अल्मोड़ा: कुमाऊं विश्वविद्यालय देश के इतिहास को बदलने की कोशिश में जुट गया है. देश के इतिहास का नए सिरे से संकलन के लिए कुमाऊं विश्वविद्यालय के एसएसजे परिसर अल्मोड़ा में इतिहास, समाज और संस्कृति विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी में पद्मश्री ललित पांडे, कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल के कुलपति प्रोफेसर केएस राणा सहित दिल्ली-मुंबई यूपी हरियाणा सहित देशभर से पहुंचे 100 से अधिक शोधार्थियों ने अपने विचार विमर्श रखे.
कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति ने अल्मोड़ा के इतिहास को क्रांतिकारियों का इतिहास बताया. उन्होंने कहा कि आजादी से पहले भारत के इतिहास को एकपक्षीय दिखाया गया है. देश के इतिहास में मुगलों को बढ़-चढ़कर दिखाया गया है. जबकि महाराणा प्रताप सहित तमाम शूरवीरों कमतर दिखाने का काम किया. उन्होंने कहा कि देश के इतिहास को नए सिरे से संकलित किया जाएगा.
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वहीं, इतिहासकारों ने कहा कि आजादी से पहले देश के इतिहास में चंद्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु सहित तमाम क्रांतिकारियों को आतंकवादी के रूप में दिखाया गया. अंग्रेजों और कांग्रेसियों के दबाव में साम्यवादियों द्वारा बनाए गए इतिहास को बदल कर नए स्वरूप में लाने की आवश्यकता है. इसके लिए इतिहास संकलन की एक समिति बनाई गई है. पहले क्षेत्रीय स्तर पर इतिहास का संकलन किया जाएगा और देश के इतिहास का नए सिरे से संकलन होगा.