श्रीनगर: उत्तराखंड भू-धंसाव की समस्या झेल रहे जोशीमठ शहर के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान उत्तराखंड तकनीकी सहायता देने को तैयार है. संस्थान की टीम ने जोशीमठ के सर्वेक्षण के बाद पहाड़ी क्षेत्रों में निर्माण कार्य हेतु सुझाव भी दिए हैं. संस्थान के अनुसार सर्वे रिपोर्ट को उत्तराखंड शासन सहित जिलाधिकारी चमोली को भेजा जा रहा है.
बीते महीने एनआईटी उत्तराखंड ने अपने स्तर पर चार इंजीनियरों को जोशीमठ भेजा था. टीम के सदस्य सिविल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष डॉ क्रांति जैन, ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग के डॉ आदित्य कुमार अनुपम, जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग के डॉ विकास प्रताप सिंह एवं डॉ शंशाक बत्रा ने जोशीमठ शहर में भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया. टीम की ओर से सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार कर निदेशक प्रो ललित कुमार अवस्थी को सौंप दी गई है.
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टीम का नेतृत्व कर रहे डॉ जैन ने बताया कि सर्वेक्षण के दौरान प्रारंभिक रूप से भू-धंसाव के लिए जिम्मेदार पांच प्रमुख कारक सामने आए. उन्होंने बताया कि बहुत ही सीमित जगह पर बहुमंजिला इमारत खड़ी कर दी गई. इससे जमीन के अंदर अत्याधिक दबाव बढ़ गया, जिससे ढाल अस्थिर हो गई. इसके अलावा शहर में पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं है. पानी समाने से जमीन के अंदर पानी का दबाव बढ़ गया, ये भी भू-धंसाव की बड़ी वजह बना.
रिपोर्ट ने बताया गया कि जोशीमठ कमजोर स्थान पर बसा है, यह टेक्टोनिक प्लेट के समीप स्थित है. घरों को बनाते समय ठीक ढंग से जमीन की स्थिति का अध्ययन नहीं किया गया. इसी कारण से आज जोशीमठ में इस तरह की स्थिति बनी है.
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एनआईटी देगा तकनीकी सहायता: जोशीमठ को बचाने के लिए एनआईटी उत्तराखंड के एक्सपर्ट सरकार की पूरी मदद करेगी और जो भी तकनीकी सहायता होगी वो मुहैया कराएंगे. एनआईटी उत्तराखंड के एक्सपर्ट ढलानों की स्थिरता का अध्ययन कर भवन निर्माण एवं सड़क निर्माण कार्य हेतु उपचारात्मक उपायों का सुझाव देगा. जियोटेक्निकल और जियोलॉजिकल जांच के आधार पर ढांचागत सुविधाओं के विकास के लिए भी सुझाव दिए जाएंगे.
इसके अलावा जोशीमठ में भूकंपरोधी भवनों के निर्माण हेतु डिजायन उपलब्ध कराने में सहयोग किया जाएगा. हल्की एवं लचीली सामग्री को बढ़ावा देने में एनआईटी उत्तराखंड सहयोग करेगा, ताकि कभी जरुरत पड़े तो ढांचे को दूसरी जगह शिफ्ट किया जा सके.
ठेकेदारों को जागरूक करने के लिए प्रशिक्षण: निदेशक एनआईटी उत्तराखंड प्रो ललित कुमार अवस्थी ने बताया कि सर्वे रिपोर्ट उत्तराखंड के मुख्य सचिव सहित आपदा प्रबंधन सचिव को भेजी जा रही है. यदि किसी सरकारी, गैर सरकारी एजेंसी और स्थानीय व्यक्ति को तकनीकी सहायता चाहिए होगी, तो संस्थान इसके लिए तैयार है.