बागेश्वर: कोरोनाकाल में जहां प्रदेश के पर्यटन स्थल वीरान नजर आ रहे हैं, वहीं सहस्त्रधारा और भद्रतुंगा में देश-विदेश से पर्यटकों के आने का सिलसिला जारी है. अप्रैल और मई में 500 से अधिक श्रद्धालुओं ने यहां की यात्रा की. वर्तमान में 51 लोग यहां रहकर मां सरयू की उपासना कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पारिवारिक गुरु संत अभिराम दास त्यागी 11 मई से भद्रतुंगा में साधना कर रहे हैं.
संत अभिराम दास त्यागी श्रद्धालुओं को सरयू की महिमा की जानकारी दे रहे हैं. वह 13 जून यानी आज तक भद्रतुंगा में उपासना करेंगे और 14 जून को गुजरात के लिए प्रस्थान करेंगे, पिछले दो महीनों के दौरान हरिद्वार, अयोध्या, गुजरात आदि स्थानों से आए साधु-संतों ने भी सरयू में डुबकी लगाकर मां सरयू की पूजा-उपासना की.
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सरयू के उद्गमस्थल पहुंच रहे उपासक
सरयू नदी का उद्गमस्थल सरमूल-सहस्त्रधारा व भद्रतुंगा में उपासकों का लगातार आना जारी है. इन्हीं उपासकों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पारिवारिक गुरु महामंडलेश्वर अभिराम दास त्यागी भी शामिल हैं, उन्हें सिद्धि प्राप्त संत बताया जाता है.
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सरमूल की महिमा
सरयू नदी के उद्गम स्थल सरमूल-सहस्त्रधारा और भद्रतुंगा धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में जिले का प्रमुख स्थल बन रहा है. पावन सरयू नदी का उद्गमस्थल सरमूल-सहस्त्रधारा कपकोट के दूरस्थ गांव झूनी से आगे पड़ता है. सरमूल जाने के लिए बागेश्वर से पतियासार तक पक्की सड़क है. पतियासार से भद्रतुंगा तक 5 किमी कच्ची सड़क बनी है.
वहां से 7 किमी की पैदल दूरी पर सहस्त्रधारा है. सरमूल की एक पहाड़ी से जल सौ धाराओं में विभक्त होकर नीचे गिरता है, जहां जलधारा गिरती है, उस स्थान को सहस्त्रधारा कहा जाता है. सरयू नदी का उल्लेख महर्षि वेद व्यास रचित स्कंदपुराण के मानसखंड में भी है.
मानसखंड में सरयू महात्म्य नाम से अलग से अध्याय है. सहस्त्रधारा के पास में सरयू के साथ ही अन्य देवी-देवताओं के मंदिर बने हैं. यहां से जलधारा सरयू नदी के रूप में भद्रतुंगा होते हुए सौंग, कपकोट, हरसीला होते हुए बागेश्वर पहुंचती है. पिथौरागढ़ के घाट, पंचेश्वर होते हुए टनकपुर में शारदा में मिल जाती है.