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लोकसभा चुनाव का लिटमस टेस्ट होगा बागेश्वर का 'रण', सियासी दलों ने कसी कमर - BJP engaged in Lok Sabha elections

Bageshwar by election बागेश्वर उपचुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. इसी से लोकसभा चुनाव 2024 के लिए रणनीति तैयारियां की जाएगी. ऐसे में दोनों पार्टियां बागेश्वर उपचुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं. इसके लिए दोनों सियासी दल चुनावीं गुणा-भाग में लगे हैं.

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लोकसभा चुनाव का लिटमस टेस्ट होगा बागेश्वर का 'रण',
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 31, 2023, 8:26 PM IST

Updated : Aug 31, 2023, 9:59 PM IST

लोकसभा चुनाव का लिटमस टेस्ट होगा बागेश्वर का रण

बागेश्वर: 5 सितंबर को बागेश्वर उपचुनाव होना है, जिसकी दोनों भाजपा और कांग्रेस तैयारी कर रही हैं. दोनों पार्टियां उपचुनाव में कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं, क्योंकि इसी से 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी. जिससे कहा जा सकता है कि बागेश्वर उपचुनाव दोनों पार्टियों के लिए टेस्ट है, जबकि मुख्य परीक्षा लोकसभा चुनाव में है.

Bageshwar by election
बागेश्वर विधानसभा सीट का इतिहास

बागेश्वर उपचुनाव माना जा रहा लोकसभा का ट्रायल: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बागेश्वर उपचुनाव भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों के लिए बेहद अहम है, इसलिए दोनों पार्टियां लोकसभा चुनाव जीतने के लिए लाखों जतन करने लगी हैं.

Bageshwar by election
जानें कब-कब हुए बागेश्वर उपचुनाव

दोनों प्रमुख पार्टियां दिखा रही है दमखम: बागेश्वर उपचुनाव सत्ताधारी बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है. तो कांग्रेस इस चुनाव को जीतकर आगामी लोकसभा चुनाव के लिए खुद को मजबूत करने में जुटी हुई है. ऐसे में कह सकते हैं कि बागेश्वर उपचुनाव 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए महत्वपूर्ण है.

  • आज विधानसभा उपचुनाव के तहत गरुड़ मण्डल के ग्रामसभा #जोशीगाँव #बानरी, #चुपलाड़ी में जनसम्पर्क कर आगामी 5 सितम्बर को कमल के फूल के सामने बटन दबाकर भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में मतदान करने की अपील की।। pic.twitter.com/rVctPMpn5C

    — Parwati Chandan Ram Dass (@ChandanRamDass) August 31, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

ये भी पढ़ें: Bageshwar By Election चुनाव चिन्ह को लेकर UKD प्रत्याशी ने किया हंगामा, राष्ट्रीय राजमार्ग पर दिया धरना

चंदन रामदास की मौत के बाद बागेश्वर विधानसभा सीट खाली: कुमाऊं की बागेश्वर विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है. उत्तराखंड बनने के बाद वर्ष 2002 में यहां पहली बार हुए चुनाव हुए थे. जिसमें कांग्रेस के रामप्रसाद टम्टा ने जीत हासिल की थी. 2007 के दूसरे विधानसभा चुनाव में भाजपा के चंदन रामदास पहली बार जीतकर विधानसभा पहुंचे. उसके बाद उन्होंने पीछे मुढ़कर नहीं देखा. चंदन रामदास की मौत के बाद बागेश्वर विधानसभा सीट खाली हो गई थी.

ये भी पढ़ें: गले में दमाऊं डालकर प्रचार में उतरे हरीश रावत, बागेश्वर उपचुनाव में किया कांग्रेस की जीत का दावा

बनाये गये 172 मतदान केंद्र: बागेश्वर में 1 लाख 18 हजार 225 मतदाता हैं. इन में 60,045 पुरुष और 58, 180 महिलाएं हैं. सर्विस मतदाताओं की संख्या 2,207 है. जिनमें से महिला मतदाता 57 हैं. उपचुनाव के लिए यहां 172 मतदान केंद्र और 188 मतदेय स्थल बनाए गए हैं.

लोकसभा चुनाव का लिटमस टेस्ट होगा बागेश्वर का रण

बागेश्वर: 5 सितंबर को बागेश्वर उपचुनाव होना है, जिसकी दोनों भाजपा और कांग्रेस तैयारी कर रही हैं. दोनों पार्टियां उपचुनाव में कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं, क्योंकि इसी से 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी. जिससे कहा जा सकता है कि बागेश्वर उपचुनाव दोनों पार्टियों के लिए टेस्ट है, जबकि मुख्य परीक्षा लोकसभा चुनाव में है.

Bageshwar by election
बागेश्वर विधानसभा सीट का इतिहास

बागेश्वर उपचुनाव माना जा रहा लोकसभा का ट्रायल: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बागेश्वर उपचुनाव भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों के लिए बेहद अहम है, इसलिए दोनों पार्टियां लोकसभा चुनाव जीतने के लिए लाखों जतन करने लगी हैं.

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जानें कब-कब हुए बागेश्वर उपचुनाव

दोनों प्रमुख पार्टियां दिखा रही है दमखम: बागेश्वर उपचुनाव सत्ताधारी बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है. तो कांग्रेस इस चुनाव को जीतकर आगामी लोकसभा चुनाव के लिए खुद को मजबूत करने में जुटी हुई है. ऐसे में कह सकते हैं कि बागेश्वर उपचुनाव 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए महत्वपूर्ण है.

  • आज विधानसभा उपचुनाव के तहत गरुड़ मण्डल के ग्रामसभा #जोशीगाँव #बानरी, #चुपलाड़ी में जनसम्पर्क कर आगामी 5 सितम्बर को कमल के फूल के सामने बटन दबाकर भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में मतदान करने की अपील की।। pic.twitter.com/rVctPMpn5C

    — Parwati Chandan Ram Dass (@ChandanRamDass) August 31, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

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चंदन रामदास की मौत के बाद बागेश्वर विधानसभा सीट खाली: कुमाऊं की बागेश्वर विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है. उत्तराखंड बनने के बाद वर्ष 2002 में यहां पहली बार हुए चुनाव हुए थे. जिसमें कांग्रेस के रामप्रसाद टम्टा ने जीत हासिल की थी. 2007 के दूसरे विधानसभा चुनाव में भाजपा के चंदन रामदास पहली बार जीतकर विधानसभा पहुंचे. उसके बाद उन्होंने पीछे मुढ़कर नहीं देखा. चंदन रामदास की मौत के बाद बागेश्वर विधानसभा सीट खाली हो गई थी.

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बनाये गये 172 मतदान केंद्र: बागेश्वर में 1 लाख 18 हजार 225 मतदाता हैं. इन में 60,045 पुरुष और 58, 180 महिलाएं हैं. सर्विस मतदाताओं की संख्या 2,207 है. जिनमें से महिला मतदाता 57 हैं. उपचुनाव के लिए यहां 172 मतदान केंद्र और 188 मतदेय स्थल बनाए गए हैं.

Last Updated : Aug 31, 2023, 9:59 PM IST
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