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धूमधाम से मनाई गई छायावाद युग के प्रमुख कवि सुमित्रानंदन पंत की जयंती

छायावाद युग के प्रमुख कवि सुमित्रानंदन पंत की अल्मोड़ा में धूमधाम से जयंती मनाई गई. इस मौके पर काव्य पाठ का आयोजन भी किया गया.

सुमित्रानंदन पंत की जयंती
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Published : May 20, 2019, 9:55 PM IST

अल्मोड़ा: छायावाद युग के प्रमुख कवि सुमित्रानंदन पंत की जयंती उनके पैतृक गांव स्यूनराकोट में धूमधाम से मनाई गयी. इस मौके पर पंत पार्क में डिप्टी स्पीकर समेत तमाम संगठनों से जुड़े लोगों ने सुमित्रानंदन पंत की मूर्ति पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए. पंत की जयंती के अवसर पर काव्य पाठ का भी आयोजन किया गया. जिसमें कई कवियों ने सुमित्रानंदन पंत को समर्पित कविताएं प्रस्तुत की.

सुमित्रानंदन पंत की जयंती

पढ़ें- बदरीनाथ के विकास के लिए इशारों ही इशारों में पीएम मोदी कह गए बड़ी बात

पंत का परिचय

छायावादी युग के प्रमुख स्तंभ रहे सुमित्रानंदन पंत का मूल नाम गुसाई दत्त था. पंत का जन्म 20 मई 1900 को कौसानी में हुआ था. उन्होंने 18 साल की उम्र में हिंदी में लिखने का संकल्प लिया था. उसके बाद ज्यादातर काव्य रचनाएं उन्होंने हिंदी में लिखीं. पंत का घरेलू बोली कुमाऊंनी से भी बेहद लगाव रहा. पंत ने कुमाऊंनी बोली पर आधारित एकमात्र कविता राज्य वृक्ष बुरांश पर लिखी थी.

पल्लव से काव्य जगत में पहचान कायम करने वाले पद्म भूषण से सम्मानित पंत का पहाड़ से कभी मोह नहीं टूटा. पंत की पहली कविता पल्लव छवि है. वो जब 18 बरस के थे तब वो कौसानी जैसे दुर्गम स्थान से निकलकर अल्मोड़ा, फिर इलाहाबाद पहुंचे और फिर यहीं से उन्होंने हिंदी में कविताएं लिखने का सफर शुरू किया.

अल्मोड़ा: छायावाद युग के प्रमुख कवि सुमित्रानंदन पंत की जयंती उनके पैतृक गांव स्यूनराकोट में धूमधाम से मनाई गयी. इस मौके पर पंत पार्क में डिप्टी स्पीकर समेत तमाम संगठनों से जुड़े लोगों ने सुमित्रानंदन पंत की मूर्ति पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए. पंत की जयंती के अवसर पर काव्य पाठ का भी आयोजन किया गया. जिसमें कई कवियों ने सुमित्रानंदन पंत को समर्पित कविताएं प्रस्तुत की.

सुमित्रानंदन पंत की जयंती

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पंत का परिचय

छायावादी युग के प्रमुख स्तंभ रहे सुमित्रानंदन पंत का मूल नाम गुसाई दत्त था. पंत का जन्म 20 मई 1900 को कौसानी में हुआ था. उन्होंने 18 साल की उम्र में हिंदी में लिखने का संकल्प लिया था. उसके बाद ज्यादातर काव्य रचनाएं उन्होंने हिंदी में लिखीं. पंत का घरेलू बोली कुमाऊंनी से भी बेहद लगाव रहा. पंत ने कुमाऊंनी बोली पर आधारित एकमात्र कविता राज्य वृक्ष बुरांश पर लिखी थी.

पल्लव से काव्य जगत में पहचान कायम करने वाले पद्म भूषण से सम्मानित पंत का पहाड़ से कभी मोह नहीं टूटा. पंत की पहली कविता पल्लव छवि है. वो जब 18 बरस के थे तब वो कौसानी जैसे दुर्गम स्थान से निकलकर अल्मोड़ा, फिर इलाहाबाद पहुंचे और फिर यहीं से उन्होंने हिंदी में कविताएं लिखने का सफर शुरू किया.

Intro:छायावाद युग के प्रमुख कवि सुमित्रानंदन पंत की जयंती पर उनके पैतृक जनपद अल्मोड़ा में धूमधाम से मनाई गयी। कविराज सुमित्रानंदन पंत जयंती के अवसर पर पंत पार्क में डिप्टी स्पीकर रघुनाथ सिंह चौहान, डीएम नितिन भदौरिया, नगर पालिका अध्यक्ष प्रकाश जोशी समेत तमाम संगठनों से जुड़े लोगों ने सुमित्रानंदन पंत की मूर्ति पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। सुमित्रानंदन पंत की जयंती के अवसर पर काव्य पाठ का भी आयोजन किया गया, जिसमें कई कवियो ने सुमित्रानंदन पंत को समर्पित कविताएं प्रस्तुत की। सुमित्रानंदन पंत के पैतृक गांव स्यूनराकोट सहित जिलेभर में उनका जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया।


Body:छायावादी युग के प्रमुख स्तंभ रहे सुमित्रानंदन पंत का मूल नाम गुसाई दत्त था। पंत का जन्म 20 मई 1900 को कौसानी में हुआ था। उन्होंने 18 साल की उम्र में हिंदी में लिखने का संकल्प लिया था उसके बाद ज्यादातर काव्य रचनाएं उन्होंने हिंदी में लिखिए हालांकि घरेलू बोली कुमाऊनी से भी उनको बेहद लगाव रहा लेकिन कुमाऊनी में उन्होंने जो एकमात्र कविता लिखी और राज्य वृक्ष बुरास पर लिखी थी ।पल्लव से काव्य जगत में पहचान कायम करने वाले पद्म भूषण से सम्मानित पंत का पहाड़ से कभी मुंह नहीं टूटा जब 18 बरस के थे तब उनकी पहली कविता पल्लव छवि है उसी दौरान कौसानी जैसे दुर्गम स्थान से निकलकर अल्मोड़ा और फिर इलाहाबाद पहुंचे और वही तय किया कि हिंदी में ही कविता लिखेंगे ।

आज उनकी जयंती पर लोगों ने कहा कि अल्मोड़ा और सुमित्रा नंदन पंत दोंनो का एक दूसरे से गहरा जुड़ाव है। प्रकृति की नैसर्गिक छटा उनका काव्य विषय रहा है। प्रक्रिक्ति से उनका गहरा लगाव रहा है।

विजुअल बाइट ftp से kavi pant jayanti नाम से भेजे हैं


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