ETV Bharat / city

मॉनसून आते ही घरों में कैद हो जाते हैं इन गांवों के लोग, महीनों के लिए कट जाता है देश-दुनिया से संपर्क - Rajaji Tiger Reserve

गंगा भोगपुर तल्ला,गंगा भोगपुर मल्ला, कौड़िया, किमसार, देवराना सहित कई ऐसे गांव हैं, जहां के ग्रामीण बारिश के कारण घरों में कैद होने को मजबूर हैं.

बरसात में घरों में कैद होने को मजबूर गांवों के लोग.
author img

By

Published : Jul 26, 2019, 11:36 PM IST

Updated : Jul 27, 2019, 10:14 AM IST

ऋषिकेश: उत्तराखंड में आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां बरसात का मौसम आते ही लोगों के सामने कई तरह की परेशानियां खड़ी हो जाती हैं. पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक में गंगा भोगपुर के साथ-साथ लगभग 20 से अधिक ऐसे गांव हैं जहां बरसात के समय 3 महीने के लिए लोग घरों में कैद हो जाते हैं. जिसके कारण यहां के लोगों का जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो जाता है. इस मामले में कई बार शासन-प्रशासन को अवगत करवाया गया है लेकिन अब तक नतीजा सिफर ही निकला. जिसके कारण ग्रामीणों में सरकार के खिलाफ आक्रोश है.

बरसात में घरों में कैद होने को मजबूर गांवों के लोग.

यम्केश्वर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले 20 गांव से अधिक लोग बारिश के मौसम में प्रभावित रहते हैं. गंगा भोगपुर तल्ला,गंगा भोगपुर मल्ला, कौड़िया, किमसार,देवराना सहित कई ऐसे गांव हैं जहां के ग्रामीण बारिश के कारण घरों में कैद होने को मजबूर हैं. दरअसल गांव के लोगो को अपनी मूलभूत सुविधाओं को जुटाने के लिए या तो ऋषिकेश या फिर हरिद्वार जाना पड़ता है. लेकिन बारिश के मौसम में ऋषिकेश की ओर आने वाले रास्ते पर पड़ने वाली बीन नदी उफान पर रहती है.

पढ़ें-ऋषिकेश: हाईटेक सुविधाओं से लैस होगा नया झूला पुल, ये चीजें बनाएंगी खास

जिसके चलते लोगों की आवाजाही इस रास्ते पर पूर्ण रूप से प्रतिबंधित हो जाती है. वहीं दूसरी ओर हरिद्वार जाने वाले रास्ते पर पड़ने वाला घासीराम रपटा भी बरसात के मौसम में विकराल रूप धारण कर लेता है. जिससे लोग हरिद्वार भी नहीं जा पाते. यही कारण है कि ग्रामीणों को 3 महीनों तक मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है.

पढ़ें-लक्ष्मण झूला पुल बंद होने से राम झूला पर बढ़ा भार, हर पल मंडरा रहा खतरा

लगभग 5 साल पहले गंगा भोगपुर सहित लगभग 20 गांव के लोगों ने बीन नदी पर पुल बनाने की मांग को लेकर लगभग 6 माह तक आंदोलन किया था. जिसके बाद सरकारी तंत्रों द्वारा ग्रामीणों को आश्वासन दिया गया था कि जल्द ही बीन नदी पर पुल का निर्माण किया जाएगा. आश्वासन मिलने के बाद ग्रामीणों ने अपना अनशन समाप्त कर दिया था लेकिन आश्वासन मात्र आश्वासन ही बनकर रह गया. पांच साल बीतने के बाद आज तक इस नदी पर पुल नहीं बन पाया है.

पढ़ें-बीजेपी भूल गई पार्टी की टैग लाइन, चुनिंदा पर ही लागू है 'एक व्यक्ति एक पद' का फार्मूला

गांव में रहने वाली शांति देवी और विमला देवी ने अपनी परेशानी बयां करते हुए ईटीवी भारत के साथ बातचीत की. उन्होंने बताया कि वे इस गांव में लगभग 70 वर्षों से रह रही हैं और आज भी यह गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. महिलाओं का कहना था कि बरसात के मौसम में अगर किसी को कोई गंभीर बीमारी हो जाती है तो उसका स्वास्थ्य परीक्षण तक नहीं हो पाता है .

पढ़ें-दो पक्षों के बीच मारपीट का वीडियो VIRAL , चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज

वही अगर किसी गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा होती है तो उसे अस्पताल तक भी नहीं पहुंचाया जा सकता है. बुजुर्ग महिलाओं ने कहा कि सरकार की अनदेखी और वन अधिनियम के कारण आज भी यह गांव विकास से कोसों दूर है. वहीं उन्होंने वर्तमान विधायक रितु खंडूड़ी को भी इसके लिए दोषी बताया. उनका कहना था कि चुनाव जीतने के बाद रितु खंडूड़ी ने इस ओर मुड़ कर भी नहीं देखा.

पढ़ें-जल्द शुरू होगी पंतनगर-पिथौरागढ़ हवाई सेवा, लखनऊ और चंडीगढ़ रूट के लिए भी उड़ान

अब ग्रामीण एक बार फिर से सरकार और वन विभाग के खिलाफ आंदोलन के मूड में हैं. बता दें कि बीन नदी का यह इलाका राजाजी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में पड़ता है और यहां पर वन अधिनियम लागू होता है. वन अधिनियम में कड़े कानून होने के कारण आज तक नदी के ऊपर पुल नहीं बन सका है. इस मामले में सिर्फ वन अधिनियम ही नहीं बल्कि सभी सरकारें भी बराबर की दोषी हैं.

ऋषिकेश: उत्तराखंड में आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां बरसात का मौसम आते ही लोगों के सामने कई तरह की परेशानियां खड़ी हो जाती हैं. पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक में गंगा भोगपुर के साथ-साथ लगभग 20 से अधिक ऐसे गांव हैं जहां बरसात के समय 3 महीने के लिए लोग घरों में कैद हो जाते हैं. जिसके कारण यहां के लोगों का जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो जाता है. इस मामले में कई बार शासन-प्रशासन को अवगत करवाया गया है लेकिन अब तक नतीजा सिफर ही निकला. जिसके कारण ग्रामीणों में सरकार के खिलाफ आक्रोश है.

बरसात में घरों में कैद होने को मजबूर गांवों के लोग.

यम्केश्वर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले 20 गांव से अधिक लोग बारिश के मौसम में प्रभावित रहते हैं. गंगा भोगपुर तल्ला,गंगा भोगपुर मल्ला, कौड़िया, किमसार,देवराना सहित कई ऐसे गांव हैं जहां के ग्रामीण बारिश के कारण घरों में कैद होने को मजबूर हैं. दरअसल गांव के लोगो को अपनी मूलभूत सुविधाओं को जुटाने के लिए या तो ऋषिकेश या फिर हरिद्वार जाना पड़ता है. लेकिन बारिश के मौसम में ऋषिकेश की ओर आने वाले रास्ते पर पड़ने वाली बीन नदी उफान पर रहती है.

पढ़ें-ऋषिकेश: हाईटेक सुविधाओं से लैस होगा नया झूला पुल, ये चीजें बनाएंगी खास

जिसके चलते लोगों की आवाजाही इस रास्ते पर पूर्ण रूप से प्रतिबंधित हो जाती है. वहीं दूसरी ओर हरिद्वार जाने वाले रास्ते पर पड़ने वाला घासीराम रपटा भी बरसात के मौसम में विकराल रूप धारण कर लेता है. जिससे लोग हरिद्वार भी नहीं जा पाते. यही कारण है कि ग्रामीणों को 3 महीनों तक मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है.

पढ़ें-लक्ष्मण झूला पुल बंद होने से राम झूला पर बढ़ा भार, हर पल मंडरा रहा खतरा

लगभग 5 साल पहले गंगा भोगपुर सहित लगभग 20 गांव के लोगों ने बीन नदी पर पुल बनाने की मांग को लेकर लगभग 6 माह तक आंदोलन किया था. जिसके बाद सरकारी तंत्रों द्वारा ग्रामीणों को आश्वासन दिया गया था कि जल्द ही बीन नदी पर पुल का निर्माण किया जाएगा. आश्वासन मिलने के बाद ग्रामीणों ने अपना अनशन समाप्त कर दिया था लेकिन आश्वासन मात्र आश्वासन ही बनकर रह गया. पांच साल बीतने के बाद आज तक इस नदी पर पुल नहीं बन पाया है.

पढ़ें-बीजेपी भूल गई पार्टी की टैग लाइन, चुनिंदा पर ही लागू है 'एक व्यक्ति एक पद' का फार्मूला

गांव में रहने वाली शांति देवी और विमला देवी ने अपनी परेशानी बयां करते हुए ईटीवी भारत के साथ बातचीत की. उन्होंने बताया कि वे इस गांव में लगभग 70 वर्षों से रह रही हैं और आज भी यह गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. महिलाओं का कहना था कि बरसात के मौसम में अगर किसी को कोई गंभीर बीमारी हो जाती है तो उसका स्वास्थ्य परीक्षण तक नहीं हो पाता है .

पढ़ें-दो पक्षों के बीच मारपीट का वीडियो VIRAL , चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज

वही अगर किसी गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा होती है तो उसे अस्पताल तक भी नहीं पहुंचाया जा सकता है. बुजुर्ग महिलाओं ने कहा कि सरकार की अनदेखी और वन अधिनियम के कारण आज भी यह गांव विकास से कोसों दूर है. वहीं उन्होंने वर्तमान विधायक रितु खंडूड़ी को भी इसके लिए दोषी बताया. उनका कहना था कि चुनाव जीतने के बाद रितु खंडूड़ी ने इस ओर मुड़ कर भी नहीं देखा.

पढ़ें-जल्द शुरू होगी पंतनगर-पिथौरागढ़ हवाई सेवा, लखनऊ और चंडीगढ़ रूट के लिए भी उड़ान

अब ग्रामीण एक बार फिर से सरकार और वन विभाग के खिलाफ आंदोलन के मूड में हैं. बता दें कि बीन नदी का यह इलाका राजाजी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में पड़ता है और यहां पर वन अधिनियम लागू होता है. वन अधिनियम में कड़े कानून होने के कारण आज तक नदी के ऊपर पुल नहीं बन सका है. इस मामले में सिर्फ वन अधिनियम ही नहीं बल्कि सभी सरकारें भी बराबर की दोषी हैं.

Intro:Special
ऋषिकेश--उत्तराखंड में आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां पर बरसात का मौसम आते ही लोगों के सामने कई तरह की परेशानियां सामने आजाती है,पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक में गंगा भोगपुर के साथ साथ लगभग 20 से अधिक ऐसे गांव हैं जो बरसात के मौसम में 3 माह के लिए घरों में कैद हो जाते है, जिस कारण ग्रामीणों में सरकार के खिलाफ खासा आक्रोश है।


Body:वी/ओ-- यम्केश्वर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले 20 गांव से अधिक लोग बारिश के मौसम में प्रभावित रहते हैं गंगा भोगपुर तल्ला,गंगा भोगपुर मल्ला, कौड़िया, किमसार,देवराना सहित कई ऐसे गांव है जहां के ग्रामीण बारिश के कारण घरों में कैद होने को मजबूर है दरअसल गांव के लोगो को अपनी मूलभूत सुविधाओं को जुटाने के लिए या तो ऋषिकेश या फिर हरिद्वार जाना पड़ता है लेकिन बारिश के मौसम मैं ऋषिकेश की और आने वाले रास्ते पर पड़ने वाला बीन नदी जो बरसात के मौसम में उफान पर रहती है जिसके चलते लोगों की आवाजाही इस रास्ते पर पूर्ण रूप से प्रतिबंधित हो जाती है वहीं दूसरी ओर हरिद्वार जाने वाले रास्ते पर पड़ने वाला घासीराम रपटा जो बरसात के मौसम में विकराल रूप धारण कर लेता है ऐसे में लोग हरिद्वार भी नहीं जा पाते यही कारण है कि ग्रामीणों को 3 महीनों तक अपनी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है।


