बागेश्वर: नदीगांव के ग्रामीणों ने बागेश्वर-गिरेछीना मोटर मार्ग चल रहे डामरीकरण को घटिया बताया है. उन्होंने विभागीय अधिकारियों से डामरीकरण की जांच करने और तत्काल गुणवत्ता में सुधार लाने की मांग की. वहीं, काजल बिजोरिया मोटर मार्ग का 2 साल में मात्र 2 किमी ही निर्माण हो पाया है. जिससे वहां की जनता काफी परेशान है, उन्होंने सरकार से जल्द गांव तक सड़क का निर्माण पूरा करने की मांग की है.
गोमती पुल से गिरेछीना और जजी मार्ग पर डामरीकरण का काम चल रहा है. लोगों का आरोप है कि कार्यदायी संस्था डामरीकरण में मानकों और गुणवत्ता की अनदेेखी कर रही है. डामर बिछाने के दौरान ही उखड़ने लगा है. बताया कि कई स्थानों पर एक इंच से भी कम परत चढ़ाई गई है. रात के समय डामरीकरण का कार्य किया जा रहा है. कुछ स्थानों को बिना सोलिंग और सफाई के छोड़ दिया गया है. सड़क पर चलते समय पैर की ठोकर लगने से ही डामर उखड़ रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि जजी मार्ग और गिरेछीना सड़क पर हुए डामरीकरण की गुणवत्ता में भी अंतर किया जा रहा है. गिरेछीना सड़क पर बेहद घटिया डामरीकरण हो रहा है.
ग्रामीणों का कहना है कि विभाग और कार्यदायी संस्था मिलकर जनता के धन का दुरुपयोग कर रही हैं. वहीं लोनिवि (लोक निर्माण विभाग) के अधिशासी अभियंता एसके पांडेय ने कहा कि डामरीकरण मानकों के अनुसार किया जा रहा है. अगर कहीं पर कमी होगी तो उसे दूर किया जाएगा.
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दो साल में मात्र दो किमी ही हुआ सड़क निर्माण, ग्रामीणों मे नाराजगी
वहीं, काजल बिजोरिया मोटर मार्ग 2 साल में मात्र 2 किमी ही सड़क निर्माण कार्य हो पाया है. धीमी गति से हो रहे निर्माण कार्य के चलते बिजुरिया के लोगों को वाहन सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिससे वहां की जनता काफी परेशान है. ग्रामीणों ने जल्द गांव तक सड़क का निर्माण पूरा करने की मांग की है. ग्रामीणों ने जिलाधिकारी कार्यालय में प्रदर्शन किया.
कपकोट के पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी के नेतृत्व में गांजली बिजोरिया के ग्रामीण जिला कार्यालय पहुंचे. एडीएम को दिए ज्ञापन में ग्रामीणों ने बताया कि करीब 4 साल पहले गांजलि बिजोरिया मोटर मार्ग को स्वीकृति मिली थी और दो साल से निर्माण कार्य भी चल रहा है. उन्होंने कहा कि विभाग की ओर से मोटर मार्ग केवल गांजली तक बनाए जाने की बात कही जा रही है. पांच किमी तक ही सड़क की निविदा भी हुई है. बाकी 10 किमी सड़क का निर्माण कार्य अधर में लटका है. ग्रामीणों ने कहा सड़क नहीं होने से बिजोरिया के लोगों को रोजाना पैदल चलना पड़ता है. बीमार बुजुर्गों को लाने ले जाने के लिए डोली का सहारा लेना पड़ रहा है. जरूरी सामान लाने में भी दिक्कतें हो रही हैं. ग्रामीणों ने स्वीकृत सड़क को जल्द से जल्द पूरा करवाने की मांग की. ग्रामीणों ने कहा कि अगर उनकी मांगों को अनदेखा किया गया तो वह उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.
डामरीकरण को लेकर मेहनरबूंगा के ग्रामीणों का प्रर्दशन
डामरीकरण की मांग को लेकर मेहनरबूंगा के ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया. उन्होंने डीएम को ज्ञापन सौंपकर जल्द समस्या का समाधान करने की मांग की है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इस मांग को लेकर वे कई बार अनुरोध कर चुके हैं, इसके बाद भी उनकी मांगों को अनसुना किया जा रहा है. अगर अब समस्या का समाधान नहीं किया गया तो वह आंदोलन को और तेज करेंगे.
बिलौना-मालता बाईपास सड़क पर डामरीकरण न होने से मेहनरबूंगा के लोग धूल भरे वातावरण में रहने के लिए मजबूर हैं. कई बार प्रशासन से शिकायत करने पर भी समस्या का निदान नहीं हो सका. आक्रोशित लोगों ने जिला कार्यालय में प्रदर्शन कर सड़क पर जल्द डामरीकरण करवाने की मांग की. क्षेत्रवासियों ने मांग पूरी न होने पर आंदोलन की भी चेतावनी दी.
बिलौना से मालता सड़क को जोड़ने वाली बाईपास सड़क मेहनरबूंगा के बीचोंबीच से होकर जाता है. निर्माण के कई साल बाद भी सड़क पर डामरीकरण का काम नहीं हुआ है. सड़क पर दिन भर वाहनों की आवाजाही रहती है. भारी वाहन भी चलते हैं, वाहनों से उठने वाली धूल लोगों के घरों में जाती है. इस कारण कपड़े, खाद्य सामग्री सहित अन्य सामान खराब हो जाता है. रोजाना उठने वाली धूल से मरीजों और बुजुर्गों को भी परेशानी हो रही है. पूर्व में भी डामरीकरण की मांग को लेकर लोगों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन दिया था. प्रदर्शन भी किया गया, इसके बावजूद हालात नहीं सुधरे. नाराज ग्रामीणों ने कहा कि अगर डामरीकरण शुरू नहीं हुआ तो उन्हें आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा.