रुड़की: प्रदेश में कोरोना के संक्रमण चरम पर है. ऑक्सीजन की भारी कमी है. इसके बाद खून की भी कमी देखने को मिल रही है. कई लोगों की ऑक्सीजन न मिलने के कारण मौत हो रही है. कुछ ऐसे ही हालात ब्लड बैंकों के भी नजर आने लगे हैं. यहां इन दिनों खून की कमी देखी जा रही है. जिसके चलते थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को खून की पूर्ति करना भी भारी पड़ रहा है. डॉक्टरों द्वारा परिजनों को कहा गया है कि खुद ही खून का इंतजाम करें. ब्लड बैंकों में ब्लड की कमी इसलिए हो रही है क्योंकि कि इन दिनों ब्लड डोनेट कैंप नहीं लग पा रहे हैं और न ही लोग रक्तदान करने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं.
बता दें कि, रुड़की सिविल अस्पताल में 56 थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों का रजिस्ट्रेशन है. वहीं थैलेसीमिया से ग्रसित बच्चों को महीने में एक से दो बार ब्लड चढ़ाया जाता है. इसकी जरूरत महीने में 100 यूनिट से अधिक होती है. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते सिविल अस्पताल में कोई भी ब्लड कैंप नहीं लगा है. इसलिए अस्पताल प्रबंधन के सामने भी एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है. अस्पताल के सीएमएस डॉ. संजय कंसल का कहना है कि दो से तीन दिन तक के लिए उनके पास ब्लड है, लेकिन ब्लड की कमी एक बड़ी समस्या है. उन्होंने कहा कि बच्चों के परिजनों को भी सूचित किया गया है.
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यदि कोई ब्लड डोनेट नहीं करता है, तो अपना इंतजाम स्वयं करवा लें ताकि बच्चों को कोई परेशानी ना हो. यदि अस्पताल में जल्द ब्लड कैंप नहीं लगता है तो बच्चों की जान पर भी भारी पड़ सकता है. ऐसे में जहां कोरोना संकट के दौरान ऑक्सीजन की कमी महसूस की गई है तो वहीं ब्लड की कमी को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता.