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गोपीनाथ मंदिर की दीवारों में पड़ी दरारें, फिर भी पुरात्व विभाग ने ले रहा सुध - Uttarakhand News

गोपेश्वर नगर में स्थित पौराणिक गोपीनाथ मंदिर में भगवान शिव की पूजा की जाती है. गोपीनाथ मंदिर में पत्थरों पर की गई नक्काशी और वास्तुकला के चलते यह मंदिर प्रदेश में अपनी अलग पहचान रखता है.

गोपीनाथ मंदिर चमोली.
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Published : Jul 5, 2019, 1:34 PM IST

चमोली: जिला मुख्यालय गोपेश्वर में स्थित प्राचीन गोपीनाथ मंदिर का रख रखाव न होने के चलते गुम्बद जीर्ण- शीर्ण स्थिति में है. बीते दिनों मंदिर परिसर में पुरातत्व विभाग द्वारा सौन्दर्यीकरण का कार्य किया गया, लेकिन मंदिर की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया. लोगों का कहना है कि समय रहते जल्द मंदिर में सुधारीकरण का कार्य नहीं किया गया तो भविष्य में मंदिर ढहने का खतरा बना हुआ है.

गोपेश्वर नगर में स्थित पौराणिक गोपीनाथ मंदिर में भगवान शिव की पूजा की जाती है. गोपीनाथ मंदिर में पत्थरों पर की गई नक्काशी और वास्तुकला के चलते यह मंदिर प्रदेश में अपनी अलग पहचान रखता है. वहीं देश- विदेशों में यह अनोखा शिवधाम है. जहां श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन के लिए सीढ़ियां चढ़कर नहीं बल्कि सीढ़ियों से उतरकर मंदिर तक पहुंचना पड़ता है.

शीतकाल के दौरान चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ की पूजा गोपीनाथ मंदिर में ही सम्पन्न की जाती है. भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन होने के बावजूद भी मंदिर के शीर्ष भाग में लगाये गए पत्थर अंदर की ओर धस रहे हैं. साथ ही मंदिर की दीवारों पर भी कई जगह से दरारें पड़ी हुई हैं,जो धीरे- धीरे बढ़ रही हैं. यही नहीं पत्थर से बनाया गया मंदिर का गुम्बद भी जर्जर हो चुका है.

जीर्ण- शीर्ण हालत में गोपीनाथ मंदिर.

इसके बावजूद पुरातत्व विभाग मंदिर का सुधारीकरण करने के बजाय आंखे मूंदे हुए है. नगर पालिका पार्षद और गोपीनाथ मंदिर के पुजारी नवल भट्ट का कहना है कि मंदिर की जीर्ण- शीर्ण स्थिति को देखते हुए कई बार पुरातत्व विभाग के अधिकारियों से मंदिर के सुधारीकरण को लेकर बात की गई, लेकिन आज तक मंदिर की हालत जस की तस बनी हुई है.

वहीं पुरातत्व विभाग के विभागाध्यक्ष राज पटेल का कहना है कि फिलहाल गोपीनाथ मंदिर के सुधारीकरण को लेकर विभाग की कोई योजना नहीं है और वर्तमान में गोपीनाथ मंदिर अच्छी स्थिति में है. हालांकि मंदिर परिसर में स्थित एक अन्य छोटे मंदिर के सुधारीकरण का कार्य जल्द शुरू कर दिया जाएगा.

चमोली: जिला मुख्यालय गोपेश्वर में स्थित प्राचीन गोपीनाथ मंदिर का रख रखाव न होने के चलते गुम्बद जीर्ण- शीर्ण स्थिति में है. बीते दिनों मंदिर परिसर में पुरातत्व विभाग द्वारा सौन्दर्यीकरण का कार्य किया गया, लेकिन मंदिर की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया. लोगों का कहना है कि समय रहते जल्द मंदिर में सुधारीकरण का कार्य नहीं किया गया तो भविष्य में मंदिर ढहने का खतरा बना हुआ है.

गोपेश्वर नगर में स्थित पौराणिक गोपीनाथ मंदिर में भगवान शिव की पूजा की जाती है. गोपीनाथ मंदिर में पत्थरों पर की गई नक्काशी और वास्तुकला के चलते यह मंदिर प्रदेश में अपनी अलग पहचान रखता है. वहीं देश- विदेशों में यह अनोखा शिवधाम है. जहां श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन के लिए सीढ़ियां चढ़कर नहीं बल्कि सीढ़ियों से उतरकर मंदिर तक पहुंचना पड़ता है.

