बागेश्वर: दिसंबर 2016 में बागेश्वर भले ही खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित हो गया हो. लेकिन जिले के अंतिम गांव दाबू में रहने वाले दो दिव्यांग भाई अभी भी खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं. सिस्टम की ऐसी बानगी कि उनके नाम का शौचालय किसी और को मिल गया और वो शौचालय से वंचित रह गए.
दोनों भाई पैरों से हैं लाचार: दिव्यांग दिनेश कुमार की उम्र 34 साल दिव्यांग जगदीश कुमार की उम्र 31 साल है. करीब 18 साल पहले उनके पिता मोहन राम की मौत हो गई थी. पिता के निधन के कुछ साल बाद 18 साल की उम्र में दिनेश कुमार के पैरों में दिक्कत आने लगी. दो साल बाद ही छोटे भाई जगदीश भी पैरों से लाचार हो गया. दोनों भाई अधिक चल-फिर नहीं सकते, लाठी के सहारे, दीवार पकड़कर किसी तरह वह घर के आसपास टहलते हैं.
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दिव्यांगों को सरकारी योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ: मां देवकी देवी ने बताया कि शौचालय नहीं होने से बारिश और रात के समय काफी दिक्कत होती है. उन्होंने कहा कि योजना का लाभ पाने वालों में उनका भी नाम था, लेकिन उनको लाभ नहीं मिला. वहीं, डीएम अनुराधा पाल ने बताया कि दाबू गांव के दिव्यांग भाईयों के बारे में पूरी जानकारी जुटाई जाएगी और उन्हें शौचालय और आवास योजना का लाभ दिलाने के साथ-साथ उचित इलाज का भी प्रबंध किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसको लेकर मुख्य विकास अधिकारी को निर्देश भी दे दिए गए हैं.
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