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लुप्त हो रही प्राचीन काष्ठकला को संजोने में जुटा प्रशासन

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Published : Oct 27, 2020, 4:46 PM IST

Updated : Oct 27, 2020, 6:27 PM IST

अल्मोड़ा बाजार में विशिष्ठ काष्ठकला और नक्काशी से निर्मित घरों को पुनर्जीवित करने के लिए जिला प्रशासन आगे आया है.

woodwork of Chand dynasty
चंद वंशीय राजाओं की काष्ठकला

अल्मोड़ा: कुमाऊं के प्राचीन घर अपनी विशिष्ट काष्ठकला के लिए मशहूर हैं. इन घरों में छज्जा व लकड़ी में की गयी नक्काशी अपने आप में अनुपम है. अल्मोड़ा बाजार में स्थित काष्ठकला से सुसज्जित चंद घर आज भी इस शहर की सुंदरता पर चार चांद तो लगा रहे हैं. खासकर बाजार के ये पुराने भवन पर्यटको के लिए आकर्षण का केंद्र भी हैं. लेकिन धीरे-धीरे काष्ठ शिल्प के ये प्राचीन घर अब लुप्त होते जा रहे हैं. ऐसे में प्रशासन ने इन भवनों को संरक्षित करने का काम शुरू कर दिया है. जिला विकास प्राधिकरण पत्थरों व लड़की की अनूठी नक्काशी वाले इन पुराने भवनों में इन दिनों रंग रोगन कर उनके स्वरूप को कायम रखने का काम कर रहा है.

लुप्त हो रही चंद वंशीय राजाओं की काष्ठकला.

सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा प्राचीनतम शहरों में गिनी जाती है. इस नगर को चंद वंशीय राजाओं की राजधानी भी कहा जाता है. जिसके बाद ब्रिटिश शासन काल में यह कुमाऊं कमिश्नरी रहा. एक जमाने में यहां पत्थरों व काष्ठकला से युक्त परंपरागत शिल्प वाले भवन बहुतायत हुआ करते थे, लेकिन धीरे-धीरे कारीगरों के अभाव व आधुनिक शैली के चलते इनकी जगह शहर में सीमेंट व कंक्रीट के घर बनने लगे.

पढ़ेंः गौचर से चंद मिनटों में टैक्ट्रर ले उड़ा सेना का 'बाहुबली', केदार सेवा कर रहा चिनूक

लेकिन नगर के जौहरी बाजार में आज भी काष्ठ कला के बेजोड़ नमूनों वाले चंद घर नगर की शान बने हुए हैं. लेकिन रख-रखाव न होने के चलते बचे खुचे ये ऐतिहासिक भवन जीर्ण शीर्ण होते जा रहे हैं. इसी को देखते हुए इन्हें संरक्षित करने के लिए जिला प्रशासन आगे आया है. जिला विकास प्राधिकरण फसाड वितरण योजना के तहत इन पुराने घरों को संवारने का काम शुरू कर दिया है. इन दिनों डीडीए द्वारा नगर के इन प्राचीन भवनों को रंग रोगन कर उनको पुराने स्वरूप में बदला जा रहा है.

अल्मोड़ा: कुमाऊं के प्राचीन घर अपनी विशिष्ट काष्ठकला के लिए मशहूर हैं. इन घरों में छज्जा व लकड़ी में की गयी नक्काशी अपने आप में अनुपम है. अल्मोड़ा बाजार में स्थित काष्ठकला से सुसज्जित चंद घर आज भी इस शहर की सुंदरता पर चार चांद तो लगा रहे हैं. खासकर बाजार के ये पुराने भवन पर्यटको के लिए आकर्षण का केंद्र भी हैं. लेकिन धीरे-धीरे काष्ठ शिल्प के ये प्राचीन घर अब लुप्त होते जा रहे हैं. ऐसे में प्रशासन ने इन भवनों को संरक्षित करने का काम शुरू कर दिया है. जिला विकास प्राधिकरण पत्थरों व लड़की की अनूठी नक्काशी वाले इन पुराने भवनों में इन दिनों रंग रोगन कर उनके स्वरूप को कायम रखने का काम कर रहा है.

लुप्त हो रही चंद वंशीय राजाओं की काष्ठकला.

सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा प्राचीनतम शहरों में गिनी जाती है. इस नगर को चंद वंशीय राजाओं की राजधानी भी कहा जाता है. जिसके बाद ब्रिटिश शासन काल में यह कुमाऊं कमिश्नरी रहा. एक जमाने में यहां पत्थरों व काष्ठकला से युक्त परंपरागत शिल्प वाले भवन बहुतायत हुआ करते थे, लेकिन धीरे-धीरे कारीगरों के अभाव व आधुनिक शैली के चलते इनकी जगह शहर में सीमेंट व कंक्रीट के घर बनने लगे.

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लेकिन नगर के जौहरी बाजार में आज भी काष्ठ कला के बेजोड़ नमूनों वाले चंद घर नगर की शान बने हुए हैं. लेकिन रख-रखाव न होने के चलते बचे खुचे ये ऐतिहासिक भवन जीर्ण शीर्ण होते जा रहे हैं. इसी को देखते हुए इन्हें संरक्षित करने के लिए जिला प्रशासन आगे आया है. जिला विकास प्राधिकरण फसाड वितरण योजना के तहत इन पुराने घरों को संवारने का काम शुरू कर दिया है. इन दिनों डीडीए द्वारा नगर के इन प्राचीन भवनों को रंग रोगन कर उनको पुराने स्वरूप में बदला जा रहा है.

Last Updated : Oct 27, 2020, 6:27 PM IST
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