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Uttarayani Mela: बागेश्वर में उत्तरायणी मेले का रंगारंग आगाज, CM धामी ने किया शुभारंभ - कुली बेगार

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बागेश्वर में लगने वाले उत्तरायणी मेले का उद्घाटन किया. इस मौके पर शहर में रंगारंग झांकियां निकाली गईं. सांस्कृतिक दलों ने कुमाऊंनी संस्कृति और सभ्यता को झांकी के माध्यम से प्रस्तुत किया. कोरोना के कारण दो साल बाद लगा उत्तरायणी मेला इस बार 10 दिनों तक चलेगा.

Uttarayani Fair
उत्तरायणी मेला
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Published : Jan 14, 2023, 4:02 PM IST

Updated : Jan 14, 2023, 8:52 PM IST

बागेश्वर: ऐतिहासिक नगरी बागेश्वर में लगने वाले उत्तरायणी मेले (Uttarayani Fair) का मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने वर्चुवल रूप से उद्घाटन किया. इस मौके पर रंगारंग झांकियां निकाली गईं. जिलाधिकारी ने झांकियों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. मुख्य बाजार से होते हुए झांकियां नुमाइशखेत मैदान पहुंचीं. एतिहासिक, सांस्कृतिक परिवेश को अपने में समेटे झांकियों ने सभी का मन मोह लिया. इस मौके पर सीएम धामी ने कहा कि बाबा बागनाथ की यह धरती पवित्र है. यहीं से साल 1921 में अंग्रेजों के खिलाफ आजादी का बिगुल फूंका गया था. उन्होंने नुमाइश मैदान में लगे सरकारी स्टॉलों एवं किसानों के उत्पादों की प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया.

इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि साल 2921 में यहीं से अंग्रेजों के खिलाफ आजादी का बिगुल फूंका गया था. उन्होंने कहा की सांस्कृतिक धार्मिक नगरी बाबा बागनाथ के महत्त्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा की वह मेले में जाने के बड़े शौकीन है और आज भी आने का काफी मन था पर किसी कारण नहीं आ पाया, जल्द आपने सामने आने का प्रयास करूंगा.

उन्होंने बताया की उत्तरायणी मेले के लिए विशेष कार्य करने के निर्देश दिए थे. पीएम मोदी के निर्देशन में लगातार उत्तराखंड के विकास का कार्य किया जा रहा है. उन्होंने आह्वान किया की सभी मिलकर उत्तराखंड को देश का नंबर वन राज्य बनाने का संकल्प लेने का लेने को कहा है. पहाड़ में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बेहतर रोजगार और स्वरोजगार के लिए काम करने की बात कही है. साथ ही उन्होंने रोजगार मांगने की जगह देने के लिए काम करने वाले बनाने की बात कही है.

सीएम धामी ने घोषणा करते हुए कहा की विधानसभा बागेश्वर में टनकपुर रेल लाइन के कार्य में तेजी लाने का काम किया जाएगा. गोलू मार्केट का विनियमिकरण किया जाएगा. बागेश्वर में खेल मैदान का काम किया जाएगा. बालीघाट धरमघर मोटर मार्ग का जीर्णोद्वार किया जाएगा. इस मौके पर भाजपा राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत गौतम ने बताया कि भाजपा पीएम मोदी के नेतृत्व में लगातार राष्ट हित में काम कर रही है. बागेश्वर का उत्तरायणी मेला प्रदेश में ही नही देश व विदेश में भी विख्यात है. प्रदेश सरकार भी लगातार जनता के हितों में काम किया जा रहा है. आगे भी बेहतर कार्य किया जाएगा.

सांसद अजय टम्टा ने कहा कि जनता के कार्यों को करते के लिए पार्टी प्रतिब्ध है और विकास कार्यों को लगातार बढ़ाने का काम किया जाएगा. उन्होंने कहा की पीएम मोदी उत्तराखंड के लिए विशेष सहयोग देते है, जिसके लिए वह उनका हार्दिक धन्यवाद करते हैं. उन्होंने कहा की जल्द ही बागेश्वर-टनकपुर रेल लाइन का कार्य शुरू किया जाएगा.

उत्तराखंड की काशी के नाम से प्रसिद्ध है बागेश्वर: पौराणिक धरोहरों को समेटे उत्तराखंड की काशी के नाम से प्रसिद्ध बागेश्वर में माघ माह में होने वाले उत्तरायणी मेले की अलग ही पहचान है. सरयू, गोमती और विलुप्त सरस्वती के संगम तट पर बसे शिवनगरी बागेश्वर में हर साल मकर संक्रांति के दिन से आठ दिन का मेला लगता था, इस बार दो वर्ष बाद हो रहा मेला दस दिन तक चलेगा.

