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प्रो. प्रेम सिंह जीना का लद्दाख से है गहरा नाता, लिख चुके हैं 35 पुस्तकें - 30 से ज्यादा किताबें

केंद्र शासित प्रदेश लेह लद्दाख अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है. बहुत कम ही ऐसे लोग होंगे जिन्होंने लेह लद्दाख को नजदीक से देखा होगा या फिर जानने की कोशिश की होगी. बता दें कि लद्दाख में प्रो. रहे प्रेम सिंह जीना ने कुछ ऐसा किया जिससे उनकी छवि में चार चांद लग गए.

35 पुस्तकों में सिमटा लद्दाख.
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Published : Sep 10, 2019, 3:04 PM IST

हल्द्वानी: बर्फ से ढकी ऊंची चोटियां, रेत के टीले, चमकती सुबह के साथ घने बादल, दुनिया की सबसे ऊंची जगह लद्दाख का परिदृश्य है. उत्तर की ओर से काराकोरम और दक्षिण की ओर हिमालय से घिरे लद्दाख को हाल ही में मोदी सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया है. ऐसे में लद्दाख के ऊपर 30 से ज्यादा किताबें लिख चुके हैं प्रेम सिंह जीना ने भी इस फैसले पर खुशी जाहिर की है.

लेह लद्दाख की खूबसूरती की बात करें तो, यहां आने पर्यटकों के दिल में लेह लद्दाख अपनी अनोखी छाप छोड़े हुए है. लेकिन, अभी भी ऐसे बहुत से लोग हैं जो यहां के संस्कृति, सभ्यता और रीति रिवाजों से अनजान हैं. ऐसे में लद्दाख को नजदीक से देखने वाले एक ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने यहां की सुदंरता को अपने शब्दों में पिरोया है.

यह भी पढ़ें: राजधानी में डेंगू मरीजों की संख्या हुई 801, सर्वे में सामने आई ये हकीकत

दरअसल, हल्द्वानी के रहने वाले प्रेम सिंह जीना लद्दाख से आर्टिकल 370 हटाए जाने और केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने पर बेहद खुश हैं. रिटायर्ड प्रोफेसर प्रेम सिंह जीना का लेह लद्दाख से खास लगाव भी रहा है. उन्होंने लद्दाख में प्रोफेसर रहते हुए लद्दाख को नजदीक से देखा और उस पर करीब 35 पुस्तकें हिंदी और अंग्रेजी में लिख डालीं.

35 पुस्तकों में सिमटा लद्दाख.

आइए जानते हैं कौन है प्रेम सिंह जीना...

जिले के पीली कोठी निवासी पूर्व प्रोफेसर प्रेम सिंह जीना सन 1981 में इंस्टिट्यूट ऑफ बुद्धिस्ट डीम्ड यूनिवर्सिटी लेह में प्रवक्ता पद पर नियुक्ति हुए थे. अपने 37 साल की नौकरी में प्रोफेसर जीना ने लद्दाख पर 35 किताबें लिख डाली हैं. यह किताबें लद्दाख की संस्कृति, धर्म, पर्यटन, शिक्षा, मौसम और कई अन्य विषयों पर आधारित है.

यह भी पढ़ें: छात्र संघ चुनाव परिणाम: यहां जानिए किस प्रत्याशी ने मारी बाजी, किस संगठन ने लहराया परचम

प्रोफेसर जीना की प्रकाशित पुस्तकें

प्रेम सिंह जीना ने वैसे तो 35 किताबों में लद्दाख का बखान किया है. लेकिन इनकी किताबों से कुछ खास किताबें "रिसर्च ऑन द हिमालय लद्दाख", "लैंड एंड पीपल", "चेंजिंग फेस आफ लद्दाख", "लद्दाख पीपुल", हेरिटेज ऑफ लद्दाख शामिल हैं. लद्दाख के बारे में सोचना मुश्किल होता है, लिहाजा 2019 में बदलते लद्दाख को उन्होंने अपनी सोच के जरिए किताबों में उतारा है. जब केंद्र सरकार ने आर्टिकल 370 हटा कर अलग राज्य बनाने की घोषणा की तो प्रोफेसर जीना बेहद खुश नजर आए. प्रोफेसर जीना का कहना है कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद लेह लद्दाख में बहुत कुछ बदलाव आ सकेगा. इस राज्य की एक अलग तस्वीर उभर कर सामने आएगी, जो लेह लद्दाख के लिए मील का पत्थर साबित होगा.

बता दें कि लद्दाख आज भी रिटायर प्रोफेसर जीना के मन में बसा हुआ है. उन्होंने बताया कि उनके पढ़ाए विद्यार्थी आज मौजूदा सांसद सहित कई राजनीति में बहुत ऊपर हैं. उनके मुताबिक केंद्र शासित प्रदेश बनने की वजह से लद्दाख में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. लिहाजा उनकी लिखी हुई किताबों के जरिए आम जनता लेह लद्दाख को समझने का प्रयास कर सकेगी.

यह भी पढ़ें: 33 मजदूरों से भरी मैजिक पलटी, 18 घायल

वहीं, प्रोफेसर जीना की पत्नी मंजू जीना बताती हैं कि लेह लद्दाख के हालातों को समझना बहुत मुश्किल था. शादी के बाद कुछ समय तक वह लद्दाख में अपने पति के साथ रहीं. उनकी हौसला अफजाई के चलते प्रोफेसर जीना को हौसला मिलता था और एक के बाद एक उन्होंने लद्दाख के ऊपर 35 किताबें हिंदी और अंग्रेजी में लिखीं.

प्रेम सिंह जीना रिटायर होने के बाद भी लद्दाख की यादों, वर्तमान घटनाओं को अपनी लेखिनी के जरिए किताबों में समेट ने का प्रयास कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने यह भी उम्मीद जताई है कि अब केंद्र शासित प्रदेश बनने से लेह लद्दाख में काफी बदलाव देखने को मिलेगा.

हल्द्वानी: बर्फ से ढकी ऊंची चोटियां, रेत के टीले, चमकती सुबह के साथ घने बादल, दुनिया की सबसे ऊंची जगह लद्दाख का परिदृश्य है. उत्तर की ओर से काराकोरम और दक्षिण की ओर हिमालय से घिरे लद्दाख को हाल ही में मोदी सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया है. ऐसे में लद्दाख के ऊपर 30 से ज्यादा किताबें लिख चुके हैं प्रेम सिंह जीना ने भी इस फैसले पर खुशी जाहिर की है.

लेह लद्दाख की खूबसूरती की बात करें तो, यहां आने पर्यटकों के दिल में लेह लद्दाख अपनी अनोखी छाप छोड़े हुए है. लेकिन, अभी भी ऐसे बहुत से लोग हैं जो यहां के संस्कृति, सभ्यता और रीति रिवाजों से अनजान हैं. ऐसे में लद्दाख को नजदीक से देखने वाले एक ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने यहां की सुदंरता को अपने शब्दों में पिरोया है.

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दरअसल, हल्द्वानी के रहने वाले प्रेम सिंह जीना लद्दाख से आर्टिकल 370 हटाए जाने और केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने पर बेहद खुश हैं. रिटायर्ड प्रोफेसर प्रेम सिंह जीना का लेह लद्दाख से खास लगाव भी रहा है. उन्होंने लद्दाख में प्रोफेसर रहते हुए लद्दाख को नजदीक से देखा और उस पर करीब 35 पुस्तकें हिंदी और अंग्रेजी में लिख डालीं.

35 पुस्तकों में सिमटा लद्दाख.

आइए जानते हैं कौन है प्रेम सिंह जीना...

जिले के पीली कोठी निवासी पूर्व प्रोफेसर प्रेम सिंह जीना सन 1981 में इंस्टिट्यूट ऑफ बुद्धिस्ट डीम्ड यूनिवर्सिटी लेह में प्रवक्ता पद पर नियुक्ति हुए थे. अपने 37 साल की नौकरी में प्रोफेसर जीना ने लद्दाख पर 35 किताबें लिख डाली हैं. यह किताबें लद्दाख की संस्कृति, धर्म, पर्यटन, शिक्षा, मौसम और कई अन्य विषयों पर आधारित है.

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प्रोफेसर जीना की प्रकाशित पुस्तकें

प्रेम सिंह जीना ने वैसे तो 35 किताबों में लद्दाख का बखान किया है. लेकिन इनकी किताबों से कुछ खास किताबें "रिसर्च ऑन द हिमालय लद्दाख", "लैंड एंड पीपल", "चेंजिंग फेस आफ लद्दाख", "लद्दाख पीपुल", हेरिटेज ऑफ लद्दाख शामिल हैं. लद्दाख के बारे में सोचना मुश्किल होता है, लिहाजा 2019 में बदलते लद्दाख को उन्होंने अपनी सोच के जरिए किताबों में उतारा है. जब केंद्र सरकार ने आर्टिकल 370 हटा कर अलग राज्य बनाने की घोषणा की तो प्रोफेसर जीना बेहद खुश नजर आए. प्रोफेसर जीना का कहना है कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद लेह लद्दाख में बहुत कुछ बदलाव आ सकेगा. इस राज्य की एक अलग तस्वीर उभर कर सामने आएगी, जो लेह लद्दाख के लिए मील का पत्थर साबित होगा.

बता दें कि लद्दाख आज भी रिटायर प्रोफेसर जीना के मन में बसा हुआ है. उन्होंने बताया कि उनके पढ़ाए विद्यार्थी आज मौजूदा सांसद सहित कई राजनीति में बहुत ऊपर हैं. उनके मुताबिक केंद्र शासित प्रदेश बनने की वजह से लद्दाख में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. लिहाजा उनकी लिखी हुई किताबों के जरिए आम जनता लेह लद्दाख को समझने का प्रयास कर सकेगी.

