देहरादून: जोशीमठ में भू धंसाव लगातार बढ़ती जा रही है. यही नहीं, दरारों की जद में आने वाले मकानों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. अभी तक दरारों की जद में 782 मकान आ चुके हैं, जिसमें से 148 मकानों को असुरक्षित घोषित किया गया है. राज्य सरकार ने प्रभावित परिवारों के लिए मॉडल फेब्रिकेटेड शेल्टर बनाने का निर्णय लिया है. जिसके तहत जिन प्रभावित परिवारों के पास सुरक्षित जमीन है, उस पर सरकार उन्हें मॉडल फेब्रिकेटेड शेल्टर बना कर देगी.
सचिव आपदा प्रबंधन रंजीत सिन्हा ने जोशीमठ आपदा राहत कार्यों की जानकारी दी हैं. उन्होंने बताया दरारों वाले मकानों की संख्या 782 हो गई है. 4 वार्डों में 148 भवन असुरक्षित हैं. इसके साथ ही वाटर डिस्चार्ज की मात्रा भी काफी अधिक बढ़ गई है. अब वाटर डिस्चार्ज 190 से बढ़कर 240 एलपीएम (लीटर पर मिनट) हो गया है. अनुमान है कि वाटर का डिस्चार्ज बारिश की वजह से बढ़ा है. वहीं, वाटर डिस्चार्ज बढ़ने से राज्य सरकार की चिंताएं और अधिक बढ़ गई हैं. ऐसे में कल आपदा सचिव जोशीमठ के लिए रवाना होंगे.
आपदा सचिव ने बताया अभी तक आपदा प्रभावित क्षेत्र से 223 परिवारों को हटाया गया है. प्रभावित परिवारों में से अभी तक तीन परिवारों को मकान का किराया दिया गया है. इसके साथ ही 10 अन्य परिवारों ने भी मकान किराए के लिए आवेदन किया है. 10 परिवारों को एसडीआरएफ मद से 1.30 लाख दिया गया है. इसके साथ ही अंतरिम राहत पैकेज के रूप में 125 परिवारों को डेढ़ लाख रुपए दिया गया है. जोशीमठ शहर में हुई बारिश से ठंड बढ़ गई है. राहत शिविरों में हीटर और अलाव की व्यवस्था की गई है.
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रंजीत सिन्हा ने कहा बताया कि आपदा प्रभावितों के लिए मॉडल फेब्रिकेटेड शेल्टर बनाने का निर्णय लिया गया है. ऐसे में जिन लोगों के पास कहीं और सुरक्षित भूमि है, वहां पर मॉडल फेब्रिकेटेड शेल्टर बनवा सकते हैं. मॉडल फेब्रिकेटेड शेल्टर सीबीआरआई द्वारा बनाया जाएगा. इसके लिए रेट भी निर्धारित किए गए हैं. जिसके तहत 400 रुपए प्रति स्क्वायर फीट फेब्रिकेटेड शेल्टर बनाने के लिए तय किया गया है. आपदा प्रभावितों को कितना मुआवजा दिया जाएगा, इसका विस्तृत सर्वे किया जा रहा है. फाइनल रिपोर्ट आने के बाद ही राहत पैकेज तैयार किया जाएगा.
आपदा सचिव ने कहा कोई भी जांच रिपोर्ट पहले शासन स्तर पर चर्चा किया जाएगा. उसके बाद रिपोर्ट सार्वजनिक किया जाएगा. अभी सरकार की प्राथमिकता प्रभावित परिवारों को सुरक्षित किया जाए. किसी एक रिपोर्ट से फाइनल निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता है. लिहाजा सभी रिपोर्ट के अध्ययन करने के बाद उस रिपोर्ट को किस तरह से जारी किया जाना है, उस पर निर्णय लिया जाएगा.