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यहां भगवान शिव ने की थी तपस्या, उत्तराखंड का है पांचवां धाम, पूरे एक महीने लगता है श्रावणी मेला

जागेश्वर धाम में एक महीने लगेगा श्रावणी मेला. यहां देश-विदेश से पहुंचते हैं श्रद्धालु.

उत्तराखंड का है पांचवां धाम जागेश्वर.
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Published : Jun 1, 2019, 6:28 PM IST

Updated : Jun 1, 2019, 6:59 PM IST

अल्मोड़ा: प्रसिद्ध शिव धाम जागेश्वर में हर साल सावन माह में श्रावणी मेला लगता है. एक महीने तक चलने वाले इस मेले में देशभर से लाखों श्रद्धालु पूजा-पाठ और विशेष शिव आराधना के लिए पहुंचते हैं. इस साल यह मेला 16 जुलाई से शुरू होगा और पूरे सावन माह तक चलेगा. मेले को लेकर जिला प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं.

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उत्तराखंड का है पांचवां धाम जागेश्वर.

जागेश्वर मंदिर समूह अपनी वास्तुकला के लिए भी काफी विख्यात है. बड़े-बड़े पत्थरों से निर्मित मंदिर बहुत ही भव्य है. उत्तराखंड के देव स्थानों में अहम माने जाने वाले जागेश्वर धाम में 125 छोटे-बड़े मंदिरों का समूह है. जिला मुख्यालय से 38 किलोमीटर दूर देवदार के जंगलों के बीच स्थित जागेश्वर इनमें से सबसे बड़ा मंदिर समूह है. जागेश्वर धाम को उत्तराखंड के पांचवें धाम के रूप में जाना जाता है.

उत्तराखंड का पांचवां धाम है जागेश्वर.

पढ़ें- 'डिजिटल' की चमक में फीका पड़ा 'सर्कस', लोगों में खत्म हुआ क्रेज

जागेश्वर मंदिर में सभी बड़े देवी देवताओं के मंदिर हैं. मान्यता है कि शिव के महामृत्युंजय रूप वाले मंदिर में जाप करने से मृत्यु तुल्य कष्ट टल जाते हैं. इतिहासकार मानते हैं कि इन मंदिर समूह का निर्माण आठवीं और दसवीं शताब्दी में कत्यूरी और चंद्र शासकों ने बनवाया था. इस स्थल के मुख्य मंदिरों में डंडेश्वर मंदिर, चंडीका मंदिर, कुबेर मंदिर, मृत्युंजय मंदिर, नव दुर्गा मंदिर, नवाग्रह मंदिर, पिरामिड मंदिर शामिल हैं.

प्राचीन मान्यता के अनुसार जागेश्वर धाम भगवान शिव की तपोस्थली है. पुराणों में कहा जाता है कि भगवान शिव यहां ध्यान के लिए आया करते थे. इस स्थान में कर्मकांड, जप, पार्थिव पूजा आदि की जाती है. यहां विदेशी पर्यटक भी खूब आते हैं.

पढ़ें- देवभूमि में यहां करें रंग-बिरंगे प्राकृतिक फूलों का दीदार, कुदरत ने बरसाई है नेमत

इस साल 16 जुलाई से शुरू होने वाले मेला की तैयारी जिला प्रशासन ने शुरू कर दी है. जिलाधिकारी नितिन भदौरिया ने बताया कि सभी विभागों को समय से पहले तैयारी पूरी करने को कहा गया है. उन्होंने बताया कि यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं, इसलिए यातायात को लेकर विशेष व्यवस्था की गई है. मंदिर से कुछ दूर पहले ही पार्किंग बनाई गयी है.

अल्मोड़ा: प्रसिद्ध शिव धाम जागेश्वर में हर साल सावन माह में श्रावणी मेला लगता है. एक महीने तक चलने वाले इस मेले में देशभर से लाखों श्रद्धालु पूजा-पाठ और विशेष शिव आराधना के लिए पहुंचते हैं. इस साल यह मेला 16 जुलाई से शुरू होगा और पूरे सावन माह तक चलेगा. मेले को लेकर जिला प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं.

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उत्तराखंड का है पांचवां धाम जागेश्वर.

जागेश्वर मंदिर समूह अपनी वास्तुकला के लिए भी काफी विख्यात है. बड़े-बड़े पत्थरों से निर्मित मंदिर बहुत ही भव्य है. उत्तराखंड के देव स्थानों में अहम माने जाने वाले जागेश्वर धाम में 125 छोटे-बड़े मंदिरों का समूह है. जिला मुख्यालय से 38 किलोमीटर दूर देवदार के जंगलों के बीच स्थित जागेश्वर इनमें से सबसे बड़ा मंदिर समूह है. जागेश्वर धाम को उत्तराखंड के पांचवें धाम के रूप में जाना जाता है.

उत्तराखंड का पांचवां धाम है जागेश्वर.

