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शिक्षा को बढ़ावा देने में सोबन सिंह जीना का रहा अहम योगदान, जयंती पर दी श्रद्धांजलि

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Published : Aug 4, 2020, 6:53 PM IST

Updated : Aug 4, 2020, 7:28 PM IST

सोबन सिंह जीना की जयंती के मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. जीना का पहाड़ तक शिक्षा की रोशनी पहुंचाने में उनका विशेष योगदान रहा था.

soban singh jeena
सोबन सिंह जीना श्रद्धांजलि

अल्मोड़ाः जनसंघ के संस्थापक सदस्य और यूपी सरकार में पर्वतीय विकास मंत्री रहे स्व. सोबन सिंह जीना की आज जयंती है. सोबन सिंह जीना को एक कुशल राजनीतिज्ञ के अलावा पर्वतीय क्षेत्रों के हितरक्षक के रूप में जाना जाता है. आजादी से पूर्व उन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों में अनेक विद्यालयों की स्थापना की थी. जिससे पहाड़ के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके. पहाड़ तक शिक्षा की रोशनी पहुंचाने में उनका विशेष योगदान रहा. वहीं, उनके जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई.

बता दें कि सोबन सिंह जीना का जन्म 4 अगस्त 1909 को अल्मोड़ा जिले के सुनोली गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम प्रेम सिंह और माता का नाम किशनी देवी था. प्रेम सिंह के चार बेटों में शेर सिंह, भीम सिंह, साधु सिंह में शोबन सिंह दूसरे नंबर के थे. जबकि, उनकी चार बहनें बचुली देवी, सरला देवी, गंगा देवी और आनंदी देवी थी. प्राथमिक शिक्षा सुनोली में लेने के बाद जीना आगे की शिक्षा के लिए नैनीताल चले गए.

सोबन सिंह जीना को दी गई श्रद्धांजलि.

ये भी पढ़ेंः UPSC: सिविल सेवा परीक्षा में रामनगर के शुभम बंसल ने ऑल इंडिया में हासिल किया 43वां रैंक

साल 1926 में प्रथम श्रेणी में हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने जीआईसी अल्मोड़ा से इंटर की परीक्षा पास की. इलाहाबाद से स्नातक करने के बाद उन्होंने कानून की शिक्षा ली और बाद में अल्मोड़ा आकर वकालत शुरू की. जीना साल 1936 से 1948 तक जिला परिषद के सदस्य भी रहे. इस दौरान उन्होंने शिक्षा के विकास के लिए अनेक कार्य किए और अनेक स्थानों पर स्कूल खुलवाने में अहम योगदान दिया.

साल 1977 में जीना अल्मोड़ा बारामंडल से यूपी विधानसभा के लिए विधायक चुने गए और उन्हें पर्वतीय विकास मंत्री बनाया गया. इस कार्यकाल में भी जीना ने समाज और वंचित तबके के लिए काफी कुछ किया. साल 1968 में उनकी पत्नी का निधन हो गया इसके बाद वह एकाकी जीवन जीने लगे. उनकी देखभाल का जिम्मा इनके छोटे भाई भीम सिंह के बेटे कुंदन सिंह और उनकी पत्नी अमिता पर आ गया. 2 अक्टूबर 1989 को सोबन सिंह जीना का निधन हो गया.

ये भी पढ़ेंः उत्तरकाशी: सूखे पेड़ों के सहारे ग्रामीणों की जिंदगी, आपदा के 8 साल बाद भी पुलिया नसीब नहीं

अल्मोड़ा एसएसजे विश्वविद्यालय के इतिहास के प्रोफेसर वीडीएस नेगी का कहना है कि स्व. सोबन सिंह जीना को हर वक्त पहाड़ के विकास की चिंता सताती थी. आजादी से पहले जीना 1936 से 1948 तक जिला परिषद के सदस्य भी रहे. इस दौरान उन्होंने शिक्षा के विकास के लिए अनेक कार्य किए और पहाड़ों में अनेक स्थानों पर स्कूल खुलवाए. उन्हीं के प्रयासों से पहाड़ों के दुर्गम क्षेत्रों तक शिक्षा की रोशनी पहुंच पाई.

इतिहाकार वीडीएस नेगी बताते हैं कि उनके संबंध उस दौर के बीजेपी के बड़े नेताओं अटल बिहारी बाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी से लेकर उस समय के आरआरएस के बड़े नेताओं से थी. वे लोग जब भी अल्मोड़ा पहुंचते थे तो वह सोबन सिंह जीना के आवास में ही रुकते थे. क्योंकि, उनके पास यहां रहने के सारे इंताजाम थे.

उन्होंने बताया कि स्व. सोबन सिंह जीना ने आपातकाल का दौर भी झेला था. अटल जी जब भी कटु अनुभव भुलाने के बहाने पहाड़ की यात्रा पर अल्मोड़ा पहुंचे तो जीना से जरूर मिले. तब सोबन सिंह ने अटल जी के सामने अविकसित पहाड़ की तस्वीर बदलने की इच्छा जाहिर की.

अल्मोड़ाः जनसंघ के संस्थापक सदस्य और यूपी सरकार में पर्वतीय विकास मंत्री रहे स्व. सोबन सिंह जीना की आज जयंती है. सोबन सिंह जीना को एक कुशल राजनीतिज्ञ के अलावा पर्वतीय क्षेत्रों के हितरक्षक के रूप में जाना जाता है. आजादी से पूर्व उन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों में अनेक विद्यालयों की स्थापना की थी. जिससे पहाड़ के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके. पहाड़ तक शिक्षा की रोशनी पहुंचाने में उनका विशेष योगदान रहा. वहीं, उनके जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई.

बता दें कि सोबन सिंह जीना का जन्म 4 अगस्त 1909 को अल्मोड़ा जिले के सुनोली गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम प्रेम सिंह और माता का नाम किशनी देवी था. प्रेम सिंह के चार बेटों में शेर सिंह, भीम सिंह, साधु सिंह में शोबन सिंह दूसरे नंबर के थे. जबकि, उनकी चार बहनें बचुली देवी, सरला देवी, गंगा देवी और आनंदी देवी थी. प्राथमिक शिक्षा सुनोली में लेने के बाद जीना आगे की शिक्षा के लिए नैनीताल चले गए.

सोबन सिंह जीना को दी गई श्रद्धांजलि.

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साल 1926 में प्रथम श्रेणी में हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने जीआईसी अल्मोड़ा से इंटर की परीक्षा पास की. इलाहाबाद से स्नातक करने के बाद उन्होंने कानून की शिक्षा ली और बाद में अल्मोड़ा आकर वकालत शुरू की. जीना साल 1936 से 1948 तक जिला परिषद के सदस्य भी रहे. इस दौरान उन्होंने शिक्षा के विकास के लिए अनेक कार्य किए और अनेक स्थानों पर स्कूल खुलवाने में अहम योगदान दिया.

साल 1977 में जीना अल्मोड़ा बारामंडल से यूपी विधानसभा के लिए विधायक चुने गए और उन्हें पर्वतीय विकास मंत्री बनाया गया. इस कार्यकाल में भी जीना ने समाज और वंचित तबके के लिए काफी कुछ किया. साल 1968 में उनकी पत्नी का निधन हो गया इसके बाद वह एकाकी जीवन जीने लगे. उनकी देखभाल का जिम्मा इनके छोटे भाई भीम सिंह के बेटे कुंदन सिंह और उनकी पत्नी अमिता पर आ गया. 2 अक्टूबर 1989 को सोबन सिंह जीना का निधन हो गया.

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अल्मोड़ा एसएसजे विश्वविद्यालय के इतिहास के प्रोफेसर वीडीएस नेगी का कहना है कि स्व. सोबन सिंह जीना को हर वक्त पहाड़ के विकास की चिंता सताती थी. आजादी से पहले जीना 1936 से 1948 तक जिला परिषद के सदस्य भी रहे. इस दौरान उन्होंने शिक्षा के विकास के लिए अनेक कार्य किए और पहाड़ों में अनेक स्थानों पर स्कूल खुलवाए. उन्हीं के प्रयासों से पहाड़ों के दुर्गम क्षेत्रों तक शिक्षा की रोशनी पहुंच पाई.

इतिहाकार वीडीएस नेगी बताते हैं कि उनके संबंध उस दौर के बीजेपी के बड़े नेताओं अटल बिहारी बाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी से लेकर उस समय के आरआरएस के बड़े नेताओं से थी. वे लोग जब भी अल्मोड़ा पहुंचते थे तो वह सोबन सिंह जीना के आवास में ही रुकते थे. क्योंकि, उनके पास यहां रहने के सारे इंताजाम थे.

उन्होंने बताया कि स्व. सोबन सिंह जीना ने आपातकाल का दौर भी झेला था. अटल जी जब भी कटु अनुभव भुलाने के बहाने पहाड़ की यात्रा पर अल्मोड़ा पहुंचे तो जीना से जरूर मिले. तब सोबन सिंह ने अटल जी के सामने अविकसित पहाड़ की तस्वीर बदलने की इच्छा जाहिर की.

Last Updated : Aug 4, 2020, 7:28 PM IST
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