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दीपावली पर 12 क्विंटल फूलों से सजा बदरी विशाल का मंदिर, 25 अक्टूबर को बंद रहेंगे मंदिर के कपाट - बदरीनाथ की यात्रा

चारधाम में शुमार विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ मंदिर को दीपावली के मौके पर 12 क्विंटल गेंदे और रंग बिरंगे फूलों से सजाया गया है. दीपावली पर बदरीनाथ धाम परिसर में स्थित लक्ष्मी मंदिर में पूजा का अपना बड़ा महत्व हैं. यही वजह है कि दीपावली पर श्रद्धालुओं का हुजूम जुटता है. वहीं, 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण के चलते बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद रहेंगे.

Badrinath Temple decorated by Flowers
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Published : Oct 23, 2022, 10:58 AM IST

Updated : Oct 24, 2022, 10:28 PM IST

चमोलीः प्रकाश पर्व दीपावली को लेकर भगवान बदरी विशाल के मंदिर को 12 क्विंटल फूलों से सजाया गया है. इससे मंदिर की छटा देखते ही बन रही है. दीपावली के पर्व पर भगवान नारायण की विशेष पूजा की जाती है. वहीं, धाम में मौसम बदलने के साथ कड़ाके की ठंड भी शुरू हो गई है. हालांकि, बदरी विशाल के दर्शन के लिए धाम में देश के अलग-अलग हिस्सों से पहुंच रहे हैं और श्रद्धालुओं में गजब का उत्साह देखा जा रहा है.

बता दें कि भगवान बदरीनाथ मंदिर को धनतेरस से एक दिन पहले से ही सजाने का कार्य शुरू कर दिया गया था. बदरीनाथ पहुंचे श्रद्धालु गेंदे के फूलों से सजाए गए मंदिर की तस्वीरों को अपने कैमरों में कैद कर रहे हैं. दीपावली पर श्रद्धालु भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मी मां की विशेष पूजा के लिए बदरीनाथ धाम पहुंचते हैं.

फूलों से सजा बदरी विशाल का मंदिर

दीपावली के पर्व (Deepawali Festival 2022) पर बदरीनाथ मंदिर परिसर में स्थित लक्ष्मी मंदिर में पूजा का अपना बड़ा महत्व हैं. हर साल दीपावली के पर्व पर भगवान बदरी विशाल के मंदिर को गेंदे के फूलों से सजाया जाता है. मंदिर परिसर में स्थित माता लक्ष्मी मंदिर में दीपावली के पर्व पर विशेष पूजा की जाती है. बदरीनाथ मंदिर में दीपोत्सव (Deepawali in Badrinath Dham) भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है.

सूर्य ग्रहण के चलते मंदिर के कपाट रहेंगे बंदः वहीं, दूसरी तरफ आगामी 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण 2022 के चलते सूतक के कारण अन्य मंदिरों की तरह ही बदरीनाथ धाम के मंदिर भी सुबह 4:26 से 5:32 तक बंद रहेगा. गौर हो कि 19 नवंबर को शाम 3 बजकर 35 मिनट पर भगवान बदरी विशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे.
ये भी पढ़ेंः चारधाम यात्रा का आखिरी पड़ाव है बदरी विशाल का धाम, कहताला है धरती का बैकुंठ

उत्तराखंड के चमोली जिले में अलकनंदा नदी के किनारे बदरीनाथ धाम स्थित है. हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ स्थलों में ये एक यह धाम भगवान विष्णु का श्रद्धेय धार्मिक स्थल है. समुद्र तल से 3133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ये मंदिर छोटा चारधाम भी कहलाता है. यह मंदिर वैष्णव के 108 दिव्य देसम में प्रमुख है. इसे धरती का बैकुंठ भी कहा जाता है. मंदिर परिसर में 15 मूर्तियां हैं, इनमें सब से प्रमुख है, भगवान विष्णु की एक मीटर ऊंची काले पत्थर की प्रतिमा है. यहां भगवान विष्णु ध्यान मग्न मुद्रा में सुशोभित हैं. प्रतिमा के दाहिने ओर कुबेर लक्ष्मी और नारायण की मूर्तियां है.

बदरीधाम में बदरीनारायण भगवान के पांच स्वरूपों की पूजा अर्चना होती है. विष्णु के इन पांच रूपों को 'पंच बद्री' के नाम से जाना जाता है. बदरीनाथ के मुख्य मंदिर के अलावा अन्य चार बद्रियों के मंदिर भी यहां स्थापित हैं. बदरीनाथ पांचों मंदिरों में मुख्य है. इसके अलावा योगध्यान बद्री, भविष्य बद्री, वृद्घ बद्री, आदि बद्री इन सभी रूपों में भगवान बदरीनाथ यहां निवास करते हैं.

भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर आदिगुरू शंकराचार्य ने चारों धाम में से एक के रूप में स्थापित किया था. यह मंदिर तीन भागों में विभाजित है, गर्भगृह, दर्शनमंडप और सभामंडप. शंकराचार्य की व्यवस्था के अनुसार, बदरीनाथ मंदिर का मुख्य पुजारी दक्षिण भारत के केरल राज्य से होता है. बदरीनाथ की यात्रा का मौसम हर साल छह महीने लंबा होता है, जो अप्रैल से शुरू होता है और नवंबर के महीने में समाप्त होता है.

चमोलीः प्रकाश पर्व दीपावली को लेकर भगवान बदरी विशाल के मंदिर को 12 क्विंटल फूलों से सजाया गया है. इससे मंदिर की छटा देखते ही बन रही है. दीपावली के पर्व पर भगवान नारायण की विशेष पूजा की जाती है. वहीं, धाम में मौसम बदलने के साथ कड़ाके की ठंड भी शुरू हो गई है. हालांकि, बदरी विशाल के दर्शन के लिए धाम में देश के अलग-अलग हिस्सों से पहुंच रहे हैं और श्रद्धालुओं में गजब का उत्साह देखा जा रहा है.

बता दें कि भगवान बदरीनाथ मंदिर को धनतेरस से एक दिन पहले से ही सजाने का कार्य शुरू कर दिया गया था. बदरीनाथ पहुंचे श्रद्धालु गेंदे के फूलों से सजाए गए मंदिर की तस्वीरों को अपने कैमरों में कैद कर रहे हैं. दीपावली पर श्रद्धालु भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मी मां की विशेष पूजा के लिए बदरीनाथ धाम पहुंचते हैं.

फूलों से सजा बदरी विशाल का मंदिर

दीपावली के पर्व (Deepawali Festival 2022) पर बदरीनाथ मंदिर परिसर में स्थित लक्ष्मी मंदिर में पूजा का अपना बड़ा महत्व हैं. हर साल दीपावली के पर्व पर भगवान बदरी विशाल के मंदिर को गेंदे के फूलों से सजाया जाता है. मंदिर परिसर में स्थित माता लक्ष्मी मंदिर में दीपावली के पर्व पर विशेष पूजा की जाती है. बदरीनाथ मंदिर में दीपोत्सव (Deepawali in Badrinath Dham) भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है.

सूर्य ग्रहण के चलते मंदिर के कपाट रहेंगे बंदः वहीं, दूसरी तरफ आगामी 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण 2022 के चलते सूतक के कारण अन्य मंदिरों की तरह ही बदरीनाथ धाम के मंदिर भी सुबह 4:26 से 5:32 तक बंद रहेगा. गौर हो कि 19 नवंबर को शाम 3 बजकर 35 मिनट पर भगवान बदरी विशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे.
ये भी पढ़ेंः चारधाम यात्रा का आखिरी पड़ाव है बदरी विशाल का धाम, कहताला है धरती का बैकुंठ

उत्तराखंड के चमोली जिले में अलकनंदा नदी के किनारे बदरीनाथ धाम स्थित है. हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ स्थलों में ये एक यह धाम भगवान विष्णु का श्रद्धेय धार्मिक स्थल है. समुद्र तल से 3133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ये मंदिर छोटा चारधाम भी कहलाता है. यह मंदिर वैष्णव के 108 दिव्य देसम में प्रमुख है. इसे धरती का बैकुंठ भी कहा जाता है. मंदिर परिसर में 15 मूर्तियां हैं, इनमें सब से प्रमुख है, भगवान विष्णु की एक मीटर ऊंची काले पत्थर की प्रतिमा है. यहां भगवान विष्णु ध्यान मग्न मुद्रा में सुशोभित हैं. प्रतिमा के दाहिने ओर कुबेर लक्ष्मी और नारायण की मूर्तियां है.

बदरीधाम में बदरीनारायण भगवान के पांच स्वरूपों की पूजा अर्चना होती है. विष्णु के इन पांच रूपों को 'पंच बद्री' के नाम से जाना जाता है. बदरीनाथ के मुख्य मंदिर के अलावा अन्य चार बद्रियों के मंदिर भी यहां स्थापित हैं. बदरीनाथ पांचों मंदिरों में मुख्य है. इसके अलावा योगध्यान बद्री, भविष्य बद्री, वृद्घ बद्री, आदि बद्री इन सभी रूपों में भगवान बदरीनाथ यहां निवास करते हैं.

भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर आदिगुरू शंकराचार्य ने चारों धाम में से एक के रूप में स्थापित किया था. यह मंदिर तीन भागों में विभाजित है, गर्भगृह, दर्शनमंडप और सभामंडप. शंकराचार्य की व्यवस्था के अनुसार, बदरीनाथ मंदिर का मुख्य पुजारी दक्षिण भारत के केरल राज्य से होता है. बदरीनाथ की यात्रा का मौसम हर साल छह महीने लंबा होता है, जो अप्रैल से शुरू होता है और नवंबर के महीने में समाप्त होता है.

Last Updated : Oct 24, 2022, 10:28 PM IST
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