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एक ओर झुका ऋषिकेश का ऐतिहासिक लक्ष्मण झूला पुल, आवाजाही को किया गया बंद

90 साल पुराना एशिया का सबसे पहला सस्पेंशन ब्रिज जोकि ब्रिटिश शासन काल में बनकर तैयार हुआ था. आज उस पर खतरा मंडराने लगा है.

लक्ष्मण झूला पुल.
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Published : Jul 12, 2019, 4:50 PM IST

Updated : Jul 12, 2019, 11:03 PM IST

ऋषिकेश: तीर्थनगरी की पहचान के तौर पर जाने जाना वाले लक्ष्मण झूला पुल को लेकर पीडब्लूडी ने एक सर्वे जारी किया है. जिसमें बताया गया है कि पुल की स्थिति जर्जर है. साथ ही सर्वे में बताया गया है कि पुल एक ओर से झुक रहा है. जोकि अपने आप में चौंकाने वाला है. पीडब्लूडी के सर्वे के बाद प्रशासन के माथे पर बल पड़ने शुरू हो गये हैं. महज कुछ ही दिनों में कांवड़ यात्रा शुरू होने जा रही है और उससे पहले इस तरह की स्थिति वाकई में चिंताजनक है.

90 साल पुराना एशिया का सबसे पहला सस्पेंशन ब्रिज जोकि ब्रिटिश शासन काल में बनकर तैयार हुआ था. आज उस पर खतरा मंडराने लगा है. लोक निर्माण विभाग ने लक्ष्मण झूला पुल को लेकर एक सर्वे किया. जिसमें निकलकर सामने आया है कि पुल की स्थिति जर्जर है और पुल एक ओर झुक रहा है. लोक निर्माण विभाग ने अपनी इस सर्वे रिपोर्ट को शासन के सामने रखा है.

झूला पुल पर आवाजाही बंद.

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जिसके बाद अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने तत्काल प्रभाव से पुल को बंद करने के आदेश जारी कर दिए हैं. जिसके बाद कावड़ यात्रा को लेकर प्रशासन उहापोह की स्थिति में है. दरअसल, कांवड़ यात्रा में इस बार 50 से 60 लाख कांवड़ियों के आने की संभावना है. ऐसे में लक्ष्मण झूला पुल के बंद होने पर प्रशासन को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि अभी तक पुल को बंद नहीं किया गया है लेकिन आदेश जारी होने के बाद अधिकारियों की बैठकों का दौर शुरू हो गया है.

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वहीं लक्ष्मण झूला को बंद करने को लेकर स्थानीय व्यापारी भी हताश हैं. व्यापारियों का कहना है कि उनका सारा व्यापार लक्ष्मण झूला पुल पर ही निर्भर है. लक्ष्मण झूला पैदल आवाजाही का एकमात्र रास्ता है, अगर पुल बंद हो जाता है तो उनके व्यापार पर खासा असर पड़ेगा. व्यापारियों का कहना है कि सरकार को इस पुल को बंद करने के बजाय इसकी मरम्मत करवानी चाहिए.

11 अप्रैल 1930 में बना लक्ष्मणझूला पुल 90 साल पुराना है. इस पुल की नींव अंग्रेजी हुकूमत ने 1927 में रखी थी. जिसके बाद 1930 में लोगों की आवाजाही के लिए इस पुल को खोल दिया गया था. इसे देखने के लिए देश विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं. लक्षमण झूला 450 फीट लम्बा झूलता हुआ पुल है. जहां से नदी, मन्दिरों और आश्रमों का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है. पहले यह जूट का बना एक पुल था जिसे 1939 में लोहे के झूलते हुये पुल के रूप में पुनर्निर्मित किया गया था.

ऋषिकेश: तीर्थनगरी की पहचान के तौर पर जाने जाना वाले लक्ष्मण झूला पुल को लेकर पीडब्लूडी ने एक सर्वे जारी किया है. जिसमें बताया गया है कि पुल की स्थिति जर्जर है. साथ ही सर्वे में बताया गया है कि पुल एक ओर से झुक रहा है. जोकि अपने आप में चौंकाने वाला है. पीडब्लूडी के सर्वे के बाद प्रशासन के माथे पर बल पड़ने शुरू हो गये हैं. महज कुछ ही दिनों में कांवड़ यात्रा शुरू होने जा रही है और उससे पहले इस तरह की स्थिति वाकई में चिंताजनक है.

90 साल पुराना एशिया का सबसे पहला सस्पेंशन ब्रिज जोकि ब्रिटिश शासन काल में बनकर तैयार हुआ था. आज उस पर खतरा मंडराने लगा है. लोक निर्माण विभाग ने लक्ष्मण झूला पुल को लेकर एक सर्वे किया. जिसमें निकलकर सामने आया है कि पुल की स्थिति जर्जर है और पुल एक ओर झुक रहा है. लोक निर्माण विभाग ने अपनी इस सर्वे रिपोर्ट को शासन के सामने रखा है.

झूला पुल पर आवाजाही बंद.

