अल्मोड़ा: जिले का सोमेश्वर क्षेत्र आलू उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है. यहां की 65 ग्राम सभाओं के काश्तकार हजारों नाली उपजाऊ भूमि में जैविक आलू का बड़े पैमाने पर उत्पादन करते हैं. स्थानीय स्तर पर कोल्ड स्टोरेज और विपणन की व्यवस्था नहीं होने के चलते किसानों को उनकी मेहनत का सही मूल्य नहीं मिल पाता है.
किसान आलू को ओने-पौने दामों में बेचने को मजबूर हैं. इससे काश्तकार खासे मायूस हैं. काश्तकार राज्य सरकार से कोल्ड स्टोरेज और मंडी बनाने की मांग की है. ताकि यहां काश्तकारों का ये एक बड़ा रोजगार बन सके.
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बता दें कि अल्मोड़ा जनपद की सोमेश्वर क्षेत्र की बौरारो घाटी कृषि के लिये प्रसिद्ध है. यहां के सैकड़ों किसान आलू का उत्पादन करते हैं जो पूर्ण रूप से ऑर्गेनिक होता है. पूरे क्षेत्र में हजारों कुंतल आलू की पैदावार होती है. लेकिन मंडी और कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां के किसान काफी परेशान हैं.
किसानों का कहना है कि पूरे 6 महीने के मेहनत के बाद भी उनको निराशा ही हाथ लगती है. आधा दर्जन गांवों की हजारों नाली भूमि में इसकी पैदावार की जाती है. उन्होंने बताया कि आलू की पैदावार अच्छी होती है. पर यहां पर मंडी और कोल्ड स्टोरेज नहीं होने के कारण उनको ओने-पौने दामों में आलू बेचना पड़ता है. इससे उनको बीज की कीमत भी नहीं मिल पाती है.
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किसानों ने बताया कि यहां का आलू बहुत गुणकारी और पूर्ण रूप से जैविक है. उनका कहना है कि इस आलू को स्वर्ण आलू भी कहा जाता है. उनको इसका बीज उद्यान विभाग नहीं दे पाता है. इस कारण उनको बीज लाने के लिये दूर-दूर भटकना पड़ता है.