उत्तरायणी मेले के शुभारंभ पर रंगारंग झांकियां निकलीं. इन झांकियों में मदकोट का विशाल नगाड़े के साथ ही दारमा के कलाकारों का नृत्य, स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत झोड़ा, चांचरी और विभिन्न स्कूलों द्वारा पेश किया गया. भांगड़ा, झोड़ा-चांचरी पेश करती स्थानीय महिलाएं, रं समुदाय की महिलाएं, छोलिया नृतकों ने सभी का मन मोह लिया.

विभिन्न क्षेत्रों से आये सांस्कृतिक दलों ने कुंमाउंनी संस्कृति और सभ्यता को झांकी के माध्यम से प्रस्तुत किया गया. दलों की टोलियों ने बाबा बागनाथ मंदिर में भी पूजा अर्चना की. झांकी तहसील परिसर से गोमती पुल, स्टेशन रोड, कांडा माल रोड़, सरयू पुल, दूग बाजार होते हुए नुमाइशखेत पहुंची. झांकी में जोहार संस्कृति पर आधारित लोक संगीत आकर्षक का केंद्र रही. झांकी में विकास प्रदर्शनी सहित विद्यालयों के बैंड आदि ने भी प्रतिभाग किया.
ये भी पढ़ें- Rajnath in Dehradun: रक्षा मंत्री ने किया शौर्य स्थल का लोकार्पण, बोले- वीरों के आगे झुकता है सिर

गौरतलब है कि कुली बेगार का अंत उत्तरायणी मेले के दौरान 14 जनवरी, 1921 में कुमाऊं केसरी बद्री दत्त पांडे की अगुवाई में हुआ था. इसका प्रभाव पूरे उत्तराखंड में था. कुमाऊं मण्डल में इस कुप्रथा की कमान बद्री दत्त पांडे जी के हाथ में थी. वहीं, गढ़वाल मंडल में इसकी कमान अनुसूइया प्रसाद बहुगुणा के हाथों में थी. 13 जनवरी 1921 को संक्रांति के दिन एक बड़ी सभा हुई और 14 जनवरी को कुली बेगार के रजिस्टरों को सरयू में प्रवाहित कर कुली बेगार का अंत किया गया. 28 जून, 1929 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने बागेश्वर की यात्रा की और ऐतिहासिक नुमाइशखेत में सभा कर इस अहिंसक आंदोलन की सफलता पर लोगों के प्रति कृतज्ञता जता इसे रक्तहीन क्रांति कहा था.

बागेश्वर: ऐतिहासिक नगरी बागेश्वर में लगने वाले उत्तरायणी मेले (Uttarayani Fair) का मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने वर्चुवल रूप से उद्घाटन किया. इस मौके पर रंगारंग झांकियां निकाली गईं. जिलाधिकारी ने झांकियों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. मुख्य बाजार से होते हुए झांकियां नुमाइशखेत मैदान पहुंचीं. एतिहासिक, सांस्कृतिक परिवेश को अपने में समेटे झांकियों ने सभी का मन मोह लिया. इस मौके पर सीएम धामी ने कहा कि बाबा बागनाथ की यह धरती पवित्र है. यहीं से साल 1921 में अंग्रेजों के खिलाफ आजादी का बिगुल फूंका गया था. उन्होंने नुमाइश मैदान में लगे सरकारी स्टॉलों एवं किसानों के उत्पादों की प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया.

इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि साल 2921 में यहीं से अंग्रेजों के खिलाफ आजादी का बिगुल फूंका गया था. उन्होंने कहा की सांस्कृतिक धार्मिक नगरी बाबा बागनाथ के महत्त्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा की वह मेले में जाने के बड़े शौकीन है और आज भी आने का काफी मन था पर किसी कारण नहीं आ पाया, जल्द आपने सामने आने का प्रयास करूंगा.

उन्होंने बताया की उत्तरायणी मेले के लिए विशेष कार्य करने के निर्देश दिए थे. पीएम मोदी के निर्देशन में लगातार उत्तराखंड के विकास का कार्य किया जा रहा है. उन्होंने आह्वान किया की सभी मिलकर उत्तराखंड को देश का नंबर वन राज्य बनाने का संकल्प लेने का लेने को कहा है. पहाड़ में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बेहतर रोजगार और स्वरोजगार के लिए काम करने की बात कही है. साथ ही उन्होंने रोजगार मांगने की जगह देने के लिए काम करने वाले बनाने की बात कही है.

