ऋषिकेश: उत्तराखंड में आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां बरसात का मौसम आते ही लोगों के सामने कई तरह की परेशानियां खड़ी हो जाती हैं. पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक में गंगा भोगपुर के साथ-साथ लगभग 20 से अधिक ऐसे गांव हैं जहां बरसात के समय 3 महीने के लिए लोग घरों में कैद हो जाते हैं. जिसके कारण यहां के लोगों का जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो जाता है. इस मामले में कई बार शासन-प्रशासन को अवगत करवाया गया है लेकिन अब तक नतीजा सिफर ही निकला. जिसके कारण ग्रामीणों में सरकार के खिलाफ आक्रोश है.
यम्केश्वर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले 20 गांव से अधिक लोग बारिश के मौसम में प्रभावित रहते हैं. गंगा भोगपुर तल्ला,गंगा भोगपुर मल्ला, कौड़िया, किमसार,देवराना सहित कई ऐसे गांव हैं जहां के ग्रामीण बारिश के कारण घरों में कैद होने को मजबूर हैं. दरअसल गांव के लोगो को अपनी मूलभूत सुविधाओं को जुटाने के लिए या तो ऋषिकेश या फिर हरिद्वार जाना पड़ता है. लेकिन बारिश के मौसम में ऋषिकेश की ओर आने वाले रास्ते पर पड़ने वाली बीन नदी उफान पर रहती है.
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जिसके चलते लोगों की आवाजाही इस रास्ते पर पूर्ण रूप से प्रतिबंधित हो जाती है. वहीं दूसरी ओर हरिद्वार जाने वाले रास्ते पर पड़ने वाला घासीराम रपटा भी बरसात के मौसम में विकराल रूप धारण कर लेता है. जिससे लोग हरिद्वार भी नहीं जा पाते. यही कारण है कि ग्रामीणों को 3 महीनों तक मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है.
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लगभग 5 साल पहले गंगा भोगपुर सहित लगभग 20 गांव के लोगों ने बीन नदी पर पुल बनाने की मांग को लेकर लगभग 6 माह तक आंदोलन किया था. जिसके बाद सरकारी तंत्रों द्वारा ग्रामीणों को आश्वासन दिया गया था कि जल्द ही बीन नदी पर पुल का निर्माण किया जाएगा. आश्वासन मिलने के बाद ग्रामीणों ने अपना अनशन समाप्त कर दिया था लेकिन आश्वासन मात्र आश्वासन ही बनकर रह गया. पांच साल बीतने के बाद आज तक इस नदी पर पुल नहीं बन पाया है.
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गांव में रहने वाली शांति देवी और विमला देवी ने अपनी परेशानी बयां करते हुए ईटीवी भारत के साथ बातचीत की. उन्होंने बताया कि वे इस गांव में लगभग 70 वर्षों से रह रही हैं और आज भी यह गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. महिलाओं का कहना था कि बरसात के मौसम में अगर किसी को कोई गंभीर बीमारी हो जाती है तो उसका स्वास्थ्य परीक्षण तक नहीं हो पाता है .
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वही अगर किसी गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा होती है तो उसे अस्पताल तक भी नहीं पहुंचाया जा सकता है. बुजुर्ग महिलाओं ने कहा कि सरकार की अनदेखी और वन अधिनियम के कारण आज भी यह गांव विकास से कोसों दूर है. वहीं उन्होंने वर्तमान विधायक रितु खंडूड़ी को भी इसके लिए दोषी बताया. उनका कहना था कि चुनाव जीतने के बाद रितु खंडूड़ी ने इस ओर मुड़ कर भी नहीं देखा.
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अब ग्रामीण एक बार फिर से सरकार और वन विभाग के खिलाफ आंदोलन के मूड में हैं. बता दें कि बीन नदी का यह इलाका राजाजी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में पड़ता है और यहां पर वन अधिनियम लागू होता है. वन अधिनियम में कड़े कानून होने के कारण आज तक नदी के ऊपर पुल नहीं बन सका है. इस मामले में सिर्फ वन अधिनियम ही नहीं बल्कि सभी सरकारें भी बराबर की दोषी हैं.