अल्मोड़ाः सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा इन दिनों होली के रंगों में सराबोर है. यहां पारंपरिक रूप से होली की शुरुआत हो चुकी है. पौष के पहले रविवार से शुरू शास्त्रीय संगीत पर आधारित होली अब इन दिनों अपने पूरे शबाब पर है. यहां शिवरात्रि के बाद घर-घर में होली की धूम रहती है, तो वहीं बसंत पंचमी से रंग की होली का गायन शुरू हो जाता है.
आजकल जगह-जगह नगर में होली की महफिलें सज रही हैं. महिला कल्याण संस्था द्वारा नंदादेवी में तीन दिवसीय होली महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें स्थानीय कलाकारों, होली रसिकों एवं संगीत प्रेमियों द्वारा विभिन्न रागों पर आधारित होली गायन से पूरा माहौल संगीतमय हो गया है. नंदा देवी में ब्रज की प्रसिद्ध फूलों की होली का आयोजन भी किया गया.
होलियारी गाने वालों का कहना है कि पौष माह के पहले रविवार से कुमाऊं में होली की शुरुआत हो जाती है. सबसे पहले इसकी शुरुआत अल्मोड़ा से ही हुई. आज धीरे-धीरे कुमाऊं के नैनीताल, पिथौरागढ़ , बागेश्वर में भी बैठकी होलियारी गायी जाने लगी है.
पौष के पहले रविवार से शुरू होली में पहले रंगो का प्रयोग नहीं होता. बसंत पंचमी से रंग की होली का गायन होता है. अल्मोड़ा में शास्त्रीय रागों पर आधारित होली का गायन होता है. जिसमें भैरवी , रागदेश, ठुमरी, पीलू, आदि रागों में होली गायी जाती है. उन्होंने बताया कि बैठकी होली में विष्णुपथ से संबंधित होली की शुरुआत की जाती है.