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बागेश्वर में खुले में शौच को मजबूर दिव्यांग भाई, प्रशासन से लगाई ये गुहार - डीएम अनुराधा पाल

कुमाऊं और गढ़वाल के बीच बसे बागेश्वर जिले के अंतिम गांव दाबू में रहने वाले दो दिव्यांग भाईयों को पहले कुदरत ने लाचार किया अब वे सिस्टम की मार झेल रहे हैं. दरअसल उन्हें अभी तक शौचालय उपलब्ध नहीं कराया गया है. जिससे उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.Bageshwar news

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 23, 2023, 5:12 PM IST

Updated : Sep 23, 2023, 6:41 PM IST

बागेश्वर में खुले में शौच को मजबूर दिव्यांग भाई

बागेश्वर: दिसंबर 2016 में बागेश्वर भले ही खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित हो गया हो. लेकिन जिले के अंतिम गांव दाबू में रहने वाले दो दिव्यांग भाई अभी भी खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं. सिस्टम की ऐसी बानगी कि उनके नाम का शौचालय किसी और को मिल गया और वो शौचालय से वंचित रह गए.

दोनों भाई पैरों से हैं लाचार: दिव्यांग दिनेश कुमार की उम्र 34 साल दिव्यांग जगदीश कुमार की उम्र 31 साल है. करीब 18 साल पहले उनके पिता मोहन राम की मौत हो गई थी. पिता के निधन के कुछ साल बाद 18 साल की उम्र में दिनेश कुमार के पैरों में दिक्कत आने लगी. दो साल बाद ही छोटे भाई जगदीश भी पैरों से लाचार हो गया. दोनों भाई अधिक चल-फिर नहीं सकते, लाठी के सहारे, दीवार पकड़कर किसी तरह वह घर के आसपास टहलते हैं.

ये भी पढ़ें: दिव्यांग क्रिकेटर दीपक कुमार के हौसलों ने भरी उड़ान, साउथ अफ्रीका में होने वाली सीरीज में दिखाएंगा अपनी प्रतिभा

दिव्यांगों को सरकारी योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ: मां देवकी देवी ने बताया कि शौचालय नहीं होने से बारिश और रात के समय काफी दिक्कत होती है. उन्होंने कहा कि योजना का लाभ पाने वालों में उनका भी नाम था, लेकिन उनको लाभ नहीं मिला. वहीं, डीएम अनुराधा पाल ने बताया कि दाबू गांव के दिव्यांग भाईयों के बारे में पूरी जानकारी जुटाई जाएगी और उन्हें शौचालय और आवास योजना का लाभ दिलाने के साथ-साथ उचित इलाज का भी प्रबंध किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसको लेकर मुख्य विकास अधिकारी को निर्देश भी दे दिए गए हैं.

ये भी पढ़ें: पीएम आवास योजनाः शहरी विकास मंत्री ने 240 लोगों को बांटे घर, टिहरी के 30 लोगों की भी लगी लॉटरी

बागेश्वर में खुले में शौच को मजबूर दिव्यांग भाई

बागेश्वर: दिसंबर 2016 में बागेश्वर भले ही खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित हो गया हो. लेकिन जिले के अंतिम गांव दाबू में रहने वाले दो दिव्यांग भाई अभी भी खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं. सिस्टम की ऐसी बानगी कि उनके नाम का शौचालय किसी और को मिल गया और वो शौचालय से वंचित रह गए.

दोनों भाई पैरों से हैं लाचार: दिव्यांग दिनेश कुमार की उम्र 34 साल दिव्यांग जगदीश कुमार की उम्र 31 साल है. करीब 18 साल पहले उनके पिता मोहन राम की मौत हो गई थी. पिता के निधन के कुछ साल बाद 18 साल की उम्र में दिनेश कुमार के पैरों में दिक्कत आने लगी. दो साल बाद ही छोटे भाई जगदीश भी पैरों से लाचार हो गया. दोनों भाई अधिक चल-फिर नहीं सकते, लाठी के सहारे, दीवार पकड़कर किसी तरह वह घर के आसपास टहलते हैं.

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दिव्यांगों को सरकारी योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ: मां देवकी देवी ने बताया कि शौचालय नहीं होने से बारिश और रात के समय काफी दिक्कत होती है. उन्होंने कहा कि योजना का लाभ पाने वालों में उनका भी नाम था, लेकिन उनको लाभ नहीं मिला. वहीं, डीएम अनुराधा पाल ने बताया कि दाबू गांव के दिव्यांग भाईयों के बारे में पूरी जानकारी जुटाई जाएगी और उन्हें शौचालय और आवास योजना का लाभ दिलाने के साथ-साथ उचित इलाज का भी प्रबंध किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसको लेकर मुख्य विकास अधिकारी को निर्देश भी दे दिए गए हैं.

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Last Updated : Sep 23, 2023, 6:41 PM IST
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