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उत्तराखंड की हवाओं में लगातार घुल रहा 'जहर', सामान्य से कई गुना ज्यादा हुआ एयर क्वालिटी इंडेक्स

उत्तराखंड में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. आलम ये है कि मैदानी क्षेत्रों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 पहुंच चुका है. जोकि सामान्य से कई गुना ज्यादा है.

उत्तराखंड में बढ़ रहा वायु प्रदूषण का स्तर.
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Published : Nov 4, 2019, 6:07 PM IST

रुद्रपुर/खटीमा: दिल्ली/एनसीआर के बाद उत्तराखंड की हवाओं में भी जहर घुलना शुरू हो गया है. मैदानी इलाकों में किसानों द्वारा लगातर पराली जलाई जा रही है. जिस कारण प्रदूषण स्तर बढ़ता जा रहा है. आलम ये है कि हर ओर सफेद धुंध बना हुआ है. जिस कारण वैज्ञानिक भी चिंतित दिखाई दे रहे हैं. पंतनगर कृषि विश्व विद्यालय के वैज्ञानिकों की मानें तो उत्तराखंड की हवाओं में वायु प्रदूषण दिल्ली की तरह ही बढ़ रहा है.

उत्तराखंड में बढ़ रहा वायु प्रदूषण का स्तर.

वैज्ञानिकों के अनुसार एयर क्वालिटी इंडेक्स 0 से 50 होनी चाहिए. लेकिन उधम सिंह नगर में एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 पहुंच चुका है. वैज्ञानिकों ने कहा कि अगर यही हाल रहा तो इसका असर लोगों पर पड़ने लगेगा. खासतौर से बूढ़ों और बच्चों पर इसका सबसे बुरा प्रभाव पड़ेगा. इस तरह के वातावरण के कारण सांस की बीमारी, खासी और कैंसर भी हो सकता है. साथ ही कहा कि लोगों को मास्क पहनने की भी जरूरत पड़ सकती है.

पढ़ें: सफेद चादर से ढकी चोटियों ने बढ़ाई केदार नगरी की खूबसूरती

बता दें कि हर साल पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने से दिल्ली में धुंध छाया रहता है. जिससे आम लोगों का जीना भी दूभर हो गया है. इसी क्रम में उत्तराखंड के मैदानी जिलों में किसानों द्वारा खुलेआम पराली जलाई जा रही है. जिस कारण प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है. उत्तराखंड के मैदानी जिले उधम सिंह नगर के खटीमा, सितारगंज, झनकट और नानकमत्ता में किसानों द्वारा खुलेआम पराली जलाई जा रही हैं. जिससे देहरादून समेत अन्य मैदानी क्षेत्रों में सुबह-शाम धुंध छाई रहती है.

रुद्रपुर/खटीमा: दिल्ली/एनसीआर के बाद उत्तराखंड की हवाओं में भी जहर घुलना शुरू हो गया है. मैदानी इलाकों में किसानों द्वारा लगातर पराली जलाई जा रही है. जिस कारण प्रदूषण स्तर बढ़ता जा रहा है. आलम ये है कि हर ओर सफेद धुंध बना हुआ है. जिस कारण वैज्ञानिक भी चिंतित दिखाई दे रहे हैं. पंतनगर कृषि विश्व विद्यालय के वैज्ञानिकों की मानें तो उत्तराखंड की हवाओं में वायु प्रदूषण दिल्ली की तरह ही बढ़ रहा है.

उत्तराखंड में बढ़ रहा वायु प्रदूषण का स्तर.

वैज्ञानिकों के अनुसार एयर क्वालिटी इंडेक्स 0 से 50 होनी चाहिए. लेकिन उधम सिंह नगर में एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 पहुंच चुका है. वैज्ञानिकों ने कहा कि अगर यही हाल रहा तो इसका असर लोगों पर पड़ने लगेगा. खासतौर से बूढ़ों और बच्चों पर इसका सबसे बुरा प्रभाव पड़ेगा. इस तरह के वातावरण के कारण सांस की बीमारी, खासी और कैंसर भी हो सकता है. साथ ही कहा कि लोगों को मास्क पहनने की भी जरूरत पड़ सकती है.

