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अधर में लटक सकता है दून मेडिकल कॉलेज निर्माण, उत्तर प्रदेश निर्माण निगम ने भेजा रिवाइज्ड एस्टिमेट

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Published : Jul 7, 2019, 6:50 PM IST

Updated : Jul 7, 2019, 7:16 PM IST

उत्तर प्रदेश निर्माण निगम ने दून मेडिकल कॉलेज को बनाने से इनकार कर दिया है. निगम ने प्रोजेक्ट की तय लागत में करोड़ों रुपए बढ़ाकर रिवाइज रेट विभाग को भेजे हैं. साथ ही रेट रिवाइज नहीं करने पर निर्माण पर रोक लगाने की बात कही है. लेकिन सरकार एजेंसी के रूख पर कार्रवाई करने के बजाय दबाव में दिखाई दे रही है.

दून मेडिकल कॉलेज निर्माण पर उत्तर प्रदेश निर्माण निगम ने सरकार को भेजे रिवाइज रेट.

देहरादून: उत्तर प्रदेश निर्माण निगम ने दून मेडिकल कॉलेज को बनाने से इनकार कर दिया है. निगम ने प्रोजेक्ट की तय लागत में करोड़ों रुपए बढ़ाकर रिवाइज रेट विभाग को भेजे हैं. जिसके बाद से विभाग और सरकार निर्माण निगम के दबाव में दिखाई दे रही है.

आपको बता दें कि राजकीय निर्माण निगम को दून मेडिकल कॉलेज का निर्माण 406 करोड़ में करना था. जिसमें मेडिकल कॉलेज को 227 करोड़ 53 लाख, ओपीडी को 45 करोड़ 50 लाख और ओटी को 129 करोड़ में बनाया जाना था. लेकिन निर्माण निगम तय बजट में निर्माण नहीं कर पा रहा है. वहीं अब निर्माण निगम ने ओपीडी बनाने के लिए 65 करोड़ के रिवाइज रेट सरकार को भेजे हैं.

दून मेडिकल कॉलेज निर्माण पर उत्तरप्रदेश निर्माण निगम ने खड़े किये हाथ.

गौर हो कि यूपी निर्माण निगम पिछले 6 सालों से दून मेडिकल कॉलेज का निर्माण नहीं कर पाया है. वहीं अब एजेंसी ने रेट रिवाइज करने के नाम पर करोड़ों रुपए के नए रेट विभाग को सौंप हैं. साथ ही रेट रिवाइज नहीं करने पर निर्माण पर रोक लगाने की बात कही है. लेकिन सरकार एजेंसी के रूख पर कार्रवाई करने के बजाय दबाव में दिखाई दे रही है.

यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी राजकीय निर्माण निगम राज्य के तमाम कार्यों पर अपना लापरवाह रवैया जता चुका है. साथ ही निर्माण निगम पर पहले कई धांधली और अधिकारियों से लेनदेन के आरोप भी लगे हैं. जिसके चलते राज्य सरकार एजेंसी के संदेहात्मक रवैया को देखते हुए पूर्व में रोक भी लगा चुकी है. बावजूद इसके निर्माण निगम को ही सरकार प्रोजेक्ट देती आ रही है.

ये भी पढ़े: अज्ञात शवों का कब्रगाह बनता जा रहा नैनीताल, पुलिस की बढ़ी मुश्किलें

वहीं, अब उत्तराखंड के लिए चिंता बढ़ गई है. मेडिकल कॉलेज के निर्माण में सरकार एक मोटी रकम निर्माण निगम को दे चुकी है. ऐसे में यदि निर्माण निगम काम करने से मना कर देता है तो राज्य को करोड़ों का नुकसान हो सकता है.

देहरादून: उत्तर प्रदेश निर्माण निगम ने दून मेडिकल कॉलेज को बनाने से इनकार कर दिया है. निगम ने प्रोजेक्ट की तय लागत में करोड़ों रुपए बढ़ाकर रिवाइज रेट विभाग को भेजे हैं. जिसके बाद से विभाग और सरकार निर्माण निगम के दबाव में दिखाई दे रही है.

आपको बता दें कि राजकीय निर्माण निगम को दून मेडिकल कॉलेज का निर्माण 406 करोड़ में करना था. जिसमें मेडिकल कॉलेज को 227 करोड़ 53 लाख, ओपीडी को 45 करोड़ 50 लाख और ओटी को 129 करोड़ में बनाया जाना था. लेकिन निर्माण निगम तय बजट में निर्माण नहीं कर पा रहा है. वहीं अब निर्माण निगम ने ओपीडी बनाने के लिए 65 करोड़ के रिवाइज रेट सरकार को भेजे हैं.

दून मेडिकल कॉलेज निर्माण पर उत्तरप्रदेश निर्माण निगम ने खड़े किये हाथ.

गौर हो कि यूपी निर्माण निगम पिछले 6 सालों से दून मेडिकल कॉलेज का निर्माण नहीं कर पाया है. वहीं अब एजेंसी ने रेट रिवाइज करने के नाम पर करोड़ों रुपए के नए रेट विभाग को सौंप हैं. साथ ही रेट रिवाइज नहीं करने पर निर्माण पर रोक लगाने की बात कही है. लेकिन सरकार एजेंसी के रूख पर कार्रवाई करने के बजाय दबाव में दिखाई दे रही है.

यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी राजकीय निर्माण निगम राज्य के तमाम कार्यों पर अपना लापरवाह रवैया जता चुका है. साथ ही निर्माण निगम पर पहले कई धांधली और अधिकारियों से लेनदेन के आरोप भी लगे हैं. जिसके चलते राज्य सरकार एजेंसी के संदेहात्मक रवैया को देखते हुए पूर्व में रोक भी लगा चुकी है. बावजूद इसके निर्माण निगम को ही सरकार प्रोजेक्ट देती आ रही है.

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वहीं, अब उत्तराखंड के लिए चिंता बढ़ गई है. मेडिकल कॉलेज के निर्माण में सरकार एक मोटी रकम निर्माण निगम को दे चुकी है. ऐसे में यदि निर्माण निगम काम करने से मना कर देता है तो राज्य को करोड़ों का नुकसान हो सकता है.

Intro:exclusive report.....

summary-उत्तराखंड में सरकारों कि न जाने क्या मजबूरी है कि तमाम आरोपों के बावजूद भी उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम पर अधिकारियों की मेहरबानी बनी रहती है... दून मेडिकल कॉलेज के निर्माण पर भी अधिकारियों की यही मेहरबानी राज्य को नुकसान पहुंचा सकती है। देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट....

उत्तर प्रदेश निर्माण निगम ने दून मेडिकल कॉलेज को बनाने से इनकार कर दिया है... करोड़ों रुपए बढ़ाकर रिवाइज रेट विभाग को देने के बाद अब विभाग और सरकार निर्माण निगम के दबाव में दिखाई दे रही है।


Body:उत्तराखंड में हजारों करोड़ के काम करने वाली यूपी निर्माण निगम एजेंसी भले ही कितने भी आरोपों से घिरी हो लेकिन अधिकारियों और सरकारों का आशीर्वाद उस पर कभी कम नहीं होता... दून मेडिकल कॉलेज निर्माण के मामले में तो सरकार और अधिकारी निर्माण निगम पर इस कदर मेहरबान है कि प्रदेश को करोड़ों का चूना लगाए जाने की कोशिशों को भी नजरअंदाज किया जा रहा है। दरअसल राज्य में यूपी निर्माण निगम पिछले 6 सालों में भी दून मेडिकल कॉलेज का निर्माण नहीं कर पाया है.. एजेंसी की हिमाकत देखिए कि अब उसने रेट रिवाइज करने के नाम पर करोड़ों रुपए के नए रेट विभाग को सौंप दिए हैं... ऐसा नहीं करने पर काम को आगे नहीं करने की भी बात कही गई है.. हैरत की बात तो यह है कि सरकार एजेंसी के इस रवैया पर कार्रवाई करने के बजाय दबाव में दिखाई दे रही है। आपको बता दें कि राजकीय निर्माण निगम को दून मेडिकल कॉलेज का निर्माण 406 करोड़ में करना था... इसमें मेडिकल कॉलेज को 227 करोड़ 53 लाख में बनाया जाना था तो ओपीडी को 45 करोड़ पचास लाख में तैयार होना था इसी तरह अस्पताल की ओटी को भी 129 करोड़ में बनाया जाना था... लेकिन इन सभी कामों को अब तक निर्माण निगम नहीं कर पाया है उल्टा निर्माण निगम ने ओपीडी के लिए रिवाइज रेट भेजते हुए 65 करोड़ में इसे बनाए जाने की बात कही है। 


बाइट प्रोफेसर आशुतोष सयाना, प्राचार्य, दून मेडिकल कॉलेज


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राजकीय निर्माण निगम की दादागिरी का यह पहला मामला नहीं है इससे पहले भी राजकीय निर्माण निगम तमाम कार्यों पर अपना लापरवाह रवैया जता चुका है.. निर्माण निगम पर पहले कई धांधली के आरोप लगे हैं तो सरकार पहले एजेंसी के संदेहात्मक रवैया को देखते हुए उस पर रोक भी लगा चुकी है लेकिन न जाने ऐसा क्या गठजोड़ है कि न तो निर्माण निगम के खिलाफ सरकार किसी लापरवाह रवैया को लेकर कार्रवाई करती है और ना ही एजेंसी की दादागिरी पर कठोर कार्रवाई करती है। हालांकि इससे पहले एजेंसी पर अधिकारियों से लेनदेन के आरोप भी लगे हैं ऐसे में इसे मजबूरी कहें या अधिकारियों के निजी हित की निगम लगातार अपना मनमाना रवैया अपना रहा है और अधिकारी बैकफुट पर दिखाई दे रहे हैं। उत्तराखंड के लिए चिंता की बात यह भी है कि मेडिकल कॉलेज के निर्माण में सरकार एक मोटी रकम निर्माण निगम को दे चुकी है ऐसे में यदि निर्माण निगम काम करने से मना कर देता है तो उत्तराखंड को करोड़ों का नुकसान हो सकता है।




Conclusion:शासन में निर्माण निगम की पैठ राज्य में उसे मिले हजारों करोड़ के काम से समझी जा सकती है यह सब तब है जब राजकीय निर्माण निगम पर तमाम धांधलियों के आरोप हैं ऐसे में न जाने क्यों शासन के अधिकारी नकेल कसने के बजाय यूपी निर्माण निगम को लेकर नरम रुख अपना रहे हैं।

पीटीसी नवीन उनियाल देहरादून
Last Updated : Jul 7, 2019, 7:16 PM IST
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