अल्मोड़ा: छायावाद युग के प्रमुख कवि सुमित्रानंदन पंत की जयंती उनके पैतृक गांव स्यूनराकोट में धूमधाम से मनाई गयी. इस मौके पर पंत पार्क में डिप्टी स्पीकर समेत तमाम संगठनों से जुड़े लोगों ने सुमित्रानंदन पंत की मूर्ति पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए. पंत की जयंती के अवसर पर काव्य पाठ का भी आयोजन किया गया. जिसमें कई कवियों ने सुमित्रानंदन पंत को समर्पित कविताएं प्रस्तुत की.
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पंत का परिचय
छायावादी युग के प्रमुख स्तंभ रहे सुमित्रानंदन पंत का मूल नाम गुसाई दत्त था. पंत का जन्म 20 मई 1900 को कौसानी में हुआ था. उन्होंने 18 साल की उम्र में हिंदी में लिखने का संकल्प लिया था. उसके बाद ज्यादातर काव्य रचनाएं उन्होंने हिंदी में लिखीं. पंत का घरेलू बोली कुमाऊंनी से भी बेहद लगाव रहा. पंत ने कुमाऊंनी बोली पर आधारित एकमात्र कविता राज्य वृक्ष बुरांश पर लिखी थी.
पल्लव से काव्य जगत में पहचान कायम करने वाले पद्म भूषण से सम्मानित पंत का पहाड़ से कभी मोह नहीं टूटा. पंत की पहली कविता पल्लव छवि है. वो जब 18 बरस के थे तब वो कौसानी जैसे दुर्गम स्थान से निकलकर अल्मोड़ा, फिर इलाहाबाद पहुंचे और फिर यहीं से उन्होंने हिंदी में कविताएं लिखने का सफर शुरू किया.