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Khadi Holi: चीर बंधन के साथ बागनाथ मंदिर में खड़ी होली की शुरुआत, होल्यारों ने गीतों से बांधा समां

बागेश्वर के बागनाथ मंदिर में चीर बंधन के साथ खड़ी होली की शुरुआत हो गई. इस दौरान मंदिर परिसर में होल्यारों ने होली की पारंपरिक गीतों से समां बांध दिया. बता दें की कुमाऊं में खड़ी होली की परंपरा सदियों पुरानी है. कुमाऊं के कई जिलों में खड़ी होली खेली जाती है, जो उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर भी है.

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Published : Mar 2, 2023, 5:38 PM IST

Updated : Mar 2, 2023, 5:57 PM IST

चीर बंधन के साथ बागनाथ मंदिर में खड़ी होली की शुरुआत

बागेश्वर: जिले में चीर बंधन और रंग धारण करने के साथ ही खड़ी होली गायन की शुरुआत हो गई है. बागेश्वर के बागना‌थ मंदिर समेत विभिन्न देवस्थानों और ग्रामीण अंचलों में होली के खालों में चीर बांधकर होल्यारों ने खड़ी होली गायन किया. छलड़ी तक जिले में होली गायन की धूम रहेगी. इस दौरान होल्यारों ने भगवान शिव को अबीर-गुलाल अर्पित कर सबके जीवन में होली के रंगों की तरह खुशियां देने का आशीर्वाद मांगा.

बागनाथ मंदिर परिसर में होल्यारों ने चीर बंधन के बाद भगवान शिव को अबीर, गुलाल अर्पित कर होली गायन किया. होल्यारों ने कैलै बांधी चीर हो रघुनंदन राजा... और सिद्धि के दाता विघ्न विनाशन खेले होरी... सहित कई होली गीतों का गायन किया. जिले के ग्रामीण अंचलों में होली की खालों में लोगों ने चीर बंधन कर होली गायन की शुरुआत की. चीर बंधन से पूर्व होल्यारों ने होली के कपड़ों पर रंग धारण किया. चीर बंधन के साथ शुरू हुई होली छलड़ी की पहली शाम तक चलेगा. इस दौरान पुरुष और महिला होल्यारों की टोली घर-घर जाकर होली गीतों का गायन करेंगी.

जिला मुख्यालय और ग्रामीण अंचलों के साथ गरुड़, कांडा, कपकोट, काफलीगैर और दुग नाकुरी तहसील क्षेत्र के गांवों में भी होली गायन की शुरुआत हो गई है. बाबा बागनाथ मंदिर में चीर बंधन कार्यक्रम हुआ. होल्यारों ने होली गीत गाते हुए चीर बांधी. इससे पहले भगवान शिव की विधिवत पूजा अर्चना कर अबीर, गुलाल और रंग अर्पित किया गया.
ये भी पढ़ें: Kumaoni Holi: नई पीढ़ी पर चढ़ा कुमाऊंनी होली का रंग, बच्चों ने जबरदस्त राग गाकर लूटी महफिल, देखें VIDEO

नैनीताल में होली का रंग चढ़ने के साथ-साथ कुमाऊंनी होली अपने रंग में आने लगी है. नैनीताल रंगमंच ने मां नैना देवी मंदिर से होली महोत्सव का शुभारंभ किया. जिसमें कुमाऊं के दूरदराज के क्षेत्रों से होल्यार पहुंचे. कुमाऊं की खड़ी होली का अपना ही अलग रंग है. हालांकि, पिछले कुछ सालों में रीति-रिवाज परंपराओं में बदलाव आए है, लेकिन आज भी ये होली लोगों के लिए नजीर बनी हुई है. पहाड़ों में आज भी खड़ी होली की परंपरा कायम है.

कुमाऊं की खड़ी होली शिवरात्री के बाद चीर बंधन के साथ शुरू होती है, जो छलडी तक चलती है. होल्यार गांव के हर घर में जाकर होली का गायन करते है. साथ ही सभी परिवारों को अपना आशीष भी देते है. चंद शासन काल से यह परंपरा चली आ रही है, जो आज भी अपने महत्व को कुमाऊं की वादियों में समेटे हुए है. बता दें कि कुमाऊं की खड़ी होली का इतिहास 400 साल से पुराना है. कुमाऊं में चंपावत, पिथौरागढ़ अल्मोड़ा और बागेश्वर में इस होली का आयोजन किया जाता है.

