चमोली: जनपद में काश्तकार वर्तमान में मत्स्य पालन से अपनी आर्थिकी मजबूत कर रहे हैं. वहीं मत्स्य विभाग ने जनपद के काश्तकारों की बीज के लिए विभाग व अन्य पर निर्भरता को खत्म करने की मुहिम शुरू कर दी है. विभाग की ओर से दिए जा रहे मत्स्य प्रजनन के प्रशिक्षण के बाद काश्तकार स्वयं मछली के बीज का उत्पादन कर सकेंगे. जिससे बीज की खरीद में होने वाले खर्च से काश्तकार बच सकेंगे.
चमोली जनपद में 451 काश्तकार मत्स्य पालन कर अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं. जिला मत्स्य प्रभारी जगदम्बा कुमार ने बताया कि जनपद के काश्तकार प्रति वर्ष 2 हजार कुंतल से अधिक मछली का विपणन कर अच्छी आय प्राप्त कर रहे हैं. लेकिन वर्तमान तक काश्तकारों को करीब 55 लाख की लागत से मछली का बीज विभाग अथवा बाजार से खरीदना पड़ रहा था. ऐसे में कुछ काश्तकार बीज न मिलने की सूरत में मत्स्य पालन से विमुख हो रहे थे. ऐसे में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के साथ ही मत्स्य विभाग के सचिव वीवीआर पुरुषोत्तम के निर्देश पर विभाग ने जनपद में काश्तकारों को मछली के बीज उत्पादन के लिए आत्मनिर्भर बनाने की योजना शुरू की है.
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जिसके तहत विभाग की ओर उर्गम के 6 काश्तकारों के साथ ही ल्वांणी, चलियापाणी और वांण की समिति से जुड़े काश्तकारों को मत्स्य प्रजनन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि बीते साल वांण की समिति को दिए प्रशिक्षण के बाद समिति की ओर से ढाई लाख मत्स्य बीच का विपणन किया गया और करीब 14 लाख की आय अर्जित की गई है. कहा कि जल्द काश्तकारों की मत्स्य बीज को लेकर विभाग और बाजार पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी. आगे कहा कि इस वर्ष विभाग की ओर से 3 लाख से अधिक मत्स्य बीज उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. जिसके लिये विभागीय प्रशिक्षकों की देखरेख में मत्स्य पालन कर रहे काश्तकारों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
मस्त्य विभाग केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं के माध्यम से टैंक निर्माण कर मत्स्य पालन से काश्तकारों को जोड़ने का काम कर रहा है.
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