ETV Bharat / state

चमोली आपदा में क्षतिग्रस्त ऋषिगंगा बेली ब्रिज पर आवाजाही शुरू, सेना के वाहनों को अनोखी सलामी

चमोली आपदा में क्षतिग्रस्त हुए 200 फुट लंबे बेली ब्रिज को बीआरओ की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद बनाकर तैयार कर दिया है, जिससे 13 गांवों को आवाजाही में राहत मिल सकेगी.

Rishi Ganga Bailey Bridge
Rishi Ganga Bailey Bridge
author img

By

Published : Mar 5, 2021, 5:48 PM IST

Updated : Mar 5, 2021, 7:47 PM IST

चमोली: बीती 7 फरवरी को तपोवन घाटी में स्थित रैणी गांव के पास ऋषिगंगा नदी में आए जलसैलाब में क्षतिग्रस्त पुल को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने फिर से बनाकर तैयार कर दिया है. इस 200 फुट लंबे बेली ब्रिज को आज से वाहनों की आवाजाही के लिये खोल दिया गया है. बीआरओ के द्वारा अधिकारियों की मौजूदगी में इस पुल का शुभारंभ भी कर दिया गया है. इस दौरान जेसीबी और पोकलैंड मशीनों के जरिये सेना के वाहनों को सलामी दी गई.

बीआरओ के चीफ इंजीनियर एएस राठौड़ ने बताया कि पुल का निर्माण करने में 100 से अधिक उपकरण लगाये गए थे. सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण भारत-चीन सीमा को जोड़ने वाले इस बेली ब्रिज का निर्माण 25 फरवरी से शुरू किया गया था. बीआरओ के अधिकारियों और मजदूरों की मदद से 8 दिनों में निर्माण कर आज यातायात भी बहाल कर दिया गया है. 250 मजदूर व बीआरओ के 25 अभियंता दिन-रात इस काम में जुटे रहे.

चमोली आपदा में क्षतिग्रस्त ऋषिगंगा बेली ब्रिज पर आवाजाही शुरू.

इस पुल के बनने से आपदा के बाद मुख्यधारा से कट गए चमोली जिले के 13 गांव एक बार फिर से जुड़ गए हैं. 40 टन वाहन क्षमता व 200 मीटर लंबे इस नए बेली ब्रिज को बनाने की समयसीमा 20 मार्च थी, लेकिन बीआरओ ने इस पुल को दिन-रात एक कर तय समय से 15 दिन पहले ही बना दिया. इससे पहले ऋषिगंगा नदी पर भारतीय सेना ने वैकल्पिक पुल का निर्माण किया था, जिससे 13 गांवों ग्रामीणों को बड़ी राहत मिली थी.

Rishi Ganga Bailey Bridge.
जेसीबी और पोकलैंड मशीनों के जरिये सेना के वाहनों को सलामी दी गई.

पढ़ें- जोशीमठ आपदा : वैज्ञानिकों ने सौंपी सरकार को रिपोर्ट, जानिए आपदा के पीछे की मुख्य वजह

पूरा घटनाक्रम

गौर हो कि रैणी गांव में 7 फरवरी को आई आपदा के बाद वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के डायरेक्टर ने 5 सदस्यीय वैज्ञानिकों की टीम को आपदा आने की असल वजह जानने के लिए भेजा था. जिसके बाद वैज्ञानिकों ने 9 से 11 फरवरी के बीच आपदाग्रस्त क्षेत्रों का धरातलीय और हवाई सर्वे कर एक रिपोर्ट तैयार किया.

Rishi Ganga Bailey Bridge.
बेली ब्रिज पर सेना का वाहन.

आपदा आने के 8 घंटा पहले करीब रात 2:30 बजे, रौंथी पर्वत से चट्टान टूट गई और फिर करीब आधा किलो मीटर लंबा हैंगिंग ग्लेशियर भी चट्टान के साथ नीचे खिसक गई. रौंथी पर्वत से जो चट्टान और ग्लेशियर टूटी वो रौंथी गदेरे पर समुद्र तल से 3800 मीटर की ऊंचाई पर है. इस घटना से इतना तेज कंपन हुआ कि रौंथी पर्वत के दोनों छोर पर जमी ताजी बर्फ भी खिसकने लगी. जिसके चलते रौंथी पर्वत से टूटी चट्टान और ग्लेशियर के साथ ही ताजा बर्फ तेजी से नीचे आने लगा. यही नहीं करीब 7 किलोमीटर नीचे मौजूद गदेरा, जो ऋषिगंगा नदी से मिलता है, वहां पूरा मलबा एकत्र हो गया. जिसके चलते नदी का प्रवाह रुक गया और फिर झील बनने लगी.

हालांकि, यह पूरा घटनाक्रम कुछ ही मिनटों का था. इसके बाद करीब 8 घंटे तक झील का पानी बढ़ता रहा, जिसकी वजह से पानी का दबाव बढ़ा और सुबह करीब 10:30 बजे पानी पूरे मलबे के साथ रैणी गांव की तरफ बढ़ गया. आपदा में पानी व मलबे ने एक झटके में ऋषिगंगा पनबिजली परियोजना को तबाह कर दिया. जल प्रलय ने धौलीगंगा नदी के बहाव को भी तेजी से पीछे धकेल दिया, लेकिन धौलीगंगा नदी का पानी त्वरित रूप से वापस लौटा और जल प्रलय का हिस्सा बन गया.

