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जागेश्वर धाम में भगवान शिव एक महीने के लिए तपस्यारत, मकर संक्रांति से जुड़ा है ये रहस्य - Bholenath Tapasyarat in Jageshwar Dham cave

पौराणिक परंपराओ के अनुसार मकर संक्रांति से (माघ माह) में भगवान भोलेनाथ एक माह कठोर तप के लिए गुफा में चले जाते हैं. इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आज भी मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर जागेश्वर धाम के ज्योतिर्लिंग जागनाथ में विशेष पूजन किया जाता है.

almora
भगवान शिव हुए एक महीने के लिए हुए तपस्यारत
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Published : Jan 14, 2021, 7:00 PM IST

Updated : Jan 14, 2021, 7:34 PM IST

अल्मोड़ा: प्रसिद्ध जागेश्वर धाम में मकर संक्रांति से भगवान भोलेनाथ एक माह के लिए गुफा में तपस्यारत हो चुके हैं. आज गाय के घी से तैयार पावन गुफा में पुजारियों ने विधि विधान से भोले बाबा को गुफा में प्रवेश कराया गया. अब वह फाल्गुन माह की संक्रांति को श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे.

पौराणिक परंपराओ के अनुसार मकर संक्रांति से (माघ माह) में भगवान भोलेनाथ एक माह कठोर तप के लिए गुफा में चले गए. इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आज भी मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर जागेश्वर धाम के ज्योतिर्लिंग जागनाथ में विशेष पूजन किया जाता है. इस बार 51 किलो गाय के घी से गुफा तैयार की गयी है.

भगवान शिव हुए एक महीने के लिए हुए तपस्यारत

ये भी पढ़ें: देहरादून एनडीपीएस कोर्ट ने दो नशा तस्करों को सुनाई एक-एक साल की सजा

घी को पानी में उबालकर शुद्ध किया जाता है, उससे गुफा रुप तैयार कर एक माह "पवित्र माघ" के लिए भोलेनाथ को ढक देते हैं. आज जागेश्वर मंदिर के पुजारियों ने मंत्र उच्चारण और विधि विधान से पूजा की. एक माह के बाद उस गुफारुपी घी को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है. इस घी को अपने सिर में मलने से समस्त प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है और कई असाध्य रोगों की काट के लिए यह वरदान साबित होता है.

इस विशाल घृत कमल पूजन में शामिल जागेश्वर मंदिर मुख्य पुजारी हेमन्त भट्ट ने बताया कि यह परंपरा पौराणिक काल से ही चली आ रही है. जिसमें भगवान भोलेनाथ एक माह के लिए तपस्यारत हो जाते हैं. इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन सैकड़ो लोगों ने जागेश्वर धाम के ब्रम कुंड में स्नान कर भोलेनाथ के दर्शन किये. सुबह पांच बजे से ही ब्रम कुंड घाट पर यज्ञोपवीत करने वालो की भीड़ रही.

अल्मोड़ा: प्रसिद्ध जागेश्वर धाम में मकर संक्रांति से भगवान भोलेनाथ एक माह के लिए गुफा में तपस्यारत हो चुके हैं. आज गाय के घी से तैयार पावन गुफा में पुजारियों ने विधि विधान से भोले बाबा को गुफा में प्रवेश कराया गया. अब वह फाल्गुन माह की संक्रांति को श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे.

पौराणिक परंपराओ के अनुसार मकर संक्रांति से (माघ माह) में भगवान भोलेनाथ एक माह कठोर तप के लिए गुफा में चले गए. इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आज भी मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर जागेश्वर धाम के ज्योतिर्लिंग जागनाथ में विशेष पूजन किया जाता है. इस बार 51 किलो गाय के घी से गुफा तैयार की गयी है.

भगवान शिव हुए एक महीने के लिए हुए तपस्यारत

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घी को पानी में उबालकर शुद्ध किया जाता है, उससे गुफा रुप तैयार कर एक माह "पवित्र माघ" के लिए भोलेनाथ को ढक देते हैं. आज जागेश्वर मंदिर के पुजारियों ने मंत्र उच्चारण और विधि विधान से पूजा की. एक माह के बाद उस गुफारुपी घी को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है. इस घी को अपने सिर में मलने से समस्त प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है और कई असाध्य रोगों की काट के लिए यह वरदान साबित होता है.

इस विशाल घृत कमल पूजन में शामिल जागेश्वर मंदिर मुख्य पुजारी हेमन्त भट्ट ने बताया कि यह परंपरा पौराणिक काल से ही चली आ रही है. जिसमें भगवान भोलेनाथ एक माह के लिए तपस्यारत हो जाते हैं. इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन सैकड़ो लोगों ने जागेश्वर धाम के ब्रम कुंड में स्नान कर भोलेनाथ के दर्शन किये. सुबह पांच बजे से ही ब्रम कुंड घाट पर यज्ञोपवीत करने वालो की भीड़ रही.

Last Updated : Jan 14, 2021, 7:34 PM IST
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