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ऐतिहासिक सोमनाथ मेले में दिखी कुमाऊं की गौरवशाली परंपरा, रामगंगा नदी में पत्थर फेंकने की होती है अनोखी रस्म

बैशाख के आखिरी सोमवार को होने वाले सोमनाथ के मुख्य मेले को बड़ा सोमनाथ भी कहा जाता है. मासी के ऐतिहासिक सोमनाथ के मुख्य मेले में उत्तराखंड की गौरवशाली परंपरा देखने को मिलती है. रामगंगा नदी में पत्थर फेंकने की रस्म के साथ ही मेला संपन्न हो जाता है.

रामगंगा मेला.
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Published : May 15, 2019, 12:53 PM IST

Updated : May 15, 2019, 1:28 PM IST

अल्मोड़ा: चौखुटिया ब्लॉक के मासीवाल ऑल गांव में लगने वाला सोमनाथ का मुख्य मेला रामगंगा नदी में पत्थर फेंकने की रस्म के साथ ही संपन्न हो गया है. पहले सोमनाथ के मुख्य मेला में रामगंगा में पत्थर फेंकने की रस्म 15 दिनों तक चलती थी. पशुओं के व्यापार को लेकर भी ये मेला देश-प्रदेश में काफी चर्चाओं में रहता था, लेकिन इस बार पत्थर फेंकने की रस्म केवल एक दिन में खत्म हो गई. हालांकि, मेले में अगले 5 दिनों तक सांस्कृतिक कार्यक्रम जारी रहेंगे.

गौर हो कि बैशाख के आखिरी सोमवार को होने वाले सोमनाथ के मुख्य मेले को बड़ा सोमनाथ भी कहा जाता है. मासी के ऐतिहासिक सोमनाथ के मुख्य मेले में उत्तराखंड की गौरवशाली परंपरा देखने को मिली. ढोल-नगाड़ों के बीच रणसिंग की गर्जना व वीर रस की हुंकार के बीच कनौणी व मासीवाल ऑल के ग्रामीणों ने रामगंगा नदी में पत्थर फेंककर ओड़ा भेंटने की रस्म अदा की. मासी सोमनाथ मेले में सदियों से ओड़ा भेंटने की परंपरा चली आ रही है. इसमें बारी-बारी से यह रस्म अदा करनी होती है. इस बार मासीवाल ऑल के ग्रामीणों ने पहले दौड़ लगाकर नदी में पत्थर मारकर ओड़ा भेंटा. मासीवाल ऑल के ग्रामीण रामदास स्थल के पास रामगंगा नदी में पत्थर फेंककर ओड़ा भेंटते हैं तो वहीं कनौणी के ग्रामीण पन्याली के पास निर्धारित स्थान पर नदी में पत्थर मारते हैं.

इसे भी पढ़ें- देवभूमि में यहां ताकत से नहीं, सिर्फ एक अंगुली से हिलता है ये विशालकाय पत्थर

इस रस्म के बाद दोनों रामगंगा नदी के आर पार बसे दो ऑल- मासीवाल व कनौणी के ग्रामीण गाजे-बाजे के साथ मेला स्थल की ओर पहुंचे. इस दौरान मेले में झोड़ा-चाचरी की धूम भी रही. मेले में मासी, कोटयूड़ा, कनौणी, कनरै, ऊंचावाहन, चौना, डांग, आदिग्राम कनौणी आदि गांवों के लोग नगाड़े व गाजे बाजे के साथ पहुंचे.

गौर हो कि मासी गांव में सोमनाथ का मुख्य मेला हर वर्ष बैशाख माह के पहले सोमवार को लगता है, जो पूरे 7 दिनों तक चलता है. इस दौरान कौतिक में क्षेत्र की पौराणिक गौरवशाली परंपरा व संस्कृति जीवंत हो उठती है. सोमनाथ के मुख्य मेले के पहले दिन रविवार की रात सल्टिया मेला लगता है. सल्टिया मेला सोमनाथ मेले का ही एक भाग है. इसमें सल्ट क्षेत्र से एक जोड़ी नगाड़े-निशानों के साथ भागीदारी निभाती है.

कार्यक्रम में विधायक महेश नेगी, एसडीएम आरके पांडे, पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी और मेला समिति के अध्यक्ष शंकर सिंह बिष्ट मौजूद रहे.

अल्मोड़ा: चौखुटिया ब्लॉक के मासीवाल ऑल गांव में लगने वाला सोमनाथ का मुख्य मेला रामगंगा नदी में पत्थर फेंकने की रस्म के साथ ही संपन्न हो गया है. पहले सोमनाथ के मुख्य मेला में रामगंगा में पत्थर फेंकने की रस्म 15 दिनों तक चलती थी. पशुओं के व्यापार को लेकर भी ये मेला देश-प्रदेश में काफी चर्चाओं में रहता था, लेकिन इस बार पत्थर फेंकने की रस्म केवल एक दिन में खत्म हो गई. हालांकि, मेले में अगले 5 दिनों तक सांस्कृतिक कार्यक्रम जारी रहेंगे.

