अल्मोड़ा: प्रसिद्ध शिव धाम जागेश्वर में हर साल सावन माह में श्रावणी मेला लगता है. एक महीने तक चलने वाले इस मेले में देशभर से लाखों श्रद्धालु पूजा-पाठ और विशेष शिव आराधना के लिए पहुंचते हैं. इस साल यह मेला 16 जुलाई से शुरू होगा और पूरे सावन माह तक चलेगा. मेले को लेकर जिला प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं.
जागेश्वर मंदिर समूह अपनी वास्तुकला के लिए भी काफी विख्यात है. बड़े-बड़े पत्थरों से निर्मित मंदिर बहुत ही भव्य है. उत्तराखंड के देव स्थानों में अहम माने जाने वाले जागेश्वर धाम में 125 छोटे-बड़े मंदिरों का समूह है. जिला मुख्यालय से 38 किलोमीटर दूर देवदार के जंगलों के बीच स्थित जागेश्वर इनमें से सबसे बड़ा मंदिर समूह है. जागेश्वर धाम को उत्तराखंड के पांचवें धाम के रूप में जाना जाता है.
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जागेश्वर मंदिर में सभी बड़े देवी देवताओं के मंदिर हैं. मान्यता है कि शिव के महामृत्युंजय रूप वाले मंदिर में जाप करने से मृत्यु तुल्य कष्ट टल जाते हैं. इतिहासकार मानते हैं कि इन मंदिर समूह का निर्माण आठवीं और दसवीं शताब्दी में कत्यूरी और चंद्र शासकों ने बनवाया था. इस स्थल के मुख्य मंदिरों में डंडेश्वर मंदिर, चंडीका मंदिर, कुबेर मंदिर, मृत्युंजय मंदिर, नव दुर्गा मंदिर, नवाग्रह मंदिर, पिरामिड मंदिर शामिल हैं.
प्राचीन मान्यता के अनुसार जागेश्वर धाम भगवान शिव की तपोस्थली है. पुराणों में कहा जाता है कि भगवान शिव यहां ध्यान के लिए आया करते थे. इस स्थान में कर्मकांड, जप, पार्थिव पूजा आदि की जाती है. यहां विदेशी पर्यटक भी खूब आते हैं.
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इस साल 16 जुलाई से शुरू होने वाले मेला की तैयारी जिला प्रशासन ने शुरू कर दी है. जिलाधिकारी नितिन भदौरिया ने बताया कि सभी विभागों को समय से पहले तैयारी पूरी करने को कहा गया है. उन्होंने बताया कि यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं, इसलिए यातायात को लेकर विशेष व्यवस्था की गई है. मंदिर से कुछ दूर पहले ही पार्किंग बनाई गयी है.