सोमेश्वरः उत्तराखंड के जंगल गर्मियों में भीषण आग की चपेट में आ जाते हैं. जिससे प्रतिवर्ष भारी तादाद में वन संपदा जलकर नष्ट हो जाती है. दूसरी ओर दावाग्नि को रोकने के लिए वन विभाग द्वारा पर्याप्त इंतजाम का दावा किया जाता है लेकिन वास्तविकता इससे काफी दूर है. विभाग के सभी दावों की पोल खुल रही है. इसके विपरीत दावाग्नि को रोकने के नाम पर भारी भरकम बजट खर्च होता है लेकिन परिणाम उम्मीद के अनुरूप नहीं दिखाई देता है.
इसकी बानगी सोमेश्वर के जंगलों में लगी आग से देखी जा सकती है. क्षेत्र के हुरिया और जैंणधार के जंगल पिछले 3 घंटों से धू-धू कर जल रहे हैं. शाम होने तक आग बूंगा और तीताकोट गांवों से सटे वन पंचायत के जंगल तक पहुंच चुकी है. आग में लाखों की वन संपदा जलकर राख हो रही है. वन महकमे के अधिकारी और कर्मचारी मामले से बेखबर हैं.
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चनौदा न्याय पंचायत के अंतर्गत वन विभाग के हुरिया और जैंणधार के जंगल में पिछले कई घंटों से आग लगी हुई है. दावाग्नि से जहां लाखों की वन सम्पदा जलकर राख हो रही है, वहीं वन्य जीव जन्तुओं के घरौंदे भी आग में जलकर नष्ट हो रहे हैं. इसके अलावा जंगलों में आग लगने के बाद बन्दरों, जंगली सुअरों के झुण्ड खेतों में धावा बोलकर किसानों की आलू, गेहूं आदि की फसलों को चौपट कर रहे हैं.
इन जंगलों की दावाग्नि शाम होने तक ग्राम बूंगा, धौलरखोला और तीताकोट के वन पंचायत के जंगल और आबादी के समीप पहुंच चुकी है. गांवों के करीब आग पहुंचने से ग्रामीण दहशत में हैं जबकि वन विभाग के कर्मचारी मामले से बेखबर हैं.
ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग जंगलों में लग रही आग को बुझाने के नाम पर चंद कर्मचारियों को बिना संसाधनों के भेजता है और फायर सीजन के नाम पर करोड़ों का बजट खपा देता है.