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बारिश और ओलावृष्टि ने बढ़ाई काश्तकारों की परेशानी, धान की फसल बर्बाद - बागेश्वर धान की फसल बर्बाद

बागेश्वर जनपद के गरूड़ क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश और ओलावृष्टि से काश्तकारों की परेशानी बढ़ गई है. बारिश की वजह से खेतों में लगी धान की फसल बर्बाद हो गई है.

Rain and hailstorm increased problems
काश्तकारों की परेशानी
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Published : Oct 1, 2021, 7:59 PM IST

बागेश्वर: जिले में लगातार हो रही बारिश से किसानों को काफी नुकसान हो चुका है. अभी किसान फसल कटाई और उसकी मड़ाई के काम में जुटे हैं, लेकिन बेमौसम बारिश ने मुश्किलें बढ़ा दी है. कई किसानों की तो फसल बर्बाद हो चुकी है.

बागेश्वर जनपद के गरूड़ के अधिकांश हिस्सों में बीते दिनों से बारिश और ओलावृष्टि के चलते काश्तकारों की परेशानियां बढ़ गई है. काश्तकारों का कहना है कि बेमौसम बारिश के चलते न तो धान की कटाई हो पा रही है, न ही धान की मड़ाई हो पा रही है. जो काश्तकार धान के बीज को बेचते थे, उन्हें खासा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें: भारत-चीन बॉर्डर के सीमांत गांवों में महंगाई की मार, 130 रु किलो नमक, 150 रु किलो है आटा

काश्तकारों के खेत इन दिनों पानी से लबालब भरे हैं. जिससे धान की फसल अधिकतर खराब हो चुकी है. ऐसे में लगातार काश्तकारों को बेमौसम बारिश का डर सता रहा है. काश्तकारों ने कहा कि उनके द्वारा की जा रही 6 महीने की मेहनत पर पानी फिर गया है. जिससे किसानों के चेहरे की रौनक गायब हो गई है.

ऐसे में काश्तकार को खेतीबाड़ी के कामकाज में भारी नुकसान हो रहा है. कभी जंगली जानवर और बंदर फसल बर्बाद कर देते हैं तो कभी बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के चलते फसलों को नुकसान पहुंचता है.

बागेश्वर: जिले में लगातार हो रही बारिश से किसानों को काफी नुकसान हो चुका है. अभी किसान फसल कटाई और उसकी मड़ाई के काम में जुटे हैं, लेकिन बेमौसम बारिश ने मुश्किलें बढ़ा दी है. कई किसानों की तो फसल बर्बाद हो चुकी है.

बागेश्वर जनपद के गरूड़ के अधिकांश हिस्सों में बीते दिनों से बारिश और ओलावृष्टि के चलते काश्तकारों की परेशानियां बढ़ गई है. काश्तकारों का कहना है कि बेमौसम बारिश के चलते न तो धान की कटाई हो पा रही है, न ही धान की मड़ाई हो पा रही है. जो काश्तकार धान के बीज को बेचते थे, उन्हें खासा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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काश्तकारों के खेत इन दिनों पानी से लबालब भरे हैं. जिससे धान की फसल अधिकतर खराब हो चुकी है. ऐसे में लगातार काश्तकारों को बेमौसम बारिश का डर सता रहा है. काश्तकारों ने कहा कि उनके द्वारा की जा रही 6 महीने की मेहनत पर पानी फिर गया है. जिससे किसानों के चेहरे की रौनक गायब हो गई है.

ऐसे में काश्तकार को खेतीबाड़ी के कामकाज में भारी नुकसान हो रहा है. कभी जंगली जानवर और बंदर फसल बर्बाद कर देते हैं तो कभी बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के चलते फसलों को नुकसान पहुंचता है.

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