रुद्रपुर/खटीमा: दिल्ली/एनसीआर के बाद उत्तराखंड की हवाओं में भी जहर घुलना शुरू हो गया है. मैदानी इलाकों में किसानों द्वारा लगातर पराली जलाई जा रही है. जिस कारण प्रदूषण स्तर बढ़ता जा रहा है. आलम ये है कि हर ओर सफेद धुंध बना हुआ है. जिस कारण वैज्ञानिक भी चिंतित दिखाई दे रहे हैं. पंतनगर कृषि विश्व विद्यालय के वैज्ञानिकों की मानें तो उत्तराखंड की हवाओं में वायु प्रदूषण दिल्ली की तरह ही बढ़ रहा है.
वैज्ञानिकों के अनुसार एयर क्वालिटी इंडेक्स 0 से 50 होनी चाहिए. लेकिन उधम सिंह नगर में एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 पहुंच चुका है. वैज्ञानिकों ने कहा कि अगर यही हाल रहा तो इसका असर लोगों पर पड़ने लगेगा. खासतौर से बूढ़ों और बच्चों पर इसका सबसे बुरा प्रभाव पड़ेगा. इस तरह के वातावरण के कारण सांस की बीमारी, खासी और कैंसर भी हो सकता है. साथ ही कहा कि लोगों को मास्क पहनने की भी जरूरत पड़ सकती है.
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बता दें कि हर साल पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने से दिल्ली में धुंध छाया रहता है. जिससे आम लोगों का जीना भी दूभर हो गया है. इसी क्रम में उत्तराखंड के मैदानी जिलों में किसानों द्वारा खुलेआम पराली जलाई जा रही है. जिस कारण प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है. उत्तराखंड के मैदानी जिले उधम सिंह नगर के खटीमा, सितारगंज, झनकट और नानकमत्ता में किसानों द्वारा खुलेआम पराली जलाई जा रही हैं. जिससे देहरादून समेत अन्य मैदानी क्षेत्रों में सुबह-शाम धुंध छाई रहती है.