वी/ओ-- लगभग 5 वर्ष पहले गंगा भोगपुर सहित लगभग 20 गांव के लोगों ने बीन नदी पर पुल बनाने की मांग को लेकर लगभग 6 माह तक आंदोलन किया था जिसके बाद सरकारी तंत्रों द्वारा ग्रामीणों को आश्वासन दिया गया था कि जल्द ही बीन नदी के ऊपर पुल का निर्माण किया जाएगा आश्वासन मिलने के बाद ग्रामीणों ने अपना अनशन समाप्त कर दिया था लेकिन आश्वासन मात्र आश्वासन ही बनकर रह गया 5 वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक भी नदी के ऊपर पुल का निर्माण नहीं हो पाया है।


वी/ओ-- गांव में रहने वाली शांति देवी और विमला देवी अपनी परेशानी बयां करते हुए ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में बताती हैं कि वह इस गांव में लगभग 70 वर्षों से रह रहे हैं 70 वर्ष बीत जाने के बाद भी आज भी यह गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित है महिलाओं का कहना था कि बरसात के मौसम में अगर किसी तरह की कोई गंभीर बीमारी किसी को हो जाती है तो उसका स्वास्थ्य परीक्षण नहीं हो पाता है वही अगर किसी गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा होती है तो वह अस्पताल तक भी नहीं पहुंच पाती बुजुर्ग महिलाओं ने कहां की सरकार की अनदेखी और वन अधिनियम के कारण आज भी यह गांव विकास से कोसों दूर है वहीं उन्होंने वर्तमान विधायक पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी की बेटी रितु खंडूरी को भी इसके लिए दोषी बताया उनका कहना था कि चुनाव जीतने के बाद रितु खंडूरी इस ओर मुड़ कर भी नहीं देखा।

वी/ओ-- गांव में रहने वाले बच्चों ने भी अपनी परेशानियां ईटीवी भारत के साथ साझा करते हुए कहा कि बरसात के मौसम में उनके शिक्षक स्कूल तक नहीं पहुंच पाते हैं जिस कारण उनका पढ़ाई का भी काफी नुकसान होता है उनका कहना था कि सरकार को बीन नदी के ऊपर जल्द पुल बनाना चाहिए ताकि उनको इस परेशानी से निजात मिल सके।


Conclusion:वी/ओ-- बीन नदी के ऊपर पुल बनाने की मांग कई बार ग्रामीणों ने उठाई लेकिन किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया आलम यह है कि अब ग्रामीण एक बार फिर से सरकार और वन विभाग के खिलाफ आंदोलन के मूड में है, आपको बता दें कि बीन नदी राजाजी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में पड़ता है और यहां पर वन अधिनियम लागू होता है,वन अधिनियम में कड़े कानून होने के कारण आज तक नदी के ऊपर पुल नही बन सका हैं,इस मामले में सिर्फ वन अधिनियम ही नही बल्कि सभी सरकारें भी बराबर के दोषी हैं।

बाईट--शांति देवी(ग्रामीण)
बाईट--देवदयाल(ग्रामीण)
बाईट--विमला देवी(ग्रामीण)
बाईट--अभय शर्मा(छात्र)
बाईट--अमन रिंगोला(छात्र)

वाकथ्रू--विनय पाण्डेय ऋषिकेश
Last Updated : Jul 27, 2019, 10:14 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.