चमोलीः जोशीमठ में दरार और भू-धंसाव के चलते एशिया की सबसे लंबी रोपवे पर खतरा मंडरा रहा है. लिहाजा, रोपवे प्रबंधन की ओर से सतर्कता बरतते हुए सुरक्षा के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. ताकि भविष्य में रोपवे पर सुरक्षा के मद्देनजर कोई दिक्कतें न आ पाएं. इसके लिए ट्रेप रोप पर एलटीपी भवन परिसर पर काउंटर वेट कम किया जा रहा है. इसके लिए रोप सपोर्ट ब्रैकेट लगाने काम किया जा रहा है.
औली रोपवे प्रबंधन की मानें तो इन दो ट्रेक रूट पर 32 टन और दूसरे पर 32 टन काउंटर वेट कम किया जा रहा है. उनको जमीन पर शिफ्ट किया जा रहा है. हालांकि, टावर 1, 2, 3 में कोई दरार नहीं दिखी है, लेकिन इसके आसपास जमीन पर भारी भू-धंसाव हो रहा है. जिसके चलते सतर्कता बरती जा रही है. जिससे भविष्य में इनसे टावरों और रोप पर अतिरिक्त तनाव न आएं. इससे पहले टावर 1 में दरार देखी जा चुकी है. रोपवे प्रबंधन का कहना है कि टावर में कोई दरार नहीं है, दरार आसपास की जमीन पर है.
बता दें कि जोशीमठ से औली तक इस रोपवे की दूरी करीब चार किलोमीटर है. इसमें 10 टावर लगे हुए हैं. रोपवे के जरिए जोशीमठ से औली पहुंचने में केवल 15 मिनट लगता है. ऐसे में औली जाने के लिए पर्यटकों की पहली पसंद रोपवे ही रहता है, लेकिन जोशीमठ में दरार की वजह से इस रोपवे पर भी खतरा मंडरा रहा है. रोपवे के प्लेटफॉर्म के पास बड़ी दरारें आ चुकी हैं. जिससे खतरा और बढ़ गया है.
बीती चार जनवरी को जोशीमठ के मनोहर बाग वार्ड में लगातार हो रहे भू धंसाव को देखते हुए जीएमवीएन ने जिला प्रशासन के सुझाव पर रोपवे के संचालन को बंद करने का निर्णय लिया. इसे लेकर अपर जिलाधिकारी अभिषेक त्रिपाठी ने आदेश भी जारी किए. उस वक्त बताया गया कि टावर नंबर एक की जमीन भू धंसाव की चपेट में आ रही है.
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