अल्मोड़ा: मतदान की तारीख नजदीक आने के साथ ही प्रदेश की सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों के साथ जागेश्वर विधानसभा में भी चुनावी जंग चरम पर पहुंच गई है. जागेश्वर विधानसभा में यूं तो बीजेपी, कांग्रेस, आप, यूकेडी सहित कई प्रत्याशी मैदान में हैं. लेकिन विषम भौगोलिक क्षेत्र वाली जागेश्वर विधानसभा में मुख्य मुकाबला कांग्रेस के गोविंद सिंह कुंजवाल और बीजेपी के मोहन सिंह मेहरा में ही दिखाई दे रहा है.
प्रचार में नेताओं ने झोंकी ताकत: कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों के नेताओं ने इन दिनों प्रचार में पूरी ताकत झोंक रखी है. गांव-गांव जाकर वोटरों को रिझाने का काम किया जा रहा है. कांग्रेस प्रत्याशी गोविंद सिंह कुंजवाल का कहना है कि आज पूरा माहौल कांग्रेस के पक्ष में दिखाई दे रहा है.
लोगों में बीजेपी के खिलाफ गुस्सा देखने को मिल रहा है. वह अपने विधानसभा क्षेत्र के प्रति हमेशा से समर्पित रहे हैं. ऐसे में उनका दावा है कि उनकी एक तरफा जीत संभव है. वहीं, बीजेपी प्रत्याशी मोहन सिंह मेहरा ने कहा इस बार विधानसभा सीट में परिवर्तन होना निश्चित है. वह जहां-जहां भी जा रहे हैं. पूरा माहौल उनके पक्ष में दिखाई दे रहा है. उनका दावा है कि इस बार इस सीट पर उनकी एक तरफा जीत होगी.
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जागेश्वर विधानसभा का इतिहास: जागेश्वर विधानसभा सीट पर नजर डाले तो राज्य बनने के बाद से अबतक कांग्रेस का ही कब्जा रहा है. इस विधानसभा क्षेत्र से गोविंद सिंह कुंजवाल लगातार विधायक रह चुके हैं. कुंजवाल कुमाऊं के बड़े नेताओं में शुमार हैं. इसलिए गोविंद सिंह कुंजवाल को कांग्रेस ने एक बार फिर प्रत्याशी बनाया है. यहां बीजेपी अब तक जीत का स्वाद नहीं चख पाई है.
2017 में सुभाष ने दी थी कड़ी टक्कर: हालांकि 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी सुभाष पांडे ने गोविंद सिंह कुंजवाल को कड़ी टक्कर दी थी. 2017 विधानसभा चुनाव में कुंजवाल महज 399 मतों से जीत दर्ज कर पाये थे. इस मुकाबले में गोविंद कुंजवाल को 24 हजार 132 वोट मिले थे. जबकि सुभाष पांडे को 23 हजार 733 मत मिले थे.
गोविंद और मेहरा के बीच मुकाबला: 2022 विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी ने सुभाष पांडे की जगह पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन सिंह मेहरा को टिकट दिया है. मोहन सिंह मेहरा जमीन से जुड़े नेता बताए जाते हैं. मेहरा पूर्व में कांग्रेस प्रत्याशी गोविंद सिंह कुंजवाल के खासमखास हुआ करते थे. मेहरा पूर्व में गोविंद सिंह कुंजवाल की जीत की रणनीति पर काम करते थे. पूर्व में हुए पंचायत चुनावों के दौरान कांग्रेस से अनबन के चलते मोहन सिंह मेहरा ने बीजेपी ज्वॉइन कर ली थी.