बागेश्वर/पौड़ीः उत्तराखंड में जैसे ही बारिश थमती है, वैसे ही जंगल फिर से धधकने लगते हैं. इनदिनों भी बागेश्वर, पौड़ी समेत अन्य जिलों में आग की घटनाएं देखने को मिल रही है. बागेश्वर जिले में जंगलों में आग की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है. विभाग कर्मचारियों की कमी से आग की घटनाओं को पूरी तरह से काबू नहीं कर पा रहा है. वन विभाग आधे कर्मियों के साथ वनों को बचाने में लगा है.
बता दें कि इस साल बागेश्वर जिले में लगातार बारिश हुई और मार्च से मई तक जंगल में आग की मात्र 19 घटनाएं हुईं. जो आग की घटनाएं थीं, वो जून महीने में बारिश के असर से कम हुआ, लेकिन अब गर्मी बढ़ी तो जंगलों के जलने का सिलसिला भी तेज हो गया. जून महीने के शुरुआत के ही दिनों में आग की 22 घटनाएं दर्ज हो गईं. जंगलों को आग से बचाने के लिए वन विभाग की टीम काम तो कर रही है. लेकिन कर्मियों की कमी की वजह से आग पर काबू पाना मुश्किल हो रहा है.
जंगलों को आग से बचाने के लिए वन दरोगा और वनरक्षक का अहम योगदान रहता है, लेकिन बागेश्वर जिले में वन दरोगाओं के आधे पद खाली हैं और वनरक्षकों के 18 पद रिक्त हैं. जबकि, वनरक्षकों के 67 पद स्वीकृत हैं. वन विभाग में अन्य 12 पद भी खाली हैं. जिनमें सहायक वन संरक्षक, प्रधान सहायक, वरिष्ठ सहायक, वैयक्तिक सहायक, लेखाकार, सहायक लेखाकार, सहायक संख्या अधिकारी, मानचित्रकार, अर्दली, डाकिया और चालक के पद खाली हैं.
वहीं, एसीएफ अशोक बिष्ट ने बताया कि विभाग के सभी खाली पदों का विवरण आयोग को भेजा गया है. वन दरोगा पद पर नई नियुक्ति होने के बाद खाली पद भी भर जाएंगे. अन्य खाली पद भी जल्द भरे जाने की उम्मीद है. गौर हो कि वन दरोगाओं के स्वीकृत 62 पदों के सापेक्ष 31 पद खाली हैं. जबकि, वनरक्षकों के भी स्वीकृत 67 पदों के सापेक्ष 18 पद खाली होने से विभागीय कार्य प्रभावित हो रहे हैं.
पौड़ी के चमासू जंगल में भड़की आगः पौड़ी के नगर पंचायत सतपुली के उखलेत चमासू के जंगलों में अचानक भीषण आग लग गई. जिससे देखते ही देखते जंगल का सैकड़ों हेक्टेयर क्षेत्र में वन संपदा जलकर खाक हो गई. वनाग्नि की चपेट में आने से पॉलिटेक्निक कॉलेज भी बाल-बाल बचा. स्थानीय लोगों के लाख कोशिशों के बाद भी जंगल में लगी आग पर काबू नहीं पाया जा सका. जिसके बाद दमकल विभाग की टीम को बुलाना पड़ा, तब जाकर कहीं आग पर नियंत्रण पाया गया.
पूर्व प्रधान चमासू प्रताप सिंह का कहना है कि यह आग आस पास के असामाजिक तत्वों की ओर से लगाई जाती है. इससे पहले भी असामाजिक तत्व कई बार जंगलों में आग लगा चुके हैं. वनाग्नि की सूचना प्रशासन को दी गई. जिसके बाद राजस्व और वन विभाग की टीमें मौके पर पहुंची. इसके अलावा कॉलेज परिसर के पास पहुंची वनाग्नि को रोकने के लिए फायर सर्विस की टीम बुलानी पड़ी. जिसके बाद दमकल विभाग की टीम ने वनाग्नि पर नियंत्रण पाया.
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वहीं, राजस्व निरीक्षक वेदप्रकाश पटवाल का कहना है कि इस संबंध में ग्रामीणों से पूछताछ की जाएगी. इससे पहले भी वनाग्नि को लेकर ग्रामीणों को सचेत किया गया था. साथ ही जंगलों में आग न लगाने के लिए जागरूक किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि वनाग्नि की घटनाएं नहीं रुकी तो असामाजिक तत्वों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा.