देहरादून: उत्तराखंड चारधाम यात्रा आगामी 7 मई को यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही शुरू हो रही है. जिसके बाद 9 मई को केदारनाथ और 10 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुल रहे हैं. हालांकि, इस बार चारधाम यात्रा 20 दिन की देरी से शुरू हो रही है, जबकि पिछली साल यात्रा 18 अप्रैल को शुरू हो गई थी. वहीं, सूबे में आचार संहिता लागू होने चलते इस बार चारधाम यात्रा की तमाम व्यवस्थाओं पर आचार संहिता का पहरा है.
चारधाम यात्रा पर आचार संहिता का साया, आखिर कैसे पूरी होगी तैयारियां?
लोकसभा चुनाव के चलते उत्तराखंड में आचार संहिता लागू है. वहीं, सूबे की पांचों लोकसभा सीटों पर बीती 11 अप्रैल को मतदान प्रक्रिया संपन्न हो गई है. वहीं, आगामी 23 मई को चुनाव परिणाम की घोषणा होनी है. ऐसे में जिस तरह राज्य सरकार पिछले चारधाम यात्रा के तैयारियों में जुटी थी, उस तरह तैयारियां इस साल नहीं हो पा रही है.
Chardham yatra
देहरादून: उत्तराखंड चारधाम यात्रा आगामी 7 मई को यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही शुरू हो रही है. जिसके बाद 9 मई को केदारनाथ और 10 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुल रहे हैं. हालांकि, इस बार चारधाम यात्रा 20 दिन की देरी से शुरू हो रही है, जबकि पिछली साल यात्रा 18 अप्रैल को शुरू हो गई थी. वहीं, सूबे में आचार संहिता लागू होने चलते इस बार चारधाम यात्रा की तमाम व्यवस्थाओं पर आचार संहिता का पहरा है.
Intro:उत्तराखंड चारधाम यात्रा अगले महीने 7 मई को यमुनोत्री धाम और गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही शुरू हो रही है। और 9 मई को केदारनाथ धाम इसके साथ ही 10 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुल रहे है। हालांकि अगले महीने शुरू हो रही चारधाम यात्रा, आचार संहिता के बीच शुरू हो रहा है। ऐसे में चारधाम यात्रा को प्रमोट करने के साथ ही चारधाम के तमाम व्यवस्थाओ पर आचार संहिता का पहरा पड़ा हुआ है। इस साल शुरू हो रहे चारधाम यात्रा 20 दिन की देरी से चारधाम यात्रा शुरू हो रही है। हालांकि अगर पिछले साल की बात करे तो चारधाम यात्रा, 18 अप्रैल को शुरू हुई हो गयी थी।
Body:उत्तराखंड के पांचो लोकसभा सीटों पर मतदान समाप्त हो जाने के बावजूद आचार संहिता लागू है। ऐसे में जिस तरह राज्य सरकार पिछले चारधाम यात्रा के तैयारियों में जुटी थी। उस तरह इस साल तैयारियां नही हो पा रही है। और इसके साथ ही चारधाम यात्रा के शुरुआती तैयारियां भी काफी कम नज़र आ रही है। और इस वजह से राज्य सरकार के लिए चारधाम यात्रा एक बड़ी चुनौती भी बन गयी है कि सरकार किस तरह इस बार यात्रा की तैयारियों और चारधाम यात्रा का प्रमोशन कर पाती है।
........साल 2012 से 2018 तक यात्रियों की संख्या........
- साल 2012 में चारधाम यात्रा के दौरान 27 लाख 98 हज़ार 466 यात्रियों ने चारधाम के दर्शन किये थे।
- साल 2013 में चारधाम यात्रा के दौरान 13 लाख 53 हज़ार 139 यात्रियों ने चारधाम के दर्शन किये थे।
- साल 2014 में चारधाम यात्रा के दौरान 3 लाख 27 हज़ार 213 यात्रियों ने चारधाम के दर्शन किये थे।
- साल 2015 में चारधाम यात्रा के दौरान 8 लाख 75 हज़ार 77 यात्रियों ने चारधाम के दर्शन किये थे।
- साल 2016 में चारधाम यात्रा के दौरान 15 लाख 21 हज़ार 494 यात्रियों ने चारधाम के दर्शन किये थे।
- साल 2017 में चारधाम यात्रा के दौरान 23 लाख 24 हज़ार 158 यात्रियों ने चारधान के दर्शन किये थे।
- साल 2018 में चारधाम यात्रा के दौरान 27 लाख 69 हज़ार 508 यात्रियों ने चारधाम के दर्शन किये थे।
साल 2013 में आयी थी आपदा......
उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में साल 2013 में आयी दिल दहला देने वाली त्रासदी के बाद लोगो के जहन में एक डर सा बन गया था। हालांकि उस दौरान तत्कालीन सरकार ने भी केदार धाम में फसे लोगो को निकालने और अन्य व्यवस्थाएं मुहैया कराने में जुट गई थी। इसके बाद पुनः केदार धाम को बसाने में केंद्र सरकार समेत अन्य राज्य सरकारों ने भी काफी मदद की थी। हालांकि केदारनाथ धाम में आई आपदा का डर अभी भी कही न कही लोगो के जहन में बसी हुई है। और यही वजह रही कि आपदा आने के बाद यात्रियों में भारी कमी देखी गयी। जिसके बाद राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने केदार धाम को फिर से बसाया और फिर चारधाम को प्रमोट किया। और फिर साल 2016 से चारधाम में यात्रियों के भारी संख्या में पहुँचने का शिलशिला शुरू हुआ।
हर साल चारधाम यात्रा शुरू होने से कुछ महीने पहले ही शुरू हो जाती थी तैयारियां.....
हालांकि साल 2013 में आयी आपदा के बाद से हर बार चारधाम यात्रा अप्रैल महीने में ही शुरू हो जाती थी। इसके साथ ही राज्य सरकार चारधाम की तैयारियों और चारधाम यात्रा का प्रमोशन करने में जुट जाती थी। ताकि आपदा के बाद फिर से अब चारधाम अपने पुराने रूप में आ जाये। और ज्यादा से ज्यादा यात्री चारधाम के दर्शन करने पहुचे। लेकिन अगले महीने शुरू हो रहे चारधाम यात्रा की तैयारियो पर कही न कही आचार संहिता का पहरा नज़र आ रहा है। क्योकि चारधाम यात्रा शुरू होने में मात्र 16 दिन ही बचे है। लेकिन सही मायने में अभी तक चारधाम की तैयारियां शुरू नही हो पाई है। इसके साथ ही इस बार राज्य सरकार चारधाम यात्रा को प्रमोट भी नही कर पा रही है।
चारधाम यात्रा से राज्य सरकार का जुड़ा है बड़ा राजस्व.....
उत्तराखंड राज्य की अपनी भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से आर्थिकी जुटाने के सीमित संसाधन है। जहाँ से राज्य सरकार राजस्व जुटा सकता है। आर्थिक संसाधन जुटाने में एक चारधाम यात्रा भी शामिल है जहाँ से राज्य सरकार एक बड़ा आर्थिक हिस्सा जुड़ा है। और यही वजह है कि हर साल राज्य सरकार चारधाम यात्रा को बढ़ाने के लिए लाख कोशिश करता रहता है। ताकि ज्यादा से ज्यादा यात्री चारधाम यात्रा करने आये। जिससे राज्य सरकार का राजस्व तो बढ़ता है इसके साथ ही स्थानीय निवासियों और व्यापारियों को इससे अच्छा फायदा होता हैं।
चारधाम यात्रा का प्रमोशन ना होने पर यात्रियों पर पड़ेगा फर्क.....
