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आजाद हिंद फौज के सिपाही राम सिंह चौहान नहीं रहे, बागेश्वर में 101 साल की उम्र में हुआ निधन

देश ने आज एक स्वाधीनता सेनानी खो दिया. बागेश्वर जिले के निवासी राम सिंह चौहान का आज निधन हो गया है. गढ़वाल राइफल और आजाद हिंद फौज के सिपाही रहे राम सिंह चौहान ने 101 साल की उम्र में देह त्यागी है. तमाम नेताओं, सामाजिक संगठनों और स्थानीय लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी के निधन पर शोक जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है.

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बागेश्वर समाचार
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Published : May 20, 2023, 10:32 AM IST

बागेश्वर: जिले के आजाद हिंद फौज के स्वाधीनता सेनानी 101 वर्षीय राम सिंह चौहान कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे. सेनानी को जिला अस्पताल में भर्ती किया गया था. जहां उनका इलाज चल रहा था. आज सुबह तीन बजे उनका जिला अस्पताल में निधन हो गया.

स्वतंत्रता सेनानी राम सिंह चौहान का निधन: बागेश्वर पासदेव वज्यूला निवासी स्वाधीनता सेनानी चौहान की तबीयत कुछ दिन पहले अचानक खराब हो गई थी. परिजन उन्हें जिला अस्पताल लेकर आ गए थे. उन्हें बुखार के साथ ही कफ की शिकायत थी. सेनानी चौहान के पुत्र गिरीश चौहान ने बताया कि वह भोजन नहीं कर पा रहे थे. जिला अस्पताल के चिकित्सक सेनानी की निगरानी कर रहे हैं. उनके जल्द स्वस्थ होने की उम्मीद थी. उनके स्वास्थ्य में सुधार भी हो रहा था. सेनानी के परिजन अस्पताल में उनकी देखरेख कर रहे थे. लेकिन आज सुबह उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ी और उन्होंने अंतिम सांस ली.

आजाद हिंद फौज के सेनानी रहे राम सिंह चौहान: पासदेव वज्यूला निवासी राम सिंह चौहान आजाद हिंद फौज के जांबाज सिपाही रहे हैं. वह गढ़वाल राइफल में तैनाती के दौरान ही सशस्त्र आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए थे. नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ उन्होंने आजादी के आंदोलन में बढ़चढ़ कर प्रतिभाग किया था. चौहान के वीरता के किस्से से इलाके के लगभग हर व्यक्ति को मालूम थे. सभी लोग उनसे प्रेरित होते थे. सेनानी के बीमार होने की सूचना पर स्थानीय लोगों ने अस्पताल पहुंचकर उनकी सेहत की जानकारी ली थी. लोगों ने सेनानी के जल्द स्वास्थ होने की कामना भी की थी. लेकिन आज सुबह तीन बजे उन्होंने जिला अस्पताल में अंतिम सांस ली.

राम सिंह चौहान ने गढ़वाल राइफल में भी दी सेवा: बता दें कि 22 फरवरी 1922 को जन्मे राम सिंह चौहान के खून में ही वीरता भरी थी. पिता तारा सिंह वर्ष 1940 में गढ़वाल राइफल्स में पौड़ी गढ़वाल में तैनात थे. इनके पिता ने पहला विश्व युद्ध लड़ा था. वहीं राम सिंह भी पिता की तरह वीर सैनिक थे. वह गढ़वाल राइफल्स में तैनात थे. देश में आजादी का आंदोलन चल रहा था. नेताजी सुभाष चंद्र बोस से प्रभावित होकर राम सिंह चौहान वर्ष 1942 में अपने साथियों के साथ सशस्त्र आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए.
ये भी पढ़ें: 101 साल के स्वाधीनता संग्राम सेनानी राम सिंह चौहान बीमार, बागेश्वर के अस्पताल में भर्ती

101 साल की उम्र में राम सिंह चौहान का हुआ निधन: 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने स्वतंत्रता सेनानी राम सिंह चौहान को ताम्र पत्र से सम्मानित किया. पिछले दिनों खेत में काम करते करते समय अचानक उनका स्वास्थ्य खराब हो गया था. राम सिंह चौहान भ्रष्टाचार को कलंक मानते रहे. स्वतंत्रता सेनानी राम सिंह चौहान के निधन पर जिला पंचायत अध्यक्ष बसंती देव, विधायक सुरेश गड़िया, पूर्व विधायक ललित फर्सवान, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी, भाजपा अध्यक्ष इंद्र सिंह फर्सवान, कांग्रेस नेता भगवत सिंह डसीला, पूर्व अध्यक्ष शिव सिंह बिष्ट, पूर्व दर्जा राज्य मंत्री राजेंद्र टंगड़िया, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष गीता रावल आदि ने गहरा दुख जताया है.

बागेश्वर: जिले के आजाद हिंद फौज के स्वाधीनता सेनानी 101 वर्षीय राम सिंह चौहान कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे. सेनानी को जिला अस्पताल में भर्ती किया गया था. जहां उनका इलाज चल रहा था. आज सुबह तीन बजे उनका जिला अस्पताल में निधन हो गया.

स्वतंत्रता सेनानी राम सिंह चौहान का निधन: बागेश्वर पासदेव वज्यूला निवासी स्वाधीनता सेनानी चौहान की तबीयत कुछ दिन पहले अचानक खराब हो गई थी. परिजन उन्हें जिला अस्पताल लेकर आ गए थे. उन्हें बुखार के साथ ही कफ की शिकायत थी. सेनानी चौहान के पुत्र गिरीश चौहान ने बताया कि वह भोजन नहीं कर पा रहे थे. जिला अस्पताल के चिकित्सक सेनानी की निगरानी कर रहे हैं. उनके जल्द स्वस्थ होने की उम्मीद थी. उनके स्वास्थ्य में सुधार भी हो रहा था. सेनानी के परिजन अस्पताल में उनकी देखरेख कर रहे थे. लेकिन आज सुबह उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ी और उन्होंने अंतिम सांस ली.

आजाद हिंद फौज के सेनानी रहे राम सिंह चौहान: पासदेव वज्यूला निवासी राम सिंह चौहान आजाद हिंद फौज के जांबाज सिपाही रहे हैं. वह गढ़वाल राइफल में तैनाती के दौरान ही सशस्त्र आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए थे. नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ उन्होंने आजादी के आंदोलन में बढ़चढ़ कर प्रतिभाग किया था. चौहान के वीरता के किस्से से इलाके के लगभग हर व्यक्ति को मालूम थे. सभी लोग उनसे प्रेरित होते थे. सेनानी के बीमार होने की सूचना पर स्थानीय लोगों ने अस्पताल पहुंचकर उनकी सेहत की जानकारी ली थी. लोगों ने सेनानी के जल्द स्वास्थ होने की कामना भी की थी. लेकिन आज सुबह तीन बजे उन्होंने जिला अस्पताल में अंतिम सांस ली.

राम सिंह चौहान ने गढ़वाल राइफल में भी दी सेवा: बता दें कि 22 फरवरी 1922 को जन्मे राम सिंह चौहान के खून में ही वीरता भरी थी. पिता तारा सिंह वर्ष 1940 में गढ़वाल राइफल्स में पौड़ी गढ़वाल में तैनात थे. इनके पिता ने पहला विश्व युद्ध लड़ा था. वहीं राम सिंह भी पिता की तरह वीर सैनिक थे. वह गढ़वाल राइफल्स में तैनात थे. देश में आजादी का आंदोलन चल रहा था. नेताजी सुभाष चंद्र बोस से प्रभावित होकर राम सिंह चौहान वर्ष 1942 में अपने साथियों के साथ सशस्त्र आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए.
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101 साल की उम्र में राम सिंह चौहान का हुआ निधन: 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने स्वतंत्रता सेनानी राम सिंह चौहान को ताम्र पत्र से सम्मानित किया. पिछले दिनों खेत में काम करते करते समय अचानक उनका स्वास्थ्य खराब हो गया था. राम सिंह चौहान भ्रष्टाचार को कलंक मानते रहे. स्वतंत्रता सेनानी राम सिंह चौहान के निधन पर जिला पंचायत अध्यक्ष बसंती देव, विधायक सुरेश गड़िया, पूर्व विधायक ललित फर्सवान, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी, भाजपा अध्यक्ष इंद्र सिंह फर्सवान, कांग्रेस नेता भगवत सिंह डसीला, पूर्व अध्यक्ष शिव सिंह बिष्ट, पूर्व दर्जा राज्य मंत्री राजेंद्र टंगड़िया, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष गीता रावल आदि ने गहरा दुख जताया है.

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