राग दादरा और राग कहरवा में गाये जाने वाले इस होली गायन में कृष्ण राधा राजा, हरिशचन्द्र, श्रवण कुमार समेत रामायण और महाभारत काल की गाथाओं का वर्णन किया जाता है. इतना ही नहीं नैनीताल की होली में सर्व धर्म एकता की मिसाल देखने को भी मिलती है. यहां सभी धर्म समुदाय के लोग मिल जुलकर होली का त्यौहार मानते हैं. नैनीताल में स्थानीय लोगों के साथ-साथ यहां आए पर्यटक भी यहां की होली और कुमाऊंनी सभ्यता से रूबरू होते हैं.

चीर बंधन के साथ बागनाथ मंदिर में खड़ी होली की शुरुआत

बागेश्वर: जिले में चीर बंधन और रंग धारण करने के साथ ही खड़ी होली गायन की शुरुआत हो गई है. बागेश्वर के बागना‌थ मंदिर समेत विभिन्न देवस्थानों और ग्रामीण अंचलों में होली के खालों में चीर बांधकर होल्यारों ने खड़ी होली गायन किया. छलड़ी तक जिले में होली गायन की धूम रहेगी. इस दौरान होल्यारों ने भगवान शिव को अबीर-गुलाल अर्पित कर सबके जीवन में होली के रंगों की तरह खुशियां देने का आशीर्वाद मांगा.

बागनाथ मंदिर परिसर में होल्यारों ने चीर बंधन के बाद भगवान शिव को अबीर, गुलाल अर्पित कर होली गायन किया. होल्यारों ने कैलै बांधी चीर हो रघुनंदन राजा... और सिद्धि के दाता विघ्न विनाशन खेले होरी... सहित कई होली गीतों का गायन किया. जिले के ग्रामीण अंचलों में होली की खालों में लोगों ने चीर बंधन कर होली गायन की शुरुआत की. चीर बंधन से पूर्व होल्यारों ने होली के कपड़ों पर रंग धारण किया. चीर बंधन के साथ शुरू हुई होली छलड़ी की पहली शाम तक चलेगा. इस दौरान पुरुष और महिला होल्यारों की टोली घर-घर जाकर होली गीतों का गायन करेंगी.

जिला मुख्यालय और ग्रामीण अंचलों के साथ गरुड़, कांडा, कपकोट, काफलीगैर और दुग नाकुरी तहसील क्षेत्र के गांवों में भी होली गायन की शुरुआत हो गई है. बाबा बागनाथ मंदिर में चीर बंधन कार्यक्रम हुआ. होल्यारों ने होली गीत गाते हुए चीर बांधी. इससे पहले भगवान शिव की विधिवत पूजा अर्चना कर अबीर, गुलाल और रंग अर्पित किया गया.
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नैनीताल में होली का रंग चढ़ने के साथ-साथ कुमाऊंनी होली अपने रंग में आने लगी है. नैनीताल रंगमंच ने मां नैना देवी मंदिर से होली महोत्सव का शुभारंभ किया. जिसमें कुमाऊं के दूरदराज के क्षेत्रों से होल्यार पहुंचे. कुमाऊं की खड़ी होली का अपना ही अलग रंग है. हालांकि, पिछले कुछ सालों में रीति-रिवाज परंपराओं में बदलाव आए है, लेकिन आज भी ये होली लोगों के लिए नजीर बनी हुई है. पहाड़ों में आज भी खड़ी होली की परंपरा कायम है.

कुमाऊं की खड़ी होली शिवरात्री के बाद चीर बंधन के साथ शुरू होती है, जो छलडी तक चलती है. होल्यार गांव के हर घर में जाकर होली का गायन करते है. साथ ही सभी परिवारों को अपना आशीष भी देते है. चंद शासन काल से यह परंपरा चली आ रही है, जो आज भी अपने महत्व को कुमाऊं की वादियों में समेटे हुए है. बता दें कि कुमाऊं की खड़ी होली का इतिहास 400 साल से पुराना है. कुमाऊं में चंपावत, पिथौरागढ़ अल्मोड़ा और बागेश्वर में इस होली का आयोजन किया जाता है.

राग दादरा और राग कहरवा में गाये जाने वाले इस होली गायन में कृष्ण राधा राजा, हरिशचन्द्र, श्रवण कुमार समेत रामायण और महाभारत काल की गाथाओं का वर्णन किया जाता है. इतना ही नहीं नैनीताल की होली में सर्व धर्म एकता की मिसाल देखने को भी मिलती है. यहां सभी धर्म समुदाय के लोग मिल जुलकर होली का त्यौहार मानते हैं. नैनीताल में स्थानीय लोगों के साथ-साथ यहां आए पर्यटक भी यहां की होली और कुमाऊंनी सभ्यता से रूबरू होते हैं.

Last Updated : Mar 2, 2023, 5:57 PM IST
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