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यहां बाबरी भवन में सदियों से विराजमान हैं रामलला, ब्रह्म हत्या से मिलती है मुक्ति

पूरे देश में इस समय बाबरी और राम मंदिर चर्चा का विषय बना हुआ है. वह एक ऐसा एतिहासिक स्थल है जिस पर कई सालों से विवाद चल रहा है. वहीं, हरिद्वार में भी एक ऐसा ही मंदिर है जो हमारी गंगा जमुनी तहजीब का प्रतीक है. हरिद्वार में बने इस मंदिर के बाबरी भवन में रामलला सदियों से विराजमान हैं.

यहां बाबरी भवन में सदियों से विराजमान हैं रामलला
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Published : Nov 8, 2019, 6:53 PM IST

Updated : Nov 9, 2019, 8:45 PM IST

हरिद्वार: अयोध्या में जिस बाबरी मस्जिद को ढहाये जाने के बाद राम मंदिर के लिए लंबे समय से आंदोलन चल रहा है. इस विवाद पर जल्द ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है. ऐसे में ईटीवी भारत आज आपको एक ऐसी जगह से रू-ब-रू करवाने जा रहा है जहां बाबरी के नाम पर बने भवन में रामलला सदियों से विराजमान हैं. ये स्थान हर की पैड़ी पर स्थित है. यहां स्थित बाबरी भवन में हर रोज रामलला की पूजा अर्चना होती है. इसके अलावा इस स्थान का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि ब्रह्महत्या का दोष लगने के बाद भगवान राम ने इसी मंदिर में पूजा अर्चना कर ब्रह्महत्या से मुक्ति पाई थी. आइए और क्या खास है इस मंदिर में जानते हैं इस विशेष रिपोर्ट में...

पूरे देश में इस समय बाबरी और राम मंदिर चर्चा का विषय बना हुआ है. ये एक ऐसा एतिहासिक स्थल है जिस पर कई सालों से विवाद चल रहा है. वहीं, हरिद्वार में भी एक ऐसा ही मंदिर है जो हमारी गंगा जमुनी तहजीब का प्रतीक है. हरिद्वार में बने इस मंदिर के बाबरी भवन में रामलला सदियों से विराजमान है और इसी बाबरी भवन में हर रोज भक्त रामलला की पूजा अर्चना करते हैं. हरिद्वार में बाबरी भवन हर की पैड़ी सुभाष घाट पर बना हुआ है. इस मंदिर के संचालक बताते हैं कि ये मंदिर सदियों पुराना है. मंदिर के भवन का अलग ही पुरातात्विक महत्व है. इस भवन की दूसरी मंजिल की छत पर बड़े-बड़े पत्थरों को काटकर मंदिर बनाया गया है.

यहां बाबरी भवन में सदियों से विराजमान हैं रामलला.

पढ़ें-मानव श्रृंखला: प्लास्टिक के खिलाफ अभियान में प्लास्टिक का ही इस्तेमाल, सरकार की किरकिरी

मंदिर के संचालक प्रवीण शर्मा का कहना है कि हर की पैड़ी में बने भवन का नाम भले ही बाबरी हो लेकिन इसका बाबर से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने बताया कि इस मंदिर का निर्माण करीब तीन सदी पहले उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के बाबरी गांव के एक बड़े जमींदार ने करवाया था. जिसके कारण इस भवन का नाम बाबरी भवन पड़ गया. प्रवीण शर्मा का कहना है कि अयोध्या में भले ही रामलला टेंट में विराज मान हों लेकिन यहां रामलला बाबरी भवन में विराजे हैं और वो भी सदियों से. इस बाबरी भवन के नीचे दक्षिणमुखी हनुमान का मंदिर भी है जो काफी पुराना है. यहां आने वाला हर श्रद्धालु इस मंदिर को देखकर हमेशा ही मंदिर के बारे में जरुर पूछता है.

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बाबरी भवन में भगवान राम-सिया का भव्य मूर्ति है. धर्माचार्य प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि कुशाघाट, रामघाट और ब्रह्मकुंड पर भगवान राम ने तपस्या की थी. रावण के वध के बाद वे भगवान वशिष्ठ के कहने पर ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए यहां आये थे. तभी से यह स्थान रामानंद अनुयायियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इसके अलावा ब्रह्महत्या दोष से भी इस मंदिर में मुक्ति मिलती है.

पढ़ें-जिलाध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख चुनावों में BJP का पलड़ा भारी, अजय भट्ट ने कांग्रेस पर कसा तंज

आज जब राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर देशभर में तमाम तरह की खबरें सामने आ रही है. ऐसे में हरिद्वार का ये बाबरी भवन हमारी गंगा-जमुनी तहजीब को दिखाता है. जहां बाबरी भवन में रामलला सदियों से विराजमान हैं.

हरिद्वार: अयोध्या में जिस बाबरी मस्जिद को ढहाये जाने के बाद राम मंदिर के लिए लंबे समय से आंदोलन चल रहा है. इस विवाद पर जल्द ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है. ऐसे में ईटीवी भारत आज आपको एक ऐसी जगह से रू-ब-रू करवाने जा रहा है जहां बाबरी के नाम पर बने भवन में रामलला सदियों से विराजमान हैं. ये स्थान हर की पैड़ी पर स्थित है. यहां स्थित बाबरी भवन में हर रोज रामलला की पूजा अर्चना होती है. इसके अलावा इस स्थान का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि ब्रह्महत्या का दोष लगने के बाद भगवान राम ने इसी मंदिर में पूजा अर्चना कर ब्रह्महत्या से मुक्ति पाई थी. आइए और क्या खास है इस मंदिर में जानते हैं इस विशेष रिपोर्ट में...

पूरे देश में इस समय बाबरी और राम मंदिर चर्चा का विषय बना हुआ है. ये एक ऐसा एतिहासिक स्थल है जिस पर कई सालों से विवाद चल रहा है. वहीं, हरिद्वार में भी एक ऐसा ही मंदिर है जो हमारी गंगा जमुनी तहजीब का प्रतीक है. हरिद्वार में बने इस मंदिर के बाबरी भवन में रामलला सदियों से विराजमान है और इसी बाबरी भवन में हर रोज भक्त रामलला की पूजा अर्चना करते हैं. हरिद्वार में बाबरी भवन हर की पैड़ी सुभाष घाट पर बना हुआ है. इस मंदिर के संचालक बताते हैं कि ये मंदिर सदियों पुराना है. मंदिर के भवन का अलग ही पुरातात्विक महत्व है. इस भवन की दूसरी मंजिल की छत पर बड़े-बड़े पत्थरों को काटकर मंदिर बनाया गया है.

यहां बाबरी भवन में सदियों से विराजमान हैं रामलला.

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मंदिर के संचालक प्रवीण शर्मा का कहना है कि हर की पैड़ी में बने भवन का नाम भले ही बाबरी हो लेकिन इसका बाबर से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने बताया कि इस मंदिर का निर्माण करीब तीन सदी पहले उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के बाबरी गांव के एक बड़े जमींदार ने करवाया था. जिसके कारण इस भवन का नाम बाबरी भवन पड़ गया. प्रवीण शर्मा का कहना है कि अयोध्या में भले ही रामलला टेंट में विराज मान हों लेकिन यहां रामलला बाबरी भवन में विराजे हैं और वो भी सदियों से. इस बाबरी भवन के नीचे दक्षिणमुखी हनुमान का मंदिर भी है जो काफी पुराना है. यहां आने वाला हर श्रद्धालु इस मंदिर को देखकर हमेशा ही मंदिर के बारे में जरुर पूछता है.

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बाबरी भवन में भगवान राम-सिया का भव्य मूर्ति है. धर्माचार्य प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि कुशाघाट, रामघाट और ब्रह्मकुंड पर भगवान राम ने तपस्या की थी. रावण के वध के बाद वे भगवान वशिष्ठ के कहने पर ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए यहां आये थे. तभी से यह स्थान रामानंद अनुयायियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इसके अलावा ब्रह्महत्या दोष से भी इस मंदिर में मुक्ति मिलती है.

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आज जब राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर देशभर में तमाम तरह की खबरें सामने आ रही है. ऐसे में हरिद्वार का ये बाबरी भवन हमारी गंगा-जमुनी तहजीब को दिखाता है. जहां बाबरी भवन में रामलला सदियों से विराजमान हैं.

Intro:फीड लाइव व्यू से भेजी गई है

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भगवान राम ने ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए की थी यहाँ तपस्या@बाबरी भवन में स्थापित है भगवान राम सिया का भव्य मंदिर और मिलती है यहां पर ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति

अयोध्या में जिस बाबरी मस्जिद को ढहा दिए जाने के बाद वहां
पर राम मंदिर बनाने के लिए लंबे समय से आंदोलन चल रहा है और अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है कोट जल्द ही इस मामले में अपना फैसला सुनाने वाला है मगर हम आपको आज दिखाने जा रहे हैं वह स्थान जहां बाबरी के नाम पर बने एक भवन में रामलला सदियों से विराजमान है और वहां पर उनकी नित्य पूजा-अर्चना होती है हरिद्वार हर की पौड़ी पर बना हुआ है बाबरी भवन इसी बावरी भवन में पूजे जा रहे हैं रामलला इस बाबरी भवन का पुरातात्विक महत्व भी है रामलला इस बाबरी भवन में पिछली कई सदियों से विराजमान है इस मंदिर का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि ब्रह्म हत्या का दोष लगने के बाद भगवान राम हरिद्वार आए थे और ब्रह्मकुंड रामघाट कुशाघाट पर भगवान राम द्वारा तपस्या की गई थी इसलिए इस मंदिर में पूजा अर्चना करने से ब्रह्महत्या का पाप भी धूल जाता है आखिर क्या है इस मंदिर का महत्व देकर हमारी एक खास रिपोर्ट

पीटीसी-------------------------------


Body:राम मंदिर का फैसला अब आने ही वाला है अयोध्या में जिस स्थान के अंदर रामलला टेंट में विराजमान है उसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता है कभी यहां राम जी का भव्य मंदिर हुआ करता था जिसे मुगल शासन काल में आक्रमक बाबर के आदेश पर उसके सेनापति मीर बाकी ने तुड़वा दिया था और वहां पर बाबरी नाम से मस्जिद बना दी थी जहां पर पुनः राम मंदिर निर्माण को लेकर लंबे समय से हिंदू समाज आंदोलित है और अब हिंदुओं की आस्था का केंद्र राम जन्म स्थान पर भव्य मंदिर बनाने की उनकी उम्मीदें बहुत जल्द परवान चढ़ने वाली है सुप्रीम कोर्ट किसी भी वक्त राम मंदिर मामले में अपना अंतिम फैसला सुना सकता है बाबरी नाम से बनी इस मस्जिद को साल 1992 में हिंदू कारसेवकों ने ढहा दिया था और यहां पर रामलला टेंट में विराजमान है बाबरी नाम की मस्जिद को लेकर सदियों से विवाद चला आ रहा है जबकि हिंदुओं की आस्था का बड़ा केंद्र विश्व प्रसिद्ध धर्मनगरी हरिद्वार में भी एक बाबरी नाम से भवन बना हुआ है और यहां पर रामलला का मंदिर बना हुआ है और हर रोज होती है भगवान राम की इस मंदिर में पूजा अर्चना

हरिद्वार में बाबरी भवन हर की पौड़ी सुभाष घाट पर बना हुआ है मंदिर के संचालक बताते हैं कि मंदिर सदियों पुराना है और मंदिर में स्थापित रामलला भी कई सदियों से यहां विराजमान है मंदिर पुरातात्विक महत्व का है और भवन में दूसरी मंजिल पर छत पर है इस मंदिर को अन्य स्थानों से लाए गए पुराने बड़े-बड़े पत्थरों को काटकर बनाया गया है मंदिर के संचालक प्रवीण शर्मा का कहना है कि हर की पौड़ी बना भवन भले ही बाबरी नाम से है मगर इसका बाबर से कोई लेना-देना नहीं है उन्होंने बताया कि इस मंदिर का निर्माण करीब तीन सदी पहले उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के गांव के उस समय के बड़े जमींदार ने कराया था मुजफ्फरनगर में यह गांव बाबरी गांव के नाम से जाना जाता है और प्रवीण बताते हैं कि जिन जमीदार ने इस मंदिर को बनवाया था वह वहां और आस-पास के गांव में बाबरिया नाम से जाने जाते थे उन्होंने हरिद्वार में इस जगह पर भवन बनवाया था तो उनका नाम बाबरी भवन रख दिया था यह बावरी भवन तकरीबन 180 साल पहले बनाया गया था मगर यह मंदिर उससे पहले का बना हुआ है इनका कहना है कि अयोध्या में भगवान राम अभी भी टेंट में विराजमान है मगर यहां पर भगवान राम मंदिर में विराजमान है और साथ ही इस भवन के नीचे दक्षिण मुखी हनुमान का मंदिर भी है जो काफी दुर्लभ होता है हरिद्वार आने वाले हर श्रद्धालु इस मंदिर को देखकर हमसे पूछते हैं कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद है तो यहां पर बाबरी भवन कैसे बन गया बाबरी भवन का निर्माण कराने वाले बाबरी गांव के सेठ जमींदार वैश्य बिरादरी से थे और पीढ़ी दर पीढ़ी उनके परिवार के लोग इस भवन के मुख्य ट्रस्टियो में आज भी चले आ रहे हैं

बाइट-- प्रवीण शर्मा संचालक बाबरी भवन

बाबरी भवन में भगवान राम सिया भव्य रूप में विराजमान है और हरिद्वार आने वाले श्रद्धालु भी भगवान राम सिया के दर्शन कर पुण्य के भागी बनते हैं मगर हरिद्वार में विराजे भगवान राम के मंदिर की कहानी बड़ी रोचक है क्योंकि खुद भगवान राम ब्रह्महत्या के पाप के बाद हरिद्वार आए थे और यहां पर उनके द्वारा तपस्या की गई थी धर्माचार्य प्रतीक मिश्रपूरी का कहना है कि यह स्थान काफी प्राचीन स्थान है और मुगल काल से पहले स्थापित है और बाबरी भवन में बना यह मंदिर काफी प्राचीन है और इसमें रखी गई राम दरबार की मूर्ति भी इस मंदिर में पूजा अर्चना सैकड़ों वर्षों से लोग करते आ रहे हैं हरिद्वार का महत्व भी इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि भगवान राम खुद यहां पर आए थे और उन्होंने कुशाघाट रामघाट और ब्रह्मकुंड पर तपस्या की थी उनके द्वारा रावण का वध किया गया था और रावण एक ब्राह्मण था तो उनको ब्रह्म हत्या का पाप लगा था भगवान वशिष्ठ ने उनको कहा था कि आप हरिद्वार जाकर तप करें और यहां पर निवास करें तो ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति मिल जाएगी तब भगवान राम यहां आए थे तभी से यह स्थान रामानंद अनुयायियों के लिए काफी महत्वपूर्ण स्थान है अगर किसी पर भी ब्रहम हत्या का दोष हो तो इन स्थानों पर और इस मंदिर में बैठकर उपासना करने से उनको ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति मिल जाती है

बाइट--प्रतीक मिश्रपूरी-- धर्म के जानकार


Conclusion:पीटीसी-------------------------------------------------

राम नाम जपने से पत्थर भी पानी पर तैरने लगता है उन्हीं मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने ब्रह्म हत्या का पाप लगने के बाद हरिद्वार में तपस्या की थी और तभी से भगवान राम हरिद्वार में भी विराजमान है बाबरी भवन में बने भगवान राम के मंदिर में जो भी ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति होने के लिए पूजा-अर्चना करता है उसको ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिल जाती है क्योंकि हरिद्वार मुक्ति का द्वार है और यहां आने वाले श्रद्धालु मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य के भागी भी बनते हैं अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला जल्द सुनाने वाला है देखना होगा सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अपना क्या फैसला देता है और क्या भगवान राम अपने जन्म स्थान पर भव्य मंदिर मे स्थापित होते हैं यह देखने वाली बात होगी
Last Updated : Nov 9, 2019, 8:45 PM IST
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