हैं. जहां परिंदे भी आसानी से नहीं पहुंच पाते वहां धान की खेती लहलहा रही है. सुनने में जरा अजीब लग रहा लेकिन ये हकीकत है. जिसे स्थानीय लोग देवताओं की खेती मानते हैं.
उच्च हिमालयी क्षेत्र में जहां एक ओर धान की खेती करना काफी मुश्किल माना जाता है वहीं जोशीमठ विकासखंड के 14000 फीट के उच्च हिमालयी क्षेत्र में धान की खेती लहलहा रही है. जो लोगों के लिए आश्चर्य बना हुआ है. जहां परिंदे भी आसानी से नहीं पहुंच सकते, वहां धान की खेती कैसे मुमकिन है? जिसके बारे में सुनते ही लोगों की जिज्ञासा जाग रही है. ड्याली सेरा 5 महीने पूरी तरह बर्फ से ढका रहता है, बावजूद इसके यहां सितंबर महीने में धान की पकी हुई बालियां देखने को मिल रही हैं.
कई रहस्यों के समेटे है ये क्षेत्र
गौर हो कि चमोली जनपद के उच्च हिमालयी क्षेत्र जोशीमठ विकासखंड स्थित अल्पाइन जॉन क्वारी पास के ठीक सामने है. ड्याली सेरा कई पौराणिक कहानियों को अपने आप में समेटे हुए है. जहां बर्फ पिघलने के बाद धान की रोपाई भी की जाती है. जिसके बारे में अभी तक कम ही लोगों को पता है. इन दिनों बरसात कम होने के बाद सैलानी ड्याली सेरा पहुंच रहे हैं. इतनी ऊंचाई में धान के खेतों में लहलहाती फसल को देखकर सैलानी भी हैरत में पड़ जाते हैं. वहीं स्थानीय लोग ड्याली सेरा को देवताओं के खेत भी कहते हैं.
पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ड्याली सेरा में देवताओं के छोटे-छोटे धान के खेत हैं, जिनकी देखरेख आज भी वन देवियां करती हैं. जिन्हें स्थानीय लोग परियां या एड़ी- आंचरिया भी कहते हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि ड्याली सेरा नाम की इस जगह पर वन देवियों का ही साम्राज्य चलता है.
वन देवियों का चलता है साम्राज्य
कहते है आज भी वन देवियां यहां धान की फसल बोने और काटने आती हैं. स्थानीय लोग यह भी मानते हैं कि यह दैवीय खेती है. उनका कहना है कि भले ड्याली सेरा में इंसान खेती नहीं करता लेकिन यहां की गतिविधियों से लगता है कि कोई न कोई अदृश्य ताकत यहां पर खेती करती है. यही नहीं, यहां मौजूद धान के खेतों के लिए सिंचाई के लिए अदृश्य रूप से पानी भी देवांगन टॉप से पहुंचता है. अधिक ऊंचाई और चढ़ाई होने की वजह के कारण इन रहस्यमयी धान के खेतों को देखने कम ही लोग ड्याली सेरा पहुंच पाते हैं. यहीं पर हनुमान ताल भी मौजूद है और इसी रास्ते पर्वतारोही प्रसिद्ध चूला पीक पहुंचते हैं.