शीतकाल के दौरान चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ की पूजा गोपीनाथ मंदिर में ही सम्पन्न की जाती है. भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन होने के बावजूद भी मंदिर के शीर्ष भाग में लगाये गए पत्थर अंदर की ओर धस रहे हैं. साथ ही मंदिर की दीवारों पर भी कई जगह से दरारें पड़ी हुई हैं,जो धीरे- धीरे बढ़ रही हैं. यही नहीं पत्थर से बनाया गया मंदिर का गुम्बद भी जर्जर हो चुका है.

जीर्ण- शीर्ण हालत में गोपीनाथ मंदिर.

इसके बावजूद पुरातत्व विभाग मंदिर का सुधारीकरण करने के बजाय आंखे मूंदे हुए है. नगर पालिका पार्षद और गोपीनाथ मंदिर के पुजारी नवल भट्ट का कहना है कि मंदिर की जीर्ण- शीर्ण स्थिति को देखते हुए कई बार पुरातत्व विभाग के अधिकारियों से मंदिर के सुधारीकरण को लेकर बात की गई, लेकिन आज तक मंदिर की हालत जस की तस बनी हुई है.

वहीं पुरातत्व विभाग के विभागाध्यक्ष राज पटेल का कहना है कि फिलहाल गोपीनाथ मंदिर के सुधारीकरण को लेकर विभाग की कोई योजना नहीं है और वर्तमान में गोपीनाथ मंदिर अच्छी स्थिति में है. हालांकि मंदिर परिसर में स्थित एक अन्य छोटे मंदिर के सुधारीकरण का कार्य जल्द शुरू कर दिया जाएगा.

Intro:चमोली के जिलामुख्यालय गोपेश्वर में स्थित प्राचीन गोपीनाथ भगवान का मंदिर का रख रखाव ने होने के चलते मंदिर का गुम्बद जीर्णशीर्ण स्थिति में पहुंच गया है।कुछ दिनों पूर्व मंदिर परिसर में पुरातत्व विभाग के द्वारा सौन्दर्यीकरण का कार्य किया गया ,लेकिन मंदिर की जीर्णशीर्ण स्थित को देखकर भी इस ओर पुरातत्व विभाग की ओर से कोई ध्यान नही दिया गया।समय रहते जल्द मंदिर में सुधारीकरण का कार्य शुरू नही किया गया तो भविष्य में मंदिर ढहने की घटना को भी नजरअंदाज नही किया जा सकता।


Body:गोपेश्वर नगर में स्थित पौराणिक गोपीनाथ मंदिर में भगवान शिव की पूजा की जाती है ।गोपीनाथ मंदिर में पत्थरों पर की गई नक्कासी और वास्तुकला के चलते यह मंदिर प्रदेश में अपनी अलग पहचान रखता है ।देश विदेशों में स्थित यह शिव का अनोखा मंदिर है ,जंहा श्रदालुओ को भगवान के दर्शनों के लिए सीढ़ियां चढ़कर नही बल्कि सीढ़ियों से उतरकर मंदिर तक पहुंचना होता है ।शीतकाल के दौरान चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ की पूजा गोपीनाथ मंदिर में ही सम्पन्न की जाती है।

भारतीय पुरातत्व विभाग के आधीन होने के बावजूद भी मंदिर के शीर्ष भाग में लगाये गए पत्थर अंदर की ओर धंस रहे है ,साथ ही मंदिर की दीवारों पर भी कई जगह से दरारे पड़ी हुई है ,जो कि धीरे धीरे बढ़ रही है ।यही नही पत्थर से बनाया गया मंदिर का गुम्बद भी जीर्ण शीर्ण स्थित में पहुंच चुका है ।लेकिन पुरातत्व विभाग मंदिर का सुधारीकरण करने के बजाय आंखे मूंद कर बैठा है ।

नगर पालिका पार्षद गोपेश्वर और गोपीनाथ मंदिर के पुजारी नवल भट्ट का कहना है कि मंदिर की जीर्ण शीर्ण स्थिति को देखते हुए कई बार पुरातत्व विभाग के अधिकारियों से मिलकर मंदिर के सुधारीकरण को लेकर बात रखी गई,लेकिन आज तक मंदिर का सुधारीकरण नही किया गया।

बाईट-नवल भट्ट-पार्षद नगरपालिका गोपेश्वर।


Conclusion:दूसरी ओर पुरातत्व विभाग के विभागाध्यक्ष राज पटेल का कहना है कि फिलहाल गोपीनाथ मंदिर के सुधारीकरण को लेकर विभाग की कोई योजना नही है।और वर्तमान में गोपीनाथ मंदिर अच्छी स्थिति में है।हालांकि मंदिर परिसर में स्थित एक अन्य छोटे मंदिर और प्राचीन रावल निवास के सुधारीकरण का कार्य जल्द शुरू कर दिया जाएगा।
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