नैनीतालः पहाड़ी क्षेत्रों में इंटरनेट का जाल बिछाने समेत सभी लोगों को इंटरनेट की सस्ती दरों पर सुविधा देने के लिए दूरसंचार विभाग के द्वारा पीएम वाणी योजना का शुभारंभ किया गया है. योजना के तहत चाय की दुकानों से लेकर विभिन्न स्थानों पर वाईफाई हॉटस्पॉट बनाए जाएंगे. ताकि लोगों को बेहतर इंटरनेट की सुविधा दी जा सके.
संचार मंत्रालय भारत सरकार द्वारा नैनीताल के एक होटल में कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें सीएचसी संचालकों, टेलीकम्युनिकेशन कंपनियों के अधिकारियों के साथ विस्तार से चर्चा की गई. इस दौरान दूरसंचार के वेस्ट यूपी वेस्ट डिप्टी डायरेक्टर जनरल संजीव अग्रवाल ने कहा कि पीएम वाणी योजना की शुरुआत पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा दिल्ली से की गई थी. इस योजना के तहत अब सुदूरवर्ती ग्रामीण अंचलों के लोगों को बेहतर इंटरनेट सेवा प्रदान कराना है.
संजीव अग्रवाल ने कहा कि पीएम वाणी योजना के तहत बेरोजगार युवा रोजगार शुरू कर सकते हैं. जिसके लिए आवेदक को सरल संचार पोर्टल लॉग इन कर आवेदन करना होगा. जिसके बाद संचार मंत्रालय, दूरसंचार विभाग के द्वारा आवेदक को सीडॉट उपकरण के माध्यम पीडीओ केंद्र (पब्लिक डाटा ऑफिस) खोले जाएंगे. जहां से उपभोक्ता आवश्यकतानुसार उपभोक्ता को इंटरनेट सेवा प्राप्त करवा सकेगा.
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मोबाइल टावरों से नहीं फैलता रेडिएशनः कार्यक्रम के दौरान दूरसंचार विभाग के डिप्टी डायरेक्टर जनरल संजीव अग्रवाल ने कहा कि आज देश संचार क्रांति के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है. ऐसे में कई लोग भ्रांतियां फैला रहे हैं कि मोबाइल टावर लगने से क्षेत्र में रेडिएशन का खतरा बढ़ता है, जो पूरी तरह से गलत है. संजीव अग्रवाल ने बताया विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के द्वारा मोबाइल टावरों से रेडिएशन के फैलने को लेकर शोध किया गया था, जिसमें स्पष्ट हुआ कि मोबाइल टावरों से निकलने वाले रेडिएशन मानव जाति या जीव के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक नहीं होता है. भारत में अंतरराष्ट्रीय रेडिएशन मानक की अपेक्षा 1/10 कम रेडिएशन मोबाइल टावरों से फैलता है.
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तरंग संचार पोर्टल से जांचः संजीव अग्रवाल ने बताया कि अगर किसी भी शख्स को अपने क्षेत्र में मोबाइल टावर से होने वाले रेडिएशन की जांच करवानी है तो तरंग संचार पोर्टल में आवेदन कर क्षेत्र में मोबाइल टावर रेडिएशन की जांच करवा सकते हैं. इसके लिए तरंग संचार पोर्टल के माध्यम से संचार मंत्रालाय के खाते में 4 हजार रुपए का भुगतान करना होगा. इसके बाद संचार निगम द्वारा एक टीम को आपके पास भेजकर मोबाइल टावर से निकलने वाले रेडिएशन की जांच करवाई जाएगी और टावर से निकलने वाले रेडिएशन की जानकारी आप तक पहुंच जाएगी.