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जिसके बाद अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने तत्काल प्रभाव से पुल को बंद करने के आदेश जारी कर दिए हैं. जिसके बाद कावड़ यात्रा को लेकर प्रशासन उहापोह की स्थिति में है. दरअसल, कांवड़ यात्रा में इस बार 50 से 60 लाख कांवड़ियों के आने की संभावना है. ऐसे में लक्ष्मण झूला पुल के बंद होने पर प्रशासन को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि अभी तक पुल को बंद नहीं किया गया है लेकिन आदेश जारी होने के बाद अधिकारियों की बैठकों का दौर शुरू हो गया है.

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वहीं लक्ष्मण झूला को बंद करने को लेकर स्थानीय व्यापारी भी हताश हैं. व्यापारियों का कहना है कि उनका सारा व्यापार लक्ष्मण झूला पुल पर ही निर्भर है. लक्ष्मण झूला पैदल आवाजाही का एकमात्र रास्ता है, अगर पुल बंद हो जाता है तो उनके व्यापार पर खासा असर पड़ेगा. व्यापारियों का कहना है कि सरकार को इस पुल को बंद करने के बजाय इसकी मरम्मत करवानी चाहिए.

11 अप्रैल 1930 में बना लक्ष्मणझूला पुल 90 साल पुराना है. इस पुल की नींव अंग्रेजी हुकूमत ने 1927 में रखी थी. जिसके बाद 1930 में लोगों की आवाजाही के लिए इस पुल को खोल दिया गया था. इसे देखने के लिए देश विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं. लक्षमण झूला 450 फीट लम्बा झूलता हुआ पुल है. जहां से नदी, मन्दिरों और आश्रमों का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है. पहले यह जूट का बना एक पुल था जिसे 1939 में लोहे के झूलते हुये पुल के रूप में पुनर्निर्मित किया गया था.

Intro:ऋषिकेश--कांवड़ मेला शुरू होने में मात्र 4 दिन ही शेष है लेकिन लोक निर्माण विभाग द्वारा लक्ष्मणझूला पुल को लेकर एक सर्वे किया गया जिसमें यह निकलकर आया कि लक्ष्मणझूला पुल की स्थित जर्जर है,अब यह रिपोर्ट आने के बाद प्रशासन के माथे पर बल पड़ गया है,अब सबसे बड़ी चुनौती ये है कि लाखों लोगों के आने जाने की व्यवस्था कैसे होगी।


Body:वी/ओ--90 वर्ष पुराना एशिया का सबसे पहला सस्पेंशन ब्रिज जोकि ब्रिटिश शासन काल में बनकर तैयार हुआ था आज उस पुल पर खतरा मंडराने लगा है लोक निर्माण विभाग के द्वारा लक्ष्मण झूला पुल को लेकर एक सर्वे किया गया जिस सर्वे रिपोर्ट के आधार पर यह निकल कर आया की पुल की स्थिति जर्जर है और पुल एक ओर झुक रहा है लोक निर्माण विभाग ने अपने इस सर्वे रिपोर्ट को शासन में प्रस्तुत किया जिसके बाद अपर मुख्य सचिव आलोक कुमार ने तत्काल प्रभाव से पुल को बंद करने का आदेश जारी कर दिया पुल के बंद होने के आदेश के बाद अब सबसे बड़ी चुनौती कावड़ यात्रा को लेकर पैदा हो गई है दरअसल कांवड़ मेले में इस वर्ष 50 से 60 लाख कावड़ियों के आने की संभावना है ऐसे में लक्ष्मण झूला पुल के बंद होने पर प्रशासन को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है हालांकि अभी तक पुल को बंद नहीं किया गया है लेकिन आदेश आने के बाद अधिकारियों के बैठक का दौर भी शुरू हो गया है।

वी/ओ-- लक्ष्मण झूला ब्रिज ऋषिकेश ही नहीं बल्कि हमारे देश की एक धरोहर है जिसे देखने मात्र के लिए भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लोग यहां पहुंचते हैं, वही पुल के बंद होने की सूचना मिलने के बाद स्थानीय व्यापारी भी हताश हैं व्यापारियों का कहना है कि उनका सारा व्यापार लक्ष्मण झूला पुल पर ही निर्भर करता है क्योंकि पैदल आवाजाही के लिए एकमात्र रास्ता है अगर पुल बंद हो जाता है तो उनके व्यापार पर खासा असर पड़ेगा व्यापारियों का कहना है कि सरकार को इस बिल को बंद करने के बजाय इसकी मरम्मत करवाए।

बाईट--व्यवसाई
बाईट--व्यवसाई


Conclusion:वी/ओ--11 अप्रैल 1930 में बना लक्ष्मणझूला पुल 90 वर्ष पुराना है,इस पुल की नींव अंग्रेजी हुकूमत ने 1927 में रखी थी जिसके बाद 1930 में लोगों की आवाजाही के लिए इस पुल को खोल दिया गया था इसको देखने के लिए देश विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पंहुचते हैं लक्षमण झूला एक 450 फीट लम्बा झूलता हुआ पुल है जहाँ से नदी, मन्दिरों और आश्रमों का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है। मूलतः यह जूट का बना एक पुल था जिसे सन् 1939 में लोहे के झूलते हुये पुल के रूप में पुनर्निर्मित किया गया। 

वाकथ्रू--विनय पाण्डेय
Last Updated : Jul 12, 2019, 11:03 PM IST
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