देहरादून: उत्तराखंड में आबकारी विभाग से हर साल अरबों का राजस्व सरकार को प्राप्त होता है, बावजूद इसके विभाग के पास अपने ड्यूटी हथियारों के लाइसेंस रिन्यू कराने तक का बजट नहीं है. मिली जानकारी के मुताबिक आबकारी विभाग के पास 50 बंदूकें तो हैं लेकिन इन हथियारों के लाइसेंस रिन्यू करने के लिए पर्याप्त बजट नहीं है. लिहाजा विभाग के कर्मचारी बंदूकों को कार्यालय में जमा करा कर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं.ऐसे में प्रदेश में शराब माफिया पर विभाग कैसे लगाम लगा पाएगा ये एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है.
उत्तराखंड में पड़ोसी राज्यों से हर वर्ष भारी मात्रा में अवैध शराब की तस्करी का धंधा धड़ल्ले से चलाया जाता है.बड़े-बड़े सिंडिकेट सरकार और विभाग की नाक के नीचे इस गोरखधंधे को अंजाम देते हैं. वहीं इस तरह से अवैध शराब की बिक्री और माफिया पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने आबकारी विभाग को जिम्मेदारी सौंपी है. लेकिन विभाग से इन दिनों जो निकलकर सामने आ रहा है वो वाकई में चौंकाने वाला है.
पढ़ें-राज्य के सरकारी स्कूलों में बदलेंगे हालात, जल्द शुरू होंगे स्मार्ट क्लास
दंबगई के बल पर शराब का कारोबार करने वाले और शराब की तस्करी को रोकने के लिए विभाग के पास 50 बंदूकें हैं. जिनका लाइसेंस रिन्यू करवाने के लिए आबकारी विभाग के पास बजट नहीं है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि अगर तस्करों से मुकाबला करते हुए हथियारबंद माफिया से विभाग की भिड़त हो जाये तो ऐसे में विभाग क्या करेगा?
पढ़ें- BJP विधायकों की अनर्गल बयानबाजी पर CM सख्त, सिखाया अनुशासन का पाठ
जहरीली शराब कांड घटनाओं के बाद तस्करों की धरपकड़ में हथियारों को कमी
रुड़की, टिहरी व देहरादून जैसे जिलों में जहरीली शराब कांड में आबकारी विभाग की लापरवाही जग जाहिर है. इन जिलों में हुई शराब कांड मामले के बाद विभाग ने पूरे राज्य में शराब तस्करों की धरपकड़ के लिए अभियान चलाया. इस पर भी ड्यूटी कर्मचारियों के पास हथियार न होने के कारण कई तरह की मुश्किलें सामने आई. जानकारी के मुताबिक कार्रवाई के दौरान सुरक्षा के लिए मुहैया कराई गई 50 बंदूकों के लाइसेंस रिन्यू न होने के कारण तस्करों की धरपकड़ में दिक्कतें आ रही है.
पढ़ें-देहरादून के शूटर की दिल्ली में मौत, जांच में जुटी पुलिस
जानकारी के मुताबिक विभाग के पास लाइसेंस को रिन्यू कराने के लिए 1500 रुपए तक का बजट नही है. जोकि वाकई में चौंकाने वाला है. ये हाल तब है जब आबकारी विभाग सरकार के सबसे अधिक राजस्व देता है.