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सिर्फ 8 महीने में ढह गया 10 लाख की लागत से बना फ्लोटिंग पुल - फ्लोटिंग ब्रिज

बागेश्वर के बैजनाथ झील पर 10 लाख रुपये की लागत से बना पुल सिर्फ 8 महीने में ही ढह गया. वहीं, जिलाधिकारी रंजना राजगुरु का कहना है कि मामले की जांच कार्रवाई जाएगी.

बैजनाथ झील पर बना फ्लोटिंग ब्रिज टूटा.
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Published : Jul 29, 2019, 7:29 PM IST

बागेश्वर: गोमती नदी के बैजनाथ झील पर बना फ्लोटिंग ब्रिज टूट गया है. कुमाऊं मंडल विकास निगम ने 10 लाख रुपये की लगात से इस बिज्र का निर्माण 8 महीने पहले किया था. जोकि नदी का जलस्तर बढ़ने की वजह से ढह गया. वहीं, जिलाधिकारी रंजना राजगुरू का कहना है कि जांच के लिए टीम का गठन किया जा रहा है. जांच पूरी होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

बैजनाथ झील पर बना फ्लोटिंग ब्रिज टूटा.

बता दें कि इस ब्रिज को फ्लोटिंग ब्रिज इसलिए कहा जाता था, क्योंकि ये पानी के उपर हिलता-डुलता रहता है. गोमती नदी का जलस्तर बढ़ने से यह पुल अपनी वास्तविक जगह से 40 मीटर आगे बहकर क्षतिग्रस्त हो गया. जोकि अब पूरी तरह खराब हो चुका है.

पढ़ें: वर्ल्ड टाइगर डे पर PM मोदी ने जारी किए आंकड़ें, 10 साल में उत्तराखंड में दोगुनी हुई बाघों की संख्या

वहीं, जिलाधिकारी रंजना राजगुरु का कहना है कि गरुड़ एडीएम की अध्यक्षता में जांच टीम का गठन किया जा रहा है. जांच पूरी होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

बागेश्वर: गोमती नदी के बैजनाथ झील पर बना फ्लोटिंग ब्रिज टूट गया है. कुमाऊं मंडल विकास निगम ने 10 लाख रुपये की लगात से इस बिज्र का निर्माण 8 महीने पहले किया था. जोकि नदी का जलस्तर बढ़ने की वजह से ढह गया. वहीं, जिलाधिकारी रंजना राजगुरू का कहना है कि जांच के लिए टीम का गठन किया जा रहा है. जांच पूरी होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

बैजनाथ झील पर बना फ्लोटिंग ब्रिज टूटा.

बता दें कि इस ब्रिज को फ्लोटिंग ब्रिज इसलिए कहा जाता था, क्योंकि ये पानी के उपर हिलता-डुलता रहता है. गोमती नदी का जलस्तर बढ़ने से यह पुल अपनी वास्तविक जगह से 40 मीटर आगे बहकर क्षतिग्रस्त हो गया. जोकि अब पूरी तरह खराब हो चुका है.

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वहीं, जिलाधिकारी रंजना राजगुरु का कहना है कि गरुड़ एडीएम की अध्यक्षता में जांच टीम का गठन किया जा रहा है. जांच पूरी होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

Intro:एंकर - बागेश्वर सरकार के जीरो टॉलरेंस को ठेंगा, गरुड़ ब्लॉक के व ज़िले के विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल बैजनाथ धाम में 8 माह पूर्व 10 लाख की लागत से झील में बना फ्लोटिंग ब्रिज हल्की बाढ़ में बह गया ।

वीओ- प्रदेश सरकार जीरो टॉलरेंस पर बड़े-बड़े दावे कर रही हैं। सरकार के मंत्री आए दिन मंचो से जीरो टॉलरेंस पर वाहवाही लुटाते है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयाँ करती हैं। आवाम निर्माण कार्यो में गुणवत्ताहीन सामग्री के प्रयोग पर आए दिन शासन-प्रशासन पर आरोप लगाती नजर आती रही हैं। विश्व प्रसिद्ध बाबा बैजनाथ में कुमाऊँ मण्डल विकास निगम ने कुछ माह पूर्व में 10 लाख की लागत से गोमती नदी पर बनें बैजनाथ झील के बीचों बीच एक फ्लोटिंग ब्रिज का निर्माण किया। इस पुल की खासियत थी कि यह पानी में हिलता दुलता था। जिस कारण इसे फ्लोटिंग ब्रिज कहा गया। गोमती नदी के जलस्तर बढ़ने से यह पुल अपनी वास्तविक जगह से 40 मीटर आगे बहकर उल्टा पल्ट कर क्षतिग्रस्त हो गया। अब किसी काम का न रहा। अब सवाल उठना लाज़मी है।मात्र 8 माह में ही 10 लाख की लागत से बनें फ्लोटिंग ब्रिज का बहना क्षेत्रवासियों के गले नही उतर रहा हैं। वहीं क्षेत्रवासियों का कहना हैं कि एकतरफ सरकार भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश के दावे करती है और दूसरी ओर पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर कुमाऊँ मण्डल विकास निगम द्वारा सरकारी धन की बन्दरबाँट की जा रही है। इस ब्रिज की निर्माण गुणवत्ता की शासन-प्रशासन द्वारा निष्पक्ष जाँच की जानी चाहिए ऐसा न होने पर स्थनीय लोग उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे।

बाइट - 1 - रंजना राजगुरू,जिलाधिकारी।Body:वीओ- प्रदेश सरकार जीरो टॉलरेंस पर बड़े-बड़े दावे कर रही हैं। सरकार के मंत्री आए दिन मंचो से जीरो टॉलरेंस पर वाहवाही लुटाते है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयाँ करती हैं। आवाम निर्माण कार्यो में गुणवत्ताहीन सामग्री के प्रयोग पर आए दिन शासन-प्रशासन पर आरोप लगाती नजर आती रही हैं। विश्व प्रसिद्ध बाबा बैजनाथ में कुमाऊँ मण्डल विकास निगम ने कुछ माह पूर्व में 10 लाख की लागत से गोमती नदी पर बनें बैजनाथ झील के बीचों बीच एक फ्लोटिंग ब्रिज का निर्माण किया। इस पुल की खासियत थी कि यह पानी में हिलता दुलता था। जिस कारण इसे फ्लोटिंग ब्रिज कहा गया। गोमती नदी के जलस्तर बढ़ने से यह पुल अपनी वास्तविक जगह से 40 मीटर आगे बहकर उल्टा पल्ट कर क्षतिग्रस्त हो गया। अब किसी काम का न रहा। अब सवाल उठना लाज़मी है।मात्र 8 माह में ही 10 लाख की लागत से बनें फ्लोटिंग ब्रिज का बहना क्षेत्रवासियों के गले नही उतर रहा हैं। वहीं क्षेत्रवासियों का कहना हैं कि एकतरफ सरकार भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश के दावे करती है और दूसरी ओर पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर कुमाऊँ मण्डल विकास निगम द्वारा सरकारी धन की बन्दरबाँट की जा रही है। इस ब्रिज की निर्माण गुणवत्ता की शासन-प्रशासन द्वारा निष्पक्ष जाँच की जानी चाहिए ऐसा न होने पर स्थनीय लोग उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे।

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