हल्द्वानी: संतान की कामना और उनके स्वास्थ्य समृद्धि के लिए किए जाने वाला अहोई अष्टमी का व्रत आज किया जा रहा है. अहोई माता की पूजा करना संतान के लिए कल्याणकारी माना जाता है. निसंतान दंपत्ति संतान प्राप्ति के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखने से संतान की प्राप्ति होती है. इसी दिन विशेषकर राधा कुंड में स्नान करने का भी महत्व है. इसलिए राधा कुंड में स्नान नहीं कर पाए तो घर में पवित्र जल से स्नान कर राधा रानी का नाम का स्मरण करके से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है.
ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक अहोई माता व्रत का बहुत बड़ा महत्व माना जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई व्रत किया जाता है. जिस प्रकार से करवा चौथ का व्रत महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए करती हैं. उसी तरह से इस व्रत को किया जाता है, जिससे कि अखंड सौभाग्य के साथ-साथ संतान प्राप्ति और संतान की रक्षा हो सके.
अहोई माता को करुणा दाई माता कहा जाता है और इस व्रत को करने के लिए माताओं को निर्जला व्रत करना चाहिए. इसके साथ ही रात में तारा और चंद्रमा के दर्शन करने के साथ इस व्रत की परायण करने का महत्व है. ज्योतिष के अनुसार आज सुबह 9:50 बजे से गुरुमुखी योग बन रहा है. इस व्रत को करने से अखंड सौभाग्य के साथ-साथ संतान प्राप्ति और संतान की रक्षा की प्राप्ति होती है.
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ऐसे करें अहोई मां की पूजाः अहोई माता की पूजा के लिए विधि पूर्वक सुबह धूपबत्ती और अखंड दीया जलाकर अहोई माता की पूजा की जाती है. इसके बाद रात में चंद्रमा उदय होने पर चंद्रमा की पूजा करने के बाद व्रत खोला जाता है. इसके अलावा अहोई अष्टमी के दिन माता अहोई के साथ-साथ पर्वतीय और भगवान शिव की भी पूजा करें. रात में उनको दूध और भात का भोग भी लगाएं, इससे भगवान शिव और चंद्रमा प्रसन्न होंगे.
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक इस व्रत को करने का सबसे ज्यादा फलदाई निसंतानों के लिए माना जाता है. अगर विधि-विधान से माता अहोई का व्रत किया जाए तो उनको निश्चित संतान प्राप्त होती हैं. शास्त्रों के अनुसार भगवान वेदव्यास ने उपदेश दिया था कि जो निसंतान हैं, वह माताएं अगर इस व्रत को करेंगी तो निश्चित ही फलदाई होगा.