ETV Bharat / city

विश्व पर्यावरण दिवस:  हल्द्वानी में धधकती प्रदूषण की भट्ठी, भयावह होंगे परिणाम

हल्द्वानी में बात अगर ध्वनि प्रदूषण की करें तो यहां लगातार ध्वनि प्रदूषण का लेवल बढ़ता जा रहा है. ध्वनि प्रदूषण के मानक के अनुरूप रात को 55 और  दिन में 65 डेसीबल होनी चाहिए जबकि हल्द्वानी शहर में वर्तमान समय में 75.2 डेसीबल से ऊपर ध्वनि प्रदूषण हो रहा है.

विश्व पर्यावरण दिवस.
author img

By

Published : Jun 5, 2019, 2:46 PM IST

Updated : Jun 5, 2019, 5:53 PM IST

हल्द्वानी: पर्यावरण को बचाने के लिए जीवनशैली में बदलाव जरूरी है. प्रदूषण के लिए आधुनिक जीवनचर्या भी कम जिम्मेदार नहीं है.आधुनिक जीवनशैली से जुड़ी तमाम गलत आदतों से पर्यावरण को हद दर्जे का नुकसान होता है. पर्यावरण संरक्षण की सरकारी पहल अपनी जगह, आम लोगों में भी समझ और संवेदनशीलता होना जरूरी है.क्योंकि लगातार बढ़ रहे प्रदूषण से न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है बल्कि इससे आम जनजीवन भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. बात अगर कुमाऊं के सबसे बड़े महानगर हल्द्वानी की करें तो यहां ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा है.

विश्व पर्यावरण दिवस.

हल्द्वानी में बात अगर ध्वनि प्रदूषण की करें तो यहां लगातार ध्वनि प्रदूषण का लेवल बढ़ता जा रहा है. ध्वनि प्रदूषण के मानक के अनुरूप रात को 55 और दिन में 65 डेसीबल होनी चाहिए जबकि हल्द्वानी शहर में वर्तमान समय में 75.2 डेसीबल से ऊपर ध्वनि प्रदूषण हो रहा है. इसके अलावा अगर बात वायु प्रदूषण की करें तो यहां हजारों की संख्या में बिक रहे वाहन इसका सबसे बड़ा कारण है. जिले में 3 लाख 50 हजार वाहन पंजीकृत हैं, जो रोजाना वायु प्रदूषण कर वातावरण को गर्म करते हैं.

पढ़ें-Etv भारत के कैमरे के सामने फूटा लोगों का दर्द, कहा- नगर निगम ने कर दिया जीना मुहाल

वायु प्रदूषण के आंकड़ों पर नजर डालें तो हल्द्वानी शहर में 100 pm10 होना चाहिए जबकि वायु प्रदूषण भी लगातार बढ़ रहा है. वर्तमान में हल्द्वानी के वातावरण में 107 . 43 pm10 प्रदूषण है. जो मानक से अधिक है और निरंतर बढ़ रहा है. ये सभी आंकड़े अप्रैल माह के हैं. मई और जून में वातावरण में प्रदूषण का लेबल और बढ़ा है.

पढ़ें-केदारनाथः जंगलचट्टी में 150 मीटर गहरी खाई में गिरा युवक, हेलीकॉप्टर से लाया गया गुप्तकाशी

क्षेत्रीय पर्यावरण प्रदूषण कार्यालय के अधिकारी डीके जोशी का कहना है कि कभी साफ वातावरण के लिए जाने जाने वाला हल्द्वानी शहर दिन प्रतिदिन प्रदूषित होता जा रहा है. तो वहीं परिवहन विभाग के उप निरीक्षक देवेंद्र बिष्ट का कहना है कि वह भी लगातार वाहनों की जांच करते रहते हैं. परिवहन विभाग के आर आई देवेंद्र बिष्ट के मुताबिक फोर व्हीलर में 3% से कम कार्बन होना चाहिए. जबकि बड़े वाहन और डीजल वाहन में 5.2 प्रतिशत हार्टीज यूनिट से कम होना चाहिए तभी गाड़ियों की फिटनेस की जाती है.

पढ़ें-ईद को लेकर पुलिस अलर्ट, नमाज के दौरान रूट रहेगा डायवर्ट

देवेंद्र बिष्ट ने बताया कि वाहनों के फिटनेस का समय एक साल होता है लेकिन वाहन स्वामी को हर 6 महीनें में इसे चैक करवाना चाहिए. उन्होंने कहा कि वाहन स्वामी द्वारा प्रदूषण सर्टिफिकेट उपलब्ध नहीं कराने पर फिटनेस नहीं दिया जाता है.

हल्द्वानी: पर्यावरण को बचाने के लिए जीवनशैली में बदलाव जरूरी है. प्रदूषण के लिए आधुनिक जीवनचर्या भी कम जिम्मेदार नहीं है.आधुनिक जीवनशैली से जुड़ी तमाम गलत आदतों से पर्यावरण को हद दर्जे का नुकसान होता है. पर्यावरण संरक्षण की सरकारी पहल अपनी जगह, आम लोगों में भी समझ और संवेदनशीलता होना जरूरी है.क्योंकि लगातार बढ़ रहे प्रदूषण से न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है बल्कि इससे आम जनजीवन भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. बात अगर कुमाऊं के सबसे बड़े महानगर हल्द्वानी की करें तो यहां ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा है.

विश्व पर्यावरण दिवस.

हल्द्वानी में बात अगर ध्वनि प्रदूषण की करें तो यहां लगातार ध्वनि प्रदूषण का लेवल बढ़ता जा रहा है. ध्वनि प्रदूषण के मानक के अनुरूप रात को 55 और दिन में 65 डेसीबल होनी चाहिए जबकि हल्द्वानी शहर में वर्तमान समय में 75.2 डेसीबल से ऊपर ध्वनि प्रदूषण हो रहा है. इसके अलावा अगर बात वायु प्रदूषण की करें तो यहां हजारों की संख्या में बिक रहे वाहन इसका सबसे बड़ा कारण है. जिले में 3 लाख 50 हजार वाहन पंजीकृत हैं, जो रोजाना वायु प्रदूषण कर वातावरण को गर्म करते हैं.

पढ़ें-Etv भारत के कैमरे के सामने फूटा लोगों का दर्द, कहा- नगर निगम ने कर दिया जीना मुहाल

वायु प्रदूषण के आंकड़ों पर नजर डालें तो हल्द्वानी शहर में 100 pm10 होना चाहिए जबकि वायु प्रदूषण भी लगातार बढ़ रहा है. वर्तमान में हल्द्वानी के वातावरण में 107 . 43 pm10 प्रदूषण है. जो मानक से अधिक है और निरंतर बढ़ रहा है. ये सभी आंकड़े अप्रैल माह के हैं. मई और जून में वातावरण में प्रदूषण का लेबल और बढ़ा है.

पढ़ें-केदारनाथः जंगलचट्टी में 150 मीटर गहरी खाई में गिरा युवक, हेलीकॉप्टर से लाया गया गुप्तकाशी

क्षेत्रीय पर्यावरण प्रदूषण कार्यालय के अधिकारी डीके जोशी का कहना है कि कभी साफ वातावरण के लिए जाने जाने वाला हल्द्वानी शहर दिन प्रतिदिन प्रदूषित होता जा रहा है. तो वहीं परिवहन विभाग के उप निरीक्षक देवेंद्र बिष्ट का कहना है कि वह भी लगातार वाहनों की जांच करते रहते हैं. परिवहन विभाग के आर आई देवेंद्र बिष्ट के मुताबिक फोर व्हीलर में 3% से कम कार्बन होना चाहिए. जबकि बड़े वाहन और डीजल वाहन में 5.2 प्रतिशत हार्टीज यूनिट से कम होना चाहिए तभी गाड़ियों की फिटनेस की जाती है.

पढ़ें-ईद को लेकर पुलिस अलर्ट, नमाज के दौरान रूट रहेगा डायवर्ट

देवेंद्र बिष्ट ने बताया कि वाहनों के फिटनेस का समय एक साल होता है लेकिन वाहन स्वामी को हर 6 महीनें में इसे चैक करवाना चाहिए. उन्होंने कहा कि वाहन स्वामी द्वारा प्रदूषण सर्टिफिकेट उपलब्ध नहीं कराने पर फिटनेस नहीं दिया जाता है.

Intro:स्लग- हल्द्वानी शहर व दूषित( विश्व पर्यावरण दिवस) स्पेशल
रिपोर्टर- भावनाथ पंडित हल्द्वानी

स्लग-विश्व पर्यावरण दिवस के दिन जहां लोग पर्यावरण सुरक्षित रखने की संकल्प ले रहे हैं तो वहीं पर्यावरण की इस घातक दिशा के लिए भी हम ही जिम्मेदार हैं। क्योंकि लगातार बढ़ रहा प्रदूषण न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है बल्कि आम जनजीवन को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है ।बात कुमाऊं के सबसे बड़े महानगर हल्द्वानी की की जाए तो यहां ध्वनि प्रदूषण वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा है ।अगर ध्वनि प्रदूषण की बात की जाए तो जो ध्वनि प्रदूषण के मानक हैं उसके अनुरूप रात को 55 में और दिन में 65 डेसीबल होनी चाहिए जबकि हल्द्वानी शहर में ध्वनि प्रदूषण का लेवल लगातार बढ़ता जा रहा है वर्तमान में 75.2 डेसीबल से ऊपर ध्वनि प्रदूषण हो रहा है ।इसके अलावा अगर बात वायु प्रदूषण की की जाए तो हजारों की संख्या में बिक रहे वाहन इसका सबसे बड़ा कारण है। जिले में 3 लाख 50 वाहन पंजीकृत हैं जो रोजाना वायु प्रदूषण कर वातावरण को गर्म करते हैं।


Body:वायु प्रदूषण के आंकड़े मैं नजर डालें तो हल्द्वानी शहर में 100 pm10 होना चाहिए जबकि वायु प्रदूषण भी लगातार बढ़ रहा है वर्तमान में हल्द्वानी के वातावरण में 107 . 43 pm10 प्रदूषण है जो मानक से अधिक है जो कि निरंतर बढ़ रहा है। यह सभी आंकड़े अप्रैल माह के हैं और मई और जून में वातावरण में प्रदूषण का लेबल और बढ़ा है क्योंकि लगातार बढ़ रही गर्मी और जल रही जंगल ने न सिर्फ वातावरण में उमस बढ़ाई है बल्कि जंगलों में लगी आग के उठते हुए ने लोगों को प्रदूषण से और परेशान किया है।


Conclusion:क्षेत्रीय पर्यावरण प्रदूषण कार्यालय के अधिकारी डीके जोशी का कहना है कि कभी साफ वातावरण के लिए जाने जाने वाला हल्द्वानी शहर दिन प्रतिदिन प्रदूषित होता जा रहा है तो वही परिवहन विभाग के उप निरीक्षक देवेंद्र बिष्ट का कहना है कि वह भी प्रदूषण के वाहनों की जांच लगातार करते हैं लेकिन लोगों को प्रदूषण के प्रति कम जागरूकता होने के चलते एक बार व वायु प्रदूषण की जांच करने के बाद अगले 6 महीने तक इसकी अवधि होती है जिसके बाद लोग दुबारा वायु प्रदूषण की जांच कराने आते हैं ।परिवहन विभाग के आर आई देवेंद्र बिष्ट के मुताबिक फोर व्हीलर में 3% से कम कार्बन होना चाहिए जबकि बड़े वाहन और डीजल वाहन में 5.2 प्रतिशत हार्टीज यूनिट से कम होना चाहिए तभी गाड़ियों की फिटनेस की जाती है। लेकिन फिटनेस का समय 1 वर्ष होता है जबकि प्रदूषण को चेक करने का समय 6 महीने होता है वाहन स्वामी द्वारा प्रदूषण सर्टिफिकेट उपलब्ध नहीं कराने पर फिटनेस नहीं दिया जाता है और समय-समय पर वाहनों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है। दिन-प्रतिदिन लगाता एक शांत स्वच्छ शहर में गर्मी और वायु और ध्वनि प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है जिसके कारण कहीं न कहीं यहां की जनता है।
बाइट -1 डीके जोशी क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी।
बाइक 2 देवेंद्र बिष्ट उप निरीक्षक परिवहन विभाग
Last Updated : Jun 5, 2019, 5:53 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.