पढ़ें: सफेद चादर से ढकी चोटियों ने बढ़ाई केदार नगरी की खूबसूरती

बता दें कि हर साल पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने से दिल्ली में धुंध छाया रहता है. जिससे आम लोगों का जीना भी दूभर हो गया है. इसी क्रम में उत्तराखंड के मैदानी जिलों में किसानों द्वारा खुलेआम पराली जलाई जा रही है. जिस कारण प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है. उत्तराखंड के मैदानी जिले उधम सिंह नगर के खटीमा, सितारगंज, झनकट और नानकमत्ता में किसानों द्वारा खुलेआम पराली जलाई जा रही हैं. जिससे देहरादून समेत अन्य मैदानी क्षेत्रों में सुबह-शाम धुंध छाई रहती है.

Intro:एंकर - एनसीआर दिल्ली के बाद उत्तराखंड की हवाओ में भी जहर घुलना सुरु हो चूका है। आलम ये है कि वातवरण को सफेद धुंध ने घेर लिया है। जिसकारण वैज्ञानिक भी चिंतित दिखाई दे रहे है। पिछले कुछ दिनों से धुंध बढ़ती ही जा रही है। पन्तनगर कृषि विश्व विद्यालय के वैज्ञानिक की माने तो वातवरण में प्रदूषण कई गुना बढ़ चुका है। सामान्य तह एयर क्वालटी इंडेक्स 0 से 50 होनी चाहिए लेकिन उधम सिंह नगर में वायु प्रदूषण दिल्ली की तर्ज में बढ़ रहा है। अब तक उधम सिंह नगर में एयर क्वालटी इंडेक्स 400 सौ तक पहुच चुका है। जिसके गम्भीर परिणाम हो सकते है।

Body:वीओ - दिल्ली के बाद अब उत्तराखंड की आवो हवा प्रदूषित हो चुकी है। दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण से मचे कोहराम के बाद उत्तराखंड के उधम सिंह नगर में भी वही स्थिति उतपन्न हो गयी है जो दिल्ली में हुई है। पिछले कुछ दिनों से जिले में धुंध छटने का नाम नही ले रही है। आलम ये है कि अब वैज्ञानिक लोगो से मास्क पहन कर बाहर निकलने की सलाह दे रहे है। कृषि वैज्ञानिकों की माने तो तराई के जिले उधम सिंह नगर में भी दिल्ली की तर्ज में प्रदूषण बड़ा है। उन्होंने बताया कि दीपावली के बाद से ही आसपास के क्षेत्रों में इस कदर धुंध छाई है की कुछ दूरी के बाद दिखाई नही दे रहा है। उन्होंने बताया कि हवा में प्रदूषण की लेयर अत्यधिक हो जाने के चलते आस पास धुंध सी छाई हुई है। इसके पीछे वाहनों से निकलने वाला धुंआ, किसानों द्वारा जलाई जा रही पराली ओर सबसे बड़ा कारण इस महीने हवा ना चलना सबसे कारण है। जिसकारण धुवे की लेयर वायु मण्डल में इक्कठा हो गई है। जिससे बच्चो ओर बुजुर्ग लोगो को काफी परेशानियां हो रही है। उधम सिंह नगर जिले में पिछले कुछ समय से एक्यूआई बहुत खराब हुआ है। जो नॉर्मल 0 से 50 होना था। वह दिनों दिन बदल रहा है। कल एक्यूआई की रिडिंग की गई थी तो वह काफी हद तक बड़ा हुआ है। उधम सिंह नगर में 400 के लगभग एयर क्वालटी इंडेक्स था। उन्होंने बताया कि अगर यही हाल रहा तो इसका असर लोगो मे दिखाई देगा। खास कर बूढ़े ओर बच्चो में इस वातवरण का असर देखने को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि अगर समय रहते हवा नही चली तो इसके परिणाम घातक भी हो सकते है। इसी तरह के वातवरण के कारण सास की बीमारी, खासी ओर लग्स केंसर भी हो सकता है।

बाइट - एके वर्मा, वैज्ञानिक।
Conclusion:
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