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वहीं, प्रोफेसर जीना की पत्नी मंजू जीना बताती हैं कि लेह लद्दाख के हालातों को समझना बहुत मुश्किल था. शादी के बाद कुछ समय तक वह लद्दाख में अपने पति के साथ रहीं. उनकी हौसला अफजाई के चलते प्रोफेसर जीना को हौसला मिलता था और एक के बाद एक उन्होंने लद्दाख के ऊपर 35 किताबें हिंदी और अंग्रेजी में लिखीं.

प्रेम सिंह जीना रिटायर होने के बाद भी लद्दाख की यादों, वर्तमान घटनाओं को अपनी लेखिनी के जरिए किताबों में समेट ने का प्रयास कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने यह भी उम्मीद जताई है कि अब केंद्र शासित प्रदेश बनने से लेह लद्दाख में काफी बदलाव देखने को मिलेगा.

Intro:sammry- हल्द्वानी निवासी पूर्व प्रोफेसर प्रेम सिंह जीना का लद्दाख से गहरा रिश्ता लद्दाख पर लिखी 35 पुस्तकें।( खबर मेल से उठाए)

एंकर- केंद्र शासित प्रदेश लेह लद्दाख अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है, बहुत कम ही ऐसे लोग होंगे जिन्होंने लेह लद्दाख को बहुत नजदीक से देखा होगा या फिर जानने की कोशिश की होगी। लेकिन हल्द्वानी के रहने वाले प्रेम सिंह जीना लद्दाख से आर्टिकल 370 हटाए जाने और केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने पर बेहद खुश हैं क्योंकि रिटायर्ड प्रोफेसर प्रेम सिंह जीना का लेह लद्दाख से बड़ा लगाव रहा है ।वह लद्दाख में प्रोफेसर रहते हुए लद्दाख को नजदीक से देखा और उस पर करीब 35 पुस्तके हिंदी और अंग्रेजी में लिख डाला। ......

आइए जानते हैं कौन है प्रेम सिंह जीना


Body:हल्द्वानी के पीली कोठी निवासी पूर्व प्रोफेसर प्रेम सिंह जीना सन 1981 में इंस्टिट्यूट ऑफ बुद्धिस्ट डीम्ड यूनिवर्सिटी लेह में प्रवक्ता पद पर नियुक्ति हुए और अपने 37 साल की नौकरी में प्रोफेसर जीना लद्दाख के ऊपर 35 किताबें लिख डाली है । जो वहां की संस्कृति ,धर्म, पर्यटन शिक्षा मौसम और कई अन्य विषयों पर आधारित है ।इनमें कुछ खास किताबें रिसर्च ऑन द हिमालय लद्दाख ,लैंड एंड पीपल, चेंजिंग फेस आफ लद्दाख, लद्दाख पीपुल, हेरिटेज ऑफ लद्दाख शामिल है।
लद्दाख के बारे में सोचना भी बहुत मुश्किल होता है लिहाजा तब से 2019 तक के बदलते लद्दाख को उन्होंने अपनी सोच के जरिए किताबों में उतारा है जब केंद्र सरकार ने आर्टिकल 370 हटा कर अलग राज्य बनाने की घोषणा की तो प्रोफ़ेसर जीना बेहद खुश नजर आए । प्रोफेसर जीना का कहना है कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद लेह लद्दाख में बहुत कुछ बदल सकेगा एक अलग तस्वीर उभर कर सामने आएगी जो लेह लद्दाख के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

लद्दाख आज भी रिटायर प्रोफेसर जीना के मन में बसा हुआ है। उन्होंने बताया कि उनके पढ़ाएं विद्यार्थी आज मौजूदा सांसद सहित कई राजनीति में बहुत ऊपर। उनके मुताबिक केंद्र शासित प्रदेश बनने की वजह से लद्दाख में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा लिहाजा उनकी लिखी हुई किताब के जरिए आम जनता लेह लद्दाख को समझने का प्रयास करें।

बाइट रिटायर प्रोफेसर प्रेम सिंह जीना

प्रोफेसर जीना की पत्नी मंजू जीना बताती है कि लेह लद्दाख के हालातों को समझना बहुत मुश्किल था शादी के बाद कुछ समय तक वह लद्दाख में अपने पति के साथ रहे उनकी हौसला अफजाई की जिसका चलते उनको हौसला मिलता था और एक के बाद एक उन्होंने लद्दाख के ऊपर 35 किताबें हिंदी और अंग्रेजी में लिख डाली।
बाइट मंजू जीना प्रोफेसर जीना की पत्नी


Conclusion:प्रेम सिंह जी ने रिटायर होने के बाद भी लद्दाख की यादों वर्तमान घटनाओं को अपनी लिखने के जरिए किताबों में समेटने का प्रयास कर रहे हैं साथी उन्होंने यह भी उम्मीद जताई है कि अब केंद्र शासित प्रदेश बनने से लेह लद्दाख में काफी बदलाव देखने को मिलेगा।
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