अल्मोड़ा: चौखुटिया ब्लॉक के मासीवाल ऑल गांव में लगने वाला सोमनाथ का मुख्य मेला रामगंगा नदी में पत्थर फेंकने की रस्म के साथ ही संपन्न हो गया है. पहले सोमनाथ के मुख्य मेला में रामगंगा में पत्थर फेंकने की रस्म 15 दिनों तक चलती थी. पशुओं के व्यापार को लेकर भी ये मेला देश-प्रदेश में काफी चर्चाओं में रहता था, लेकिन इस बार पत्थर फेंकने की रस्म केवल एक दिन में खत्म हो गई. हालांकि, मेले में अगले 5 दिनों तक सांस्कृतिक कार्यक्रम जारी रहेंगे.
गौर हो कि बैशाख के आखिरी सोमवार को होने वाले सोमनाथ के मुख्य मेले को बड़ा सोमनाथ भी कहा जाता है. मासी के ऐतिहासिक सोमनाथ के मुख्य मेले में उत्तराखंड की गौरवशाली परंपरा देखने को मिली. ढोल-नगाड़ों के बीच रणसिंग की गर्जना व वीर रस की हुंकार के बीच कनौणी व मासीवाल ऑल के ग्रामीणों ने रामगंगा नदी में पत्थर फेंककर ओड़ा भेंटने की रस्म अदा की. मासी सोमनाथ मेले में सदियों से ओड़ा भेंटने की परंपरा चली आ रही है. इसमें बारी-बारी से यह रस्म अदा करनी होती है. इस बार मासीवाल ऑल के ग्रामीणों ने पहले दौड़ लगाकर नदी में पत्थर मारकर ओड़ा भेंटा. मासीवाल ऑल के ग्रामीण रामदास स्थल के पास रामगंगा नदी में पत्थर फेंककर ओड़ा भेंटते हैं तो वहीं कनौणी के ग्रामीण पन्याली के पास निर्धारित स्थान पर नदी में पत्थर मारते हैं.
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इस रस्म के बाद दोनों रामगंगा नदी के आर पार बसे दो ऑल- मासीवाल व कनौणी के ग्रामीण गाजे-बाजे के साथ मेला स्थल की ओर पहुंचे. इस दौरान मेले में झोड़ा-चाचरी की धूम भी रही. मेले में मासी, कोटयूड़ा, कनौणी, कनरै, ऊंचावाहन, चौना, डांग, आदिग्राम कनौणी आदि गांवों के लोग नगाड़े व गाजे बाजे के साथ पहुंचे.
गौर हो कि मासी गांव में सोमनाथ का मुख्य मेला हर वर्ष बैशाख माह के पहले सोमवार को लगता है, जो पूरे 7 दिनों तक चलता है. इस दौरान कौतिक में क्षेत्र की पौराणिक गौरवशाली परंपरा व संस्कृति जीवंत हो उठती है. सोमनाथ के मुख्य मेले के पहले दिन रविवार की रात सल्टिया मेला लगता है. सल्टिया मेला सोमनाथ मेले का ही एक भाग है. इसमें सल्ट क्षेत्र से एक जोड़ी नगाड़े-निशानों के साथ भागीदारी निभाती है.
कार्यक्रम में विधायक महेश नेगी, एसडीएम आरके पांडे, पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी और मेला समिति के अध्यक्ष शंकर सिंह बिष्ट मौजूद रहे.