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हिमालय में तेजी से बढ़ रही पर्यावरणीय विसंगतियां, ये है वजह - हिमालय

मानव सुविधाओं को बढ़ाने के लिए हो रहे अनियोजित विकास से हिमालय की सेहत बिगड़ रही है. हालत यह है कि हिमालय में तेजी से पर्यावरणीय विसंगतियां बढ़ रही हैं. हिमालय दिवस पर ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.

हिमालय में तेजी से बढ़ रही पर्यावरणीय विसंगतियां
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Published : Sep 9, 2019, 7:19 AM IST

Updated : Sep 9, 2019, 9:06 AM IST

देहरादून: हिमालय की खराब होती सेहत के लिए वैश्विक कारण बड़े स्तर पर जिम्मेदार है. लेकिन स्थानीय कारणों के चलते भी हिमालय में विसंगतियां पैदा हो रही हैं. हिमालय दिवस पर पर्यावरणीय रूप से विसंगतियां पैदा करते कुछ ऐसे ही कारणों पर ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

हिमालय में तेजी से बढ़ रही पर्यावरणीय विसंगतियां.

बता दें कि हिमालय पर दुनिया के एक बड़े हिस्से का पर्यावरणीय संतुलन बनाने की जिम्मेदारी है. नदियों पर बड़ी संख्या में बनते बांध पर्यावरण और जैव विविधता के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं. इससे न केवल नदियों से बहकर आने वाले उपजाऊ खनिज का नुकसान हो रहा है, बल्कि कई जीव भी विलुप्ति की कगार पर हैं. यही नहीं पानी को न सड़ने देने वाला खास तत्व भी खत्म हो रहा है.

पढ़ें: उत्तराखंड में शोभायात्रा के साथ हुआ नंदा-सुनंदा महोत्सव का समापन, श्रद्धालुओं का लगा तांता

पर्यावरणविद प्रोफेसर एसपी सती बताते हैं कि यूं तो पर्यावरणीय विसंगतियों के लिए स्थानीय स्तर पर भी कई वजह हैं लेकिन मुख्य रूप से तीन कारणों के चलते हिमालय में बदलाव देखने को मिल रहा है. हिमालयी क्षेत्रों में विकास के लिए बनाई जाने वाली सड़कें भी पर्यावरण को बदल रही है. प्रोफेसर एसपी सती बताते हैं कि उत्तराखंड में पिछले 20 सालों में करीब 30 से 40 हजार किलोमीटर सड़कें बनी हैं. सती बताते हैं कि एक किलोमीटर सड़क पर 30 से 60 हजार घन मीटर मलबा निकलता है. इस लिहाज से करीब 40 हजार किलोमीटर पर 160 करोड़ घन मीटर मलबा निकल चुका है. जोकि नदियों में पहुंचने से बाढ़ जैसे हालातों को पैदा करता है और शायद यही कारण है कि तेज बारिश के में अचानक बाढ़ आ जाती है.

हिमालय क्षेत्र में बदलाव का एक कारण वनों को लेकर बनाए गए तमाम नियम भी हैं. इसमें वन संरक्षण को लेकर तो काम किया जाता है, लेकिन वन प्रबंधन पर सरकारें कोई काम नहीं करती. जिस कारण हर साल जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ रही हैं और बेहद खास तरह की जड़ी बूटियां भी नष्ट हो रही हैं. वन प्रबंधन न होने से चीड़ के जंगल फैलते जा रहे हैं और जड़ी-बूटियों का संरक्षण न होने से इनकी मात्रा में कमी आ रही है.

हिमालय क्षेत्र में कृषि भी लगातार तेजी से घट रही है. हिमालय क्षेत्र में आने वाले एक बदलाव में यह भी एक बड़ा बदलाव है. हिमालय क्षेत्र के उपजाऊ खेत बंजर हो रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण इस क्षेत्र में खेती को नुकसान पहुंचाने वाले जानवरों से लेकर सरकारों का कोई ध्यान न होना है. साथ ही पलायन की वजह से भी खेती छूट रही है और जमीनें बंजर हो रही हैं.

प्रोफेसर एसपी सती ने कहा कि हिमालय क्षेत्र में विभिन्न स्तर पर अलग-अलग बदलाव आ रहे हैं. हर साल उत्तराखंड हिमालय दिवस मनाता है. लेकिन इस हिमालय दिवस पर जरूरत है एक संकल्प लेने की, ताकि स्थानीय कारणों की वजह से पर्यावरण में जो विसंगतियां आ रही हैं उनको खत्म किया जा सके.

देहरादून: हिमालय की खराब होती सेहत के लिए वैश्विक कारण बड़े स्तर पर जिम्मेदार है. लेकिन स्थानीय कारणों के चलते भी हिमालय में विसंगतियां पैदा हो रही हैं. हिमालय दिवस पर पर्यावरणीय रूप से विसंगतियां पैदा करते कुछ ऐसे ही कारणों पर ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

हिमालय में तेजी से बढ़ रही पर्यावरणीय विसंगतियां.

बता दें कि हिमालय पर दुनिया के एक बड़े हिस्से का पर्यावरणीय संतुलन बनाने की जिम्मेदारी है. नदियों पर बड़ी संख्या में बनते बांध पर्यावरण और जैव विविधता के