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अरबों का राजस्व देने वाले विभाग के पास नहीं हैं 1500 रु., जानें क्या है पूरा मामला - Uttarakhand news

उत्तराखंड में आबकारी विभाग के पास बंदूकों के लाइसेंस रिन्यू करने तक का बजट नहीं है.विभाग से इन दिनों जो निकलकर सामने आ रहा है वो वाकई में चौंकाने वाला है.

आबकारी के विभाग के पास नहीं हैं बंदूकों का लाइसेंस रिन्यू करने का बजट
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Published : Oct 14, 2019, 2:32 PM IST

Updated : Oct 14, 2019, 2:44 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में आबकारी विभाग से हर साल अरबों का राजस्व सरकार को प्राप्त होता है, बावजूद इसके विभाग के पास अपने ड्यूटी हथियारों के लाइसेंस रिन्यू कराने तक का बजट नहीं है. मिली जानकारी के मुताबिक आबकारी विभाग के पास 50 बंदूकें तो हैं लेकिन इन हथियारों के लाइसेंस रिन्यू करने के लिए पर्याप्त बजट नहीं है. लिहाजा विभाग के कर्मचारी बंदूकों को कार्यालय में जमा करा कर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं.ऐसे में प्रदेश में शराब माफिया पर विभाग कैसे लगाम लगा पाएगा ये एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है.

उत्तराखंड में पड़ोसी राज्यों से हर वर्ष भारी मात्रा में अवैध शराब की तस्करी का धंधा धड़ल्ले से चलाया जाता है.बड़े-बड़े सिंडिकेट सरकार और विभाग की नाक के नीचे इस गोरखधंधे को अंजाम देते हैं. वहीं इस तरह से अवैध शराब की बिक्री और माफिया पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने आबकारी विभाग को जिम्मेदारी सौंपी है. लेकिन विभाग से इन दिनों जो निकलकर सामने आ रहा है वो वाकई में चौंकाने वाला है.

पढ़ें-राज्य के सरकारी स्कूलों में बदलेंगे हालात, जल्द शुरू होंगे स्मार्ट क्लास

दंबगई के बल पर शराब का कारोबार करने वाले और शराब की तस्करी को रोकने के लिए विभाग के पास 50 बंदूकें हैं. जिनका लाइसेंस रिन्यू करवाने के लिए आबकारी विभाग के पास बजट नहीं है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि अगर तस्करों से मुकाबला करते हुए हथियारबंद माफिया से विभाग की भिड़त हो जाये तो ऐसे में विभाग क्या करेगा?

पढ़ें- BJP विधायकों की अनर्गल बयानबाजी पर CM सख्त, सिखाया अनुशासन का पाठ


जहरीली शराब कांड घटनाओं के बाद तस्करों की धरपकड़ में हथियारों को कमी

रुड़की, टिहरी व देहरादून जैसे जिलों में जहरीली शराब कांड में आबकारी विभाग की लापरवाही जग जाहिर है. इन जिलों में हुई शराब कांड मामले के बाद विभाग ने पूरे राज्य में शराब तस्करों की धरपकड़ के लिए अभियान चलाया. इस पर भी ड्यूटी कर्मचारियों के पास हथियार न होने के कारण कई तरह की मुश्किलें सामने आई. जानकारी के मुताबिक कार्रवाई के दौरान सुरक्षा के लिए मुहैया कराई गई 50 बंदूकों के लाइसेंस रिन्यू न होने के कारण तस्करों की धरपकड़ में दिक्कतें आ रही है.

पढ़ें-देहरादून के शूटर की दिल्ली में मौत, जांच में जुटी पुलिस

जानकारी के मुताबिक विभाग के पास लाइसेंस को रिन्यू कराने के लिए 1500 रुपए तक का बजट नही है. जोकि वाकई में चौंकाने वाला है. ये हाल तब है जब आबकारी विभाग सरकार के सबसे अधिक राजस्व देता है.

देहरादून: उत्तराखंड में आबकारी विभाग से हर साल अरबों का राजस्व सरकार को प्राप्त होता है, बावजूद इसके विभाग के पास अपने ड्यूटी हथियारों के लाइसेंस रिन्यू कराने तक का बजट नहीं है. मिली जानकारी के मुताबिक आबकारी विभाग के पास 50 बंदूकें तो हैं लेकिन इन हथियारों के लाइसेंस रिन्यू करने के लिए पर्याप्त बजट नहीं है. लिहाजा विभाग के कर्मचारी बंदूकों को कार्यालय में जमा करा कर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं.ऐसे में प्रदेश में शराब माफिया पर विभाग कैसे लगाम लगा पाएगा ये एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है.

उत्तराखंड में पड़ोसी राज्यों से हर वर्ष भारी मात्रा में अवैध शराब की तस्करी का धंधा धड़ल्ले से चलाया जाता है.बड़े-बड़े सिंडिकेट सरकार और विभाग की नाक के नीचे इस गोरखधंधे को अंजाम देते हैं. वहीं इस तरह से अवैध शराब की बिक्री और माफिया पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने आबकारी विभाग को जिम्मेदारी सौंपी है. लेकिन विभाग से इन दिनों जो निकलकर सामने आ रहा है वो वाकई में चौंकाने वाला है.