गौर हो कि बैशाख के आखिरी सोमवार को होने वाले सोमनाथ के मुख्य मेले को बड़ा सोमनाथ भी कहा जाता है. मासी के ऐतिहासिक सोमनाथ के मुख्य मेले में उत्तराखंड की गौरवशाली परंपरा देखने को मिली. ढोल-नगाड़ों के बीच रणसिंग की गर्जना व वीर रस की हुंकार के बीच कनौणी व मासीवाल ऑल के ग्रामीणों ने रामगंगा नदी में पत्थर फेंककर ओड़ा भेंटने की रस्म अदा की. मासी सोमनाथ मेले में सदियों से ओड़ा भेंटने की परंपरा चली आ रही है. इसमें बारी-बारी से यह रस्म अदा करनी होती है. इस बार मासीवाल ऑल के ग्रामीणों ने पहले दौड़ लगाकर नदी में पत्थर मारकर ओड़ा भेंटा. मासीवाल ऑल के ग्रामीण रामदास स्थल के पास रामगंगा नदी में पत्थर फेंककर ओड़ा भेंटते हैं तो वहीं कनौणी के ग्रामीण पन्याली के पास निर्धारित स्थान पर नदी में पत्थर मारते हैं.

इसे भी पढ़ें- देवभूमि में यहां ताकत से नहीं, सिर्फ एक अंगुली से हिलता है ये विशालकाय पत्थर

इस रस्म के बाद दोनों रामगंगा नदी के आर पार बसे दो ऑल- मासीवाल व कनौणी के ग्रामीण गाजे-बाजे के साथ मेला स्थल की ओर पहुंचे. इस दौरान मेले में झोड़ा-चाचरी की धूम भी रही. मेले में मासी, कोटयूड़ा, कनौणी, कनरै, ऊंचावाहन, चौना, डांग, आदिग्राम कनौणी आदि गांवों के लोग नगाड़े व गाजे बाजे के साथ पहुंचे.

गौर हो कि मासी गांव में सोमनाथ का मुख्य मेला हर वर्ष बैशाख माह के पहले सोमवार को लगता है, जो पूरे 7 दिनों तक चलता है. इस दौरान कौतिक में क्षेत्र की पौराणिक गौरवशाली परंपरा व संस्कृति जीवंत हो उठती है. सोमनाथ के मुख्य मेले के पहले दिन रविवार की रात सल्टिया मेला लगता है. सल्टिया मेला सोमनाथ मेले का ही एक भाग है. इसमें सल्ट क्षेत्र से एक जोड़ी नगाड़े-निशानों के साथ भागीदारी निभाती है.

कार्यक्रम में विधायक महेश नेगी, एसडीएम आरके पांडे, पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी और मेला समिति के अध्यक्ष शंकर सिंह बिष्ट मौजूद रहे.

Intro:चौखुटिया अल्मोड़ा रामगंगा में पत्थर फेंकने की रस्म के साथ मेला संपन्न कभी 15 दिनो तक चलता था मेला आज केवल 5 दिनों में ही सिमट कर रह गया है । प्रसिद्ध सोमनाथ मेला। सोमनाथ मेले में किसी जमाने में गढ़वाल से लेकर सल्ट की दूरस्थ क्षेत्रों से लोग पहुचते थे। पशुओं के व्यापार के मामले में भी मेला प्रसिद्ध था । लेकिन अब पहले जैसी हो रौनक देखने को नहीं मिल रही । लोग इसके पीछे पहाड़ों में बढ़ते पलायन और बेरोजगारी को मुख्य कारण बता रहे हैं।Body:रामगंगा में पत्थर फेंकने की रस्म के साथ मेला संपन्न 5 दिन तक चलती रहेंगी सांस्कृतिक कार्यक्रम झोड़ा चाचरी की भी धूम रही । मासी में सोमनाथ का मुख्य मिला रामगंगा में पत्थर फेंकने की रस्म की साथ संपन्न हुआ । मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम पांच दिनों तक जारी रहेंगे। परंपरा के अनुसार इस बार मासीवाल ऑल और बाद में कनौणी आल के साथ आए मेलार्थियों ने रामगंगा में पत्थर फेंककर रस्म निभाई इस दौरान झोड़ा चाचरी की भी घूम रही।Conclusion:रामगंगा में पत्थर फेंकने की रस्म के साथ मेला संपन्न

चौखुटिया अल्मोड़ा मासी में सोमनाथ का मुख्य मेला राम गंगा में पत्थर फेंकने की रस्म के साथ संपन्न हुआ । मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम पांच दिनों तक जारी रहेंगे । परंपरा के अनुसार इस बार पहले मासीवाल ऑल और बाद में कनौणी ऑल के साथ आए मेलार्थियों ने रामगंगा में पत्थर फेंककर रश्म निभाई। इस दौरान झोड़ा- चाचरी की भी धूम रही । सोमनाथ के मुख्य मेले में नगाड़े- निशानों के साथ पहुंचे मासी आल के लोगों ने दौड़ते हुए रामगंगा
नदी में पत्थर फेंककर परंपरा का निर्वहन किया ।उनके लौटने के बाद पहुंचे कनौणी आल ने भी नदी में पत्थर फेंके। बाद में दोनों ऑल के लोग मेला स्थल पर पहुंचे।

कार्यक्रम में विधायक महेश नेगी जी,एसडीएम आर के पांडे, पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी, मेला समिति के अध्यक्ष शंकर सिंह बिष्ट आदि लोग मौजूद रहे।
Last Updated : May 15, 2019, 1:28 PM IST
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