चमोली: बीती 7 फरवरी को तपोवन घाटी में स्थित रैणी गांव के पास ऋषिगंगा नदी में आए जलसैलाब में क्षतिग्रस्त पुल को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने फिर से बनाकर तैयार कर दिया है. इस 200 फुट लंबे बेली ब्रिज को आज से वाहनों की आवाजाही के लिये खोल दिया गया है. बीआरओ के द्वारा अधिकारियों की मौजूदगी में इस पुल का शुभारंभ भी कर दिया गया है. इस दौरान जेसीबी और पोकलैंड मशीनों के जरिये सेना के वाहनों को सलामी दी गई.

बीआरओ के चीफ इंजीनियर एएस राठौड़ ने बताया कि पुल का निर्माण करने में 100 से अधिक उपकरण लगाये गए थे. सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण भारत-चीन सीमा को जोड़ने वाले इस बेली ब्रिज का निर्माण 25 फरवरी से शुरू किया गया था. बीआरओ के अधिकारियों और मजदूरों की मदद से 8 दिनों में निर्माण कर आज यातायात भी बहाल कर दिया गया है. 250 मजदूर व बीआरओ के 25 अभियंता दिन-रात इस काम में जुटे रहे.

चमोली आपदा में क्षतिग्रस्त ऋषिगंगा बेली ब्रिज पर आवाजाही शुरू.

इस पुल के बनने से आपदा के बाद मुख्यधारा से कट गए चमोली जिले के 13 गांव एक बार फिर से जुड़ गए हैं. 40 टन वाहन क्षमता व 200 मीटर लंबे इस नए बेली ब्रिज को बनाने की समयसीमा 20 मार्च थी, लेकिन बीआरओ ने इस पुल को दिन-रात एक कर तय समय से 15 दिन पहले ही बना दिया. इससे पहले ऋषिगंगा नदी पर भारतीय सेना ने वैकल्पिक पुल का निर्माण किया था, जिससे 13 गांवों ग्रामीणों को बड़ी राहत मिली थी.

Rishi Ganga Bailey Bridge.
जेसीबी और पोकलैंड मशीनों के जरिये सेना के वाहनों को सलामी दी गई.

पढ़ें- जोशीमठ आपदा : वैज्ञानिकों ने सौंपी सरकार को रिपोर्ट, जानिए आपदा के पीछे की मुख्य वजह

पूरा घटनाक्रम

गौर हो कि रैणी गांव में 7 फरवरी को आई आपदा के बाद वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के डायरेक्टर ने 5 सदस्यीय वैज्ञानिकों की टीम को आपदा आने की असल वजह जानने के लिए भेजा था. जिसके बाद वैज्ञानिकों ने 9 से 11 फरवरी के बीच आपदाग्रस्त क्षेत्रों का धरातलीय और हवाई सर्वे कर एक रिपोर्ट तैयार किया.

Rishi Ganga Bailey Bridge.
बेली ब्रिज पर सेना का वाहन.

आपदा आने के 8 घंटा पहले करीब रात 2:30 बजे, रौंथी पर्वत से चट्टान टूट गई और फिर करीब आधा किलो मीटर लंबा हैंगिंग ग्लेशियर भी चट्टान के साथ नीचे खिसक गई. रौंथी पर्वत से जो चट्टान और ग्लेशियर टूटी वो रौंथी गदेरे पर समुद्र तल से 3800 मीटर की ऊंचाई पर है. इस घटना से इतना तेज कंपन हुआ कि रौंथी पर्वत के दोनों छोर पर जमी ताजी बर्फ भी खिसकने लगी. जिसके चलते रौंथी पर्वत से टूटी चट्टान और ग्लेशियर के साथ ही ताजा बर्फ तेजी से नीचे आने लगा. यही नहीं करीब 7 किलोमीटर नीचे मौजूद गदेरा, जो ऋषिगंगा नदी से मिलता है, वहां पूरा मलबा एकत्र हो गया. जिसके चलते नदी का प्रवाह रुक गया और फिर झील बनने लगी.

हालांकि, यह पूरा घटनाक्रम कुछ ही मिनटों का था. इसके बाद करीब 8 घंटे तक झील का पानी बढ़ता रहा, जिसकी वजह से पानी का दबाव बढ़ा और सुबह करीब 10:30 बजे पानी पूरे मलबे के साथ रैणी गांव की तरफ बढ़ गया. आपदा में पानी व मलबे ने एक झटके में ऋषिगंगा पनबिजली परियोजना को तबाह कर दिया. जल प्रलय ने धौलीगंगा नदी के बहाव को भी तेजी से पीछे धकेल दिया, लेकिन धौलीगंगा नदी का पानी त्वरित रूप से वापस लौटा और जल प्रलय का हिस्सा बन गया.

Last Updated : Mar 5, 2021, 7:47 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.