बागेश्वर: जिले में वनाग्नि की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है. बीते दो दिनों में आग लगने की पांच नई घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिसके बाद वनाग्नि की घटनाएं बढ़कर अब 160 हो गई हैं. वनाग्नि से जिले के 220 हेक्टयेर जंगल जलकर राख हो चुके हैं. वहीं, घाटी वाले इलाकों में जंगल की आग की वजह से धुआं भर गया है. जिसके कारण यहां के लोगों में सांस, आंख और एलर्जी की बीमारियां होने लगी हैं.
दरअसल, बागेश्वर जंगलों के जलने का सिलसिला लगातार जारी है. जिले के तीनों विकास खंडों के जंगलों में आग की लपटें धधक रही हैं. हालांकि वन विभाग वनाग्नि को रोकने के लिए लगातार प्रयास तो कर रहा है. लेकिन उसके सभी प्रयास असफल साबित हो रहे हैं. हालांकि विभाग ने 29 क्रू-स्टेशनों में 180 से अधिक फायर वॉचर तैनात कर रखे हैं. वहीं, बाकी के कर्मचारियों की छुट्टियों पर भी रोक लगाई गई है. इसके बाद भी वनाग्नि थमने का नाम नहीं ले रही है.
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जानाकारी के मुताबिक वन विभाग को वनाग्नि से अब तक करीब 6 लाख 61 हजार की चपत लग चुकी है. लगातार धधक रहे जंगल ग्रामीणों की डर का कारण भी बने हुए हैं. स्थानीय लोगों को मवेशियों के लिए चारा लाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, जंगलों की आग से उठने वाले धुएं ने स्थानीय ग्रामीणों की दिक्कतों और बढ़ा दी हैं. गरुड़ और बागेश्वर मुख्यालय में पर्यावरण प्रदूषित हो गया है, जिसके कारण लोगों को सांस, आंख और एलर्जी से संबंधित बीमारियां होने लगी है.