चारधाम यात्रा पर पड़ रहे आचार संहिता के पहरे पर बोलते हुए भाजपा प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट ने बताया कि चारधाम यात्रा को लेकर राज्य सरकार जो पब्लिसिटी करना चाहती है वह आचार संहिता लगे होने की वजह से नहीं कर पा रही है। जिसको देखते हुए राज्य सरकार ने भारत निर्वाचन आयोग और केंद्र सरकार को पत्र भेजकर चारधाम यात्रा के लिए सहूलियत मांगी है ताकि चारधाम यात्रा का प्रमोशन किया जा सके। और उन्हें उम्मीद है कि भारत निर्वाचन आयोग, चारधाम यात्रा के प्रमोशन के लिए परमिशन दे देगा। साथ ही बताया कि पब्लिसिटी कम होने या फिर नहीं होने से चारधाम की ओर यात्रियों का रुझान कम रहता है।
बाइट - वीरेंद्र बिष्ट (प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा)
वहीं कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने बताया कि बीजेपी चारधाम यात्रा में आचार संहिता का हीलाहवाली कर बहाना नहीं कर सकती है। बीजेपी को चुनाव आयोग से परमिशन लेना चाहिए। चुनाव आयोग को पता है कि चारधाम यात्रा उत्तराखंड की लाइफ लाइन है और इससे उत्तराखंड के लाखों परिवारों की रोजी-रोटी चलती है। चारधाम यात्रा आस्था का सवाल है पूरे देश और दुनिया से लोग चारधाम के दर्शन करने आते हैं। साथ ही बताया कि आचार संहिता उन मामलों में आड़े नहीं आती जो चीज जरूरी होती है, इस मामले में सरकार को तत्काल चुनाव आयोग से बात करके शत-प्रतिशत तैयारी करने के लिए परमिशन लेना चाहिए।
बाइट - सूर्यकांत धस्माना (प्रदेश उपाध्यक्ष, कांग्रेस)
पीटीसी - रोहित सोनी
Conclusion:
Body:उत्तराखंड के पांचो लोकसभा सीटों पर मतदान समाप्त हो जाने के बावजूद आचार संहिता लागू है। ऐसे में जिस तरह राज्य सरकार पिछले चारधाम यात्रा के तैयारियों में जुटी थी। उस तरह इस साल तैयारियां नही हो पा रही है। और इसके साथ ही चारधाम यात्रा के शुरुआती तैयारियां भी काफी कम नज़र आ रही है। और इस वजह से राज्य सरकार के लिए चारधाम यात्रा एक बड़ी चुनौती भी बन गयी है कि सरकार किस तरह इस बार यात्रा की तैयारियों और चारधाम यात्रा का प्रमोशन कर पाती है।
........साल 2012 से 2018 तक यात्रियों की संख्या........
- साल 2012 में चारधाम यात्रा के दौरान 27 लाख 98 हज़ार 466 यात्रियों ने चारधाम के दर्शन किये थे।
- साल 2013 में चारधाम यात्रा के दौरान 13 लाख 53 हज़ार 139 यात्रियों ने चारधाम के दर्शन किये थे।
- साल 2014 में चारधाम यात्रा के दौरान 3 लाख 27 हज़ार 213 यात्रियों ने चारधाम के दर्शन किये थे।
- साल 2015 में चारधाम यात्रा के दौरान 8 लाख 75 हज़ार 77 यात्रियों ने चारधाम के दर्शन किये थे।
- साल 2016 में चारधाम यात्रा के दौरान 15 लाख 21 हज़ार 494 यात्रियों ने चारधाम के दर्शन किये थे।
- साल 2017 में चारधाम यात्रा के दौरान 23 लाख 24 हज़ार 158 यात्रियों ने चारधान के दर्शन किये थे।
- साल 2018 में चारधाम यात्रा के दौरान 27 लाख 69 हज़ार 508 यात्रियों ने चारधाम के दर्शन किये थे।
साल 2013 में आयी थी आपदा......
उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में साल 2013 में आयी दिल दहला देने वाली त्रासदी के बाद लोगो के जहन में एक डर सा बन गया था। हालांकि उस दौरान तत्कालीन सरकार ने भी केदार धाम में फसे लोगो को निकालने और अन्य व्यवस्थाएं मुहैया कराने में जुट गई थी। इसके बाद पुनः केदार धाम को बसाने में केंद्र सरकार समेत अन्य राज्य सरकारों ने भी काफी मदद की थी। हालांकि केदारनाथ धाम में आई आपदा का डर अभी भी कही न कही लोगो के जहन में बसी हुई है। और यही वजह रही कि आपदा आने के बाद यात्रियों में भारी कमी देखी गयी। जिसके बाद राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने केदार धाम को फिर से बसाया और फिर चारधाम को प्रमोट किया। और फिर साल 2016 से चारधाम में यात्रियों के भारी संख्या में पहुँचने का शिलशिला शुरू हुआ।
हर साल चारधाम यात्रा शुरू होने से कुछ महीने पहले ही शुरू हो जाती थी तैयारियां.....