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जागेश्वर मंदिर में सभी बड़े देवी देवताओं के मंदिर हैं. मान्यता है कि शिव के महामृत्युंजय रूप वाले मंदिर में जाप करने से मृत्यु तुल्य कष्ट टल जाते हैं. इतिहासकार मानते हैं कि इन मंदिर समूह का निर्माण आठवीं और दसवीं शताब्दी में कत्यूरी और चंद्र शासकों ने बनवाया था. इस स्थल के मुख्य मंदिरों में डंडेश्वर मंदिर, चंडीका मंदिर, कुबेर मंदिर, मृत्युंजय मंदिर, नव दुर्गा मंदिर, नवाग्रह मंदिर, पिरामिड मंदिर शामिल हैं.

प्राचीन मान्यता के अनुसार जागेश्वर धाम भगवान शिव की तपोस्थली है. पुराणों में कहा जाता है कि भगवान शिव यहां ध्यान के लिए आया करते थे. इस स्थान में कर्मकांड, जप, पार्थिव पूजा आदि की जाती है. यहां विदेशी पर्यटक भी खूब आते हैं.

पढ़ें- देवभूमि में यहां करें रंग-बिरंगे प्राकृतिक फूलों का दीदार, कुदरत ने बरसाई है नेमत

इस साल 16 जुलाई से शुरू होने वाले मेला की तैयारी जिला प्रशासन ने शुरू कर दी है. जिलाधिकारी नितिन भदौरिया ने बताया कि सभी विभागों को समय से पहले तैयारी पूरी करने को कहा गया है. उन्होंने बताया कि यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं, इसलिए यातायात को लेकर विशेष व्यवस्था की गई है. मंदिर से कुछ दूर पहले ही पार्किंग बनाई गयी है.

Intro:प्रसिद्ध शिव के धाम जागेश्वर में हर वर्ष सावन माह में श्रावणी का मेला लगता है। यह मेला 1 महीने तक चलता है। इस दौरान देशभर से लाखो श्रद्धालु पूजा पाठ, शिवार्चन समेत भगवान शिव के दर्शन करने यहाँ पहुचते है। इस बार यह मेला 16 जुलाई से शुरू होगा जो पूरे सावन माह तक चलेगा। जिसको लेकर जिला प्रशासन तैयारियो में जुट चुका है।


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जिला मुख्यालय से 38 किलोमीटर दूर देवदार के जंगलों के बीच स्थित जागेश्वर मंदिर समूह का सबसे बड़ा मंदिर समूह है। उत्तराखंड के देव स्थानों में जागेश्वर धाम का स्थान भी प्रमुख है। जागेश्वर धाम को उत्तराखंड के पांचवे धाम के रूप में जाना जाता है जागेश्वर मंदिर में 125 छोटे बड़े मंदिरों का समूह है ।जागेश्वर मंदिर समूह अपनी वास्तुकला के लिए भी काफी विख्यात है। बड़े-बड़े पत्थरों से निर्मित मंदिर बहुत ही भव्य है ।
जागेश्वर मंदिर में सभी बड़े देवी देवताओं के मंदिर हैं ।दो मंदिर विशेष हैं पहला शिव और दूसरा शिव के महामृत्युंजय रूप वाला। मान्यता है कि यहाँ महामृत्युंजय जाप करने से मृत्यु तुल्य कष्ट टल जाते हैं। इतिहासकार मानते हैं कि इन मंदिर समूह का निर्माण आठवीं और दसवीं शताब्दी में कत्यूरी और चंद्र शासकों ने बनवाया था। इस स्थल के मुख्य मंदिरों में डंडेश्वर मंदिर, चंडी का मंदिर, कुबेर मंदिर, मृत्युंजय मंदिर ,नव दुर्गा मंदिर नवाग्रह मंदिर , पिरामिड मंदिर शामिल हैं। प्राचीन मान्यता के अनुसार जागेश्वर धाम भगवान शिव की तपोस्थली है। पुराणों में कहा जाता है कि भगवान शिव यहां ध्यान के लिए आया करते थे।

श्रावण के महीने में देश-विदेश के श्रद्धालु यहां भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं इस स्थान में कर्मकांड ,जप पार्थिव पूजा आदि की जाती है यहां विदेशी पर्यटक भी खूब आते हैं । इस वर्ष 16 जुलाई से यहाँ मेला शुरू हो जाएगा। जिला प्रशासन मेले की तैयारियों में जुट चुका है। जिलाधिकारी नितिन भदौरिया ने बताया कि सभी विभागों को निर्देशित कर समय से पहले तैयारी पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं। क्योंकि यहाँ भारी मात्रा में श्रद्धालु पहुचते है उनके लिए यातायात को लेकर विशेष व्यवस्था की गई है। मंदिर से कुछ दूरी पहले ही पार्किंग बनाई गयी है।

बाइट- नितिन भदौरिया, जिलाधिकारी अल्मोड़ा

विजुअल jageshwar vijual नाम से ftp से भेजा है।


Conclusion:
Last Updated : Jun 1, 2019, 6:59 PM IST
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