सीएम धामी ने घोषणा करते हुए कहा की विधानसभा बागेश्वर में टनकपुर रेल लाइन के कार्य में तेजी लाने का काम किया जाएगा. गोलू मार्केट का विनियमिकरण किया जाएगा. बागेश्वर में खेल मैदान का काम किया जाएगा. बालीघाट धरमघर मोटर मार्ग का जीर्णोद्वार किया जाएगा. इस मौके पर भाजपा राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत गौतम ने बताया कि भाजपा पीएम मोदी के नेतृत्व में लगातार राष्ट हित में काम कर रही है. बागेश्वर का उत्तरायणी मेला प्रदेश में ही नही देश व विदेश में भी विख्यात है. प्रदेश सरकार भी लगातार जनता के हितों में काम किया जा रहा है. आगे भी बेहतर कार्य किया जाएगा.

सांसद अजय टम्टा ने कहा कि जनता के कार्यों को करते के लिए पार्टी प्रतिब्ध है और विकास कार्यों को लगातार बढ़ाने का काम किया जाएगा. उन्होंने कहा की पीएम मोदी उत्तराखंड के लिए विशेष सहयोग देते है, जिसके लिए वह उनका हार्दिक धन्यवाद करते हैं. उन्होंने कहा की जल्द ही बागेश्वर-टनकपुर रेल लाइन का कार्य शुरू किया जाएगा.

उत्तराखंड की काशी के नाम से प्रसिद्ध है बागेश्वर: पौराणिक धरोहरों को समेटे उत्तराखंड की काशी के नाम से प्रसिद्ध बागेश्वर में माघ माह में होने वाले उत्तरायणी मेले की अलग ही पहचान है. सरयू, गोमती और विलुप्त सरस्वती के संगम तट पर बसे शिवनगरी बागेश्वर में हर साल मकर संक्रांति के दिन से आठ दिन का मेला लगता था, इस बार दो वर्ष बाद हो रहा मेला दस दिन तक चलेगा.

उत्तरायणी मेले के शुभारंभ पर रंगारंग झांकियां निकलीं. इन झांकियों में मदकोट का विशाल नगाड़े के साथ ही दारमा के कलाकारों का नृत्य, स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत झोड़ा, चांचरी और विभिन्न स्कूलों द्वारा पेश किया गया. भांगड़ा, झोड़ा-चांचरी पेश करती स्थानीय महिलाएं, रं समुदाय की महिलाएं, छोलिया नृतकों ने सभी का मन मोह लिया.

विभिन्न क्षेत्रों से आये सांस्कृतिक दलों ने कुंमाउंनी संस्कृति और सभ्यता को झांकी के माध्यम से प्रस्तुत किया गया. दलों की टोलियों ने बाबा बागनाथ मंदिर में भी पूजा अर्चना की. झांकी तहसील परिसर से गोमती पुल, स्टेशन रोड, कांडा माल रोड़, सरयू पुल, दूग बाजार होते हुए नुमाइशखेत पहुंची. झांकी में जोहार संस्कृति पर आधारित लोक संगीत आकर्षक का केंद्र रही. झांकी में विकास प्रदर्शनी सहित विद्यालयों के बैंड आदि ने भी प्रतिभाग किया.
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गौरतलब है कि कुली बेगार का अंत उत्तरायणी मेले के दौरान 14 जनवरी, 1921 में कुमाऊं केसरी बद्री दत्त पांडे की अगुवाई में हुआ था. इसका प्रभाव पूरे उत्तराखंड में था. कुमाऊं मण्डल में इस कुप्रथा की कमान बद्री दत्त पांडे जी के हाथ में थी. वहीं, गढ़वाल मंडल में इसकी कमान अनुसूइया प्रसाद बहुगुणा के हाथों में थी. 13 जनवरी 1921 को संक्रांति के दिन एक बड़ी सभा हुई और 14 जनवरी को कुली बेगार के रजिस्टरों को सरयू में प्रवाहित कर कुली बेगार का अंत किया गया. 28 जून, 1929 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने बागेश्वर की यात्रा की और ऐतिहासिक नुमाइशखेत में सभा कर इस अहिंसक आंदोलन की सफलता पर लोगों के प्रति कृतज्ञता जता इसे रक्तहीन क्रांति कहा था.

Last Updated : Jan 14, 2023, 8:52 PM IST
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