हालांकि साल 2013 में आयी आपदा के बाद से हर बार चारधाम यात्रा अप्रैल महीने में ही शुरू हो जाती थी। इसके साथ ही राज्य सरकार चारधाम की तैयारियों और चारधाम यात्रा का प्रमोशन करने में जुट जाती थी। ताकि आपदा के बाद फिर से अब चारधाम अपने पुराने रूप में आ जाये। और ज्यादा से ज्यादा यात्री चारधाम के दर्शन करने पहुचे। लेकिन अगले महीने शुरू हो रहे चारधाम यात्रा की तैयारियो पर कही न कही आचार संहिता का पहरा नज़र आ रहा है। क्योकि चारधाम यात्रा शुरू होने में मात्र 16 दिन ही बचे है। लेकिन सही मायने में अभी तक चारधाम की तैयारियां शुरू नही हो पाई है। इसके साथ ही इस बार राज्य सरकार चारधाम यात्रा को प्रमोट भी नही कर पा रही है।
चारधाम यात्रा से राज्य सरकार का जुड़ा है बड़ा राजस्व.....
उत्तराखंड राज्य की अपनी भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से आर्थिकी जुटाने के सीमित संसाधन है। जहाँ से राज्य सरकार राजस्व जुटा सकता है। आर्थिक संसाधन जुटाने में एक चारधाम यात्रा भी शामिल है जहाँ से राज्य सरकार एक बड़ा आर्थिक हिस्सा जुड़ा है। और यही वजह है कि हर साल राज्य सरकार चारधाम यात्रा को बढ़ाने के लिए लाख कोशिश करता रहता है। ताकि ज्यादा से ज्यादा यात्री चारधाम यात्रा करने आये। जिससे राज्य सरकार का राजस्व तो बढ़ता है इसके साथ ही स्थानीय निवासियों और व्यापारियों को इससे अच्छा फायदा होता हैं।
चारधाम यात्रा का प्रमोशन ना होने पर यात्रियों पर पड़ेगा फर्क.....
चारधाम यात्रा पर पड़ रहे आचार संहिता के पहरे पर बोलते हुए भाजपा प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट ने बताया कि चारधाम यात्रा को लेकर राज्य सरकार जो पब्लिसिटी करना चाहती है वह आचार संहिता लगे होने की वजह से नहीं कर पा रही है। जिसको देखते हुए राज्य सरकार ने भारत निर्वाचन आयोग और केंद्र सरकार को पत्र भेजकर चारधाम यात्रा के लिए सहूलियत मांगी है ताकि चारधाम यात्रा का प्रमोशन किया जा सके। और उन्हें उम्मीद है कि भारत निर्वाचन आयोग, चारधाम यात्रा के प्रमोशन के लिए परमिशन दे देगा। साथ ही बताया कि पब्लिसिटी कम होने या फिर नहीं होने से चारधाम की ओर यात्रियों का रुझान कम रहता है।
बाइट - वीरेंद्र बिष्ट (प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा)
वहीं कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने बताया कि बीजेपी चारधाम यात्रा में आचार संहिता का हीलाहवाली कर बहाना नहीं कर सकती है। बीजेपी को चुनाव आयोग से परमिशन लेना चाहिए। चुनाव आयोग को पता है कि चारधाम यात्रा उत्तराखंड की लाइफ लाइन है और इससे उत्तराखंड के लाखों परिवारों की रोजी-रोटी चलती है। चारधाम यात्रा आस्था का सवाल है पूरे देश और दुनिया से लोग चारधाम के दर्शन करने आते हैं। साथ ही बताया कि आचार संहिता उन मामलों में आड़े नहीं आती जो चीज जरूरी होती है, इस मामले में सरकार को तत्काल चुनाव आयोग से बात करके शत-प्रतिशत तैयारी करने के लिए परमिशन लेना चाहिए।
बाइट - सूर्यकांत धस्माना (प्रदेश उपाध्यक्ष, कांग्रेस)
पीटीसी - रोहित सोनी
Conclusion: