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नवरात्रि विशेष: देवभूमि के इस देवी मंदिर में मुराद पूरी होने पर जलाते हैं अखंड दिये

अल्मोड़ा में मां विंध्यवासिनी बानड़ी देवी मंदिर स्थापित है. यहां नवरात्रि के अवसर पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु अखंड दिए जलाते हैं.

विंध्यवासिनी बानड़ी देवी मंदिर
विंध्यवासिनी बानड़ी देवी मंदिर
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Published : Oct 19, 2020, 12:46 PM IST

अल्मोड़ा: देवों की भूमि उत्तराखंड में अनेकों मंदिर विद्यमान हैं. इन सभी मंदिरों की अपनी-अपनी मान्यताएं है. इन्हीं में से एक मंदिर अल्मोड़ा में स्थित है. मां विंध्यवासिनी बानड़ी देवी का ये मंदिर दिए वाली देवी के रूप में भी जाना जाता है. मां विंध्यवासिनी और बानड़ी देवी मंदिर की खास विशेषता ये है कि यहां भक्तों की मुराद पूरी होने पर मंदिर में नौ दिनों तक लगातार वो अखंड जोत यानी दिए जलाते हैं. ये देवभूमि का ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु अखंड दिए जलाते हैं. इस मंदिर में नवरात्र के दौरान श्रद्धालुओं की काफी भारी भीड़ देखने को मिलती है.

जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर अल्मोड़ा लमगड़ा मार्ग पर समुद्र तल से करीब 7 हजार फीट की ऊंचाई पर बांज के घने जंगलों के बीच मां विंध्यवासिनी का मंदिर स्थित है. इस मंदिर में देवी भगवती पिंड के तीन शक्ति रूप में वास करती हैं. मंदिर में भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण होने के बाद 9 दिनों तक अखंड दिया जलाते हैं. मंदिर में नवरात्रि के अवसर पर सैकड़ों की संख्या में दिए जलते हैं. घने जंगल और प्रकृति के सुरम्य वादियों में स्थित इस मंदिर की आस्था ही है कि भक्त सड़क से कई किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पैदल नापकर पहुंचते हैं.

पढ़ें- कुमाऊं विवि की जानी-मानी छात्रा मांग रही भीख, पूर्व केंद्रीय मंत्री के खिलाफ लड़ चुकीं चुनाव

विंध्यवासिनी मंदिर में जब चंद वंशीय राजा बालो कल्याण चंद ने 1563 में अल्मोड़ा की स्थापना की थी. उस समय चंद वंशीय राजा मां बाराही देवी का विसर्जन करना भूल गए. कहते हैं कि तब देवी के कहने पर राजा ने उन्हें इस स्थान पर स्थापित कर दिया था. जिसके बाद इस मंदिर की स्थापना की गई. यहां देवी भगवती पिंड के तीन शक्ति रूप में वास करती हैं. उस समय से मंदिर में स्थानीय लोग पूजा-अर्चना के लिए आते हैं. वहीं, जिसकी भी मनोकामना पूरी होती है, वह मां के दरबार में आकर 9 दिन तक अखंड दिए जलाता है.

अल्मोड़ा: देवों की भूमि उत्तराखंड में अनेकों मंदिर विद्यमान हैं. इन सभी मंदिरों की अपनी-अपनी मान्यताएं है. इन्हीं में से एक मंदिर अल्मोड़ा में स्थित है. मां विंध्यवासिनी बानड़ी देवी का ये मंदिर दिए वाली देवी के रूप में भी जाना जाता है. मां विंध्यवासिनी और बानड़ी देवी मंदिर की खास विशेषता ये है कि यहां भक्तों की मुराद पूरी होने पर मंदिर में नौ दिनों तक लगातार वो अखंड जोत यानी दिए जलाते हैं. ये देवभूमि का ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु अखंड दिए जलाते हैं. इस मंदिर में नवरात्र के दौरान श्रद्धालुओं की काफी भारी भीड़ देखने को मिलती है.

जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर अल्मोड़ा लमगड़ा मार्ग पर समुद्र तल से करीब 7 हजार फीट की ऊंचाई पर बांज के घने जंगलों के बीच मां विंध्यवासिनी का मंदिर स्थित है. इस मंदिर में देवी भगवती पिंड के तीन शक्ति रूप में वास करती हैं. मंदिर में भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण होने के बाद 9 दिनों तक अखंड दिया जलाते हैं. मंदिर में नवरात्रि के अवसर पर सैकड़ों की संख्या में दिए जलते हैं. घने जंगल और प्रकृति के सुरम्य वादियों में स्थित इस मंदिर की आस्था ही है कि भक्त सड़क से कई किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पैदल नापकर पहुंचते हैं.

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विंध्यवासिनी मंदिर में जब चंद वंशीय राजा बालो कल्याण चंद ने 1563 में अल्मोड़ा की स्थापना की थी. उस समय चंद वंशीय राजा मां बाराही देवी का विसर्जन करना भूल गए. कहते हैं कि तब देवी के कहने पर राजा ने उन्हें इस स्थान पर स्थापित कर दिया था. जिसके बाद इस मंदिर की स्थापना की गई. यहां देवी भगवती पिंड के तीन शक्ति रूप में वास करती हैं. उस समय से मंदिर में स्थानीय लोग पूजा-अर्चना के लिए आते हैं. वहीं, जिसकी भी मनोकामना पूरी होती है, वह मां के दरबार में आकर 9 दिन तक अखंड दिए जलाता है.

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