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दंबगई के बल पर शराब का कारोबार करने वाले और शराब की तस्करी को रोकने के लिए विभाग के पास 50 बंदूकें हैं. जिनका लाइसेंस रिन्यू करवाने के लिए आबकारी विभाग के पास बजट नहीं है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि अगर तस्करों से मुकाबला करते हुए हथियारबंद माफिया से विभाग की भिड़त हो जाये तो ऐसे में विभाग क्या करेगा?

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जहरीली शराब कांड घटनाओं के बाद तस्करों की धरपकड़ में हथियारों को कमी

रुड़की, टिहरी व देहरादून जैसे जिलों में जहरीली शराब कांड में आबकारी विभाग की लापरवाही जग जाहिर है. इन जिलों में हुई शराब कांड मामले के बाद विभाग ने पूरे राज्य में शराब तस्करों की धरपकड़ के लिए अभियान चलाया. इस पर भी ड्यूटी कर्मचारियों के पास हथियार न होने के कारण कई तरह की मुश्किलें सामने आई. जानकारी के मुताबिक कार्रवाई के दौरान सुरक्षा के लिए मुहैया कराई गई 50 बंदूकों के लाइसेंस रिन्यू न होने के कारण तस्करों की धरपकड़ में दिक्कतें आ रही है.

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जानकारी के मुताबिक विभाग के पास लाइसेंस को रिन्यू कराने के लिए 1500 रुपए तक का बजट नही है. जोकि वाकई में चौंकाने वाला है. ये हाल तब है जब आबकारी विभाग सरकार के सबसे अधिक राजस्व देता है.

Intro:summary-आबकारी विभाग में ग़जब का हाल,तस्करों से मुकाबला करने वाली बंदूको का लाइसेंस रिन्यू नहीं, आखिर कैसे करे बिना हथियारों के तस्करों पर कार्रवाई।

देहरादून- उत्तराखंड में जिस आबकारी विभाग से प्रतिवर्ष करोड़ों का राजस्व सरकार को प्राप्त होता है, उस विभाग के पास अपने ड्यूटी हथियारों के लाइसेंस रिन्यू कराने का बजट ही नहीं। जिहाँ जानकारी के मुताबिक जिन शराब तस्करों लगाम लगाने के लिए आबकारी विभाग के पास मुख्य रूप से जिम्मेदारी हैं। उस विभाग के पास ड्यूटी करने वाले 50 बंदूके तो हैं मगर इन हथियारों के लाइसेंस रिन्यू करने के लिए पर्याप्त बजट नहीं है, लिहाजा इस वजह से विभाग के कर्मचारी बंदूकों को अपने कार्यालय में जमा करा कर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। ऐसे में राज्यभर में भारी संख्या में सक्रिय शराब तस्करों पर कार्रवाई के दौरान आबकारी कर्मी उनसे धरपकड़ के समय मुकाबला करें तो करें कैसे यह बड़ी विडंबना सामने आ रही है।


Body:
तस्करों पर अंकुश लगाने के लिए हथियार ना होना हैरान करने वाला विषय

उत्तराखंड के पड़ोसी राज्यों से हर वर्ष भारी मात्रा में अवैध शराब की तस्करी का धंधा बड़े -बड़े सिंडिकेट के माफ़िया कर रहे हैं,लेकिन उन तस्करों पर जब अंकुश लगाने के लिए कार्रवाई की बात सामने आती है तो, मौके पर तस्करों का मुकाबला करने के लिए विभाग कर्मियों के पास हथियार ना होना एक लचर कार्यशैली को दर्शाता है। कई बार तस्करों से मुकाबला करते हुए हथियारबंद माफियाओं द्वारा हमला बोल दिया जाता हैं लेकिन अगर ऐसे वक्त में कार्रवाई करने वाली आबकारी विभाग टीम के पास बंदूक ना होना, तो कैसे तस्करों मुकाबला होगा।


जहरीली शराब कांड घटनाओं के बाद तस्करों की धरपकड़ में हथियारों को कमी,लचर कार्यशैली

उधर रुड़की, टिहरी व देहरादून जैसे जिलों में जहरीली शराब कांड में आबकारी विभाग की साफ लापरवाही जग जाहिर है। इन जिलों में हुई शराब कांड मामले के बाद विभाग द्वारा पूरे राज्य में शराब तस्करों की धरपकड़ के लिए अभियान चलाया गया लेकिन ड्यूटी कर्मचारियों के पास हथियार ना होने के कारण कई तरह की मुश्किलें सामने आई। जानकारी के मुताबिक कार्रवाई के दौरान सुरक्षा के लिए मुहैया कराई गई 50 बंदूकें का लाइसेंस रिन्यू ना होने के कारण विभाग की लापरवाही सबके सामने आई है। जानकारी के मुताबिक विभाग के पास लाइसेंस को रिन्यू कराने के लिए 1500 रुपए तक का बजट ना होना हैरान करने वाला विषय है, जबकि प्रति वर्ष हजारों करोड़ का राजस्व आबकारी विभाग कमाई के तौर पर सरकार को दे रहा है।


Conclusion:
Last Updated : Oct 14, 2019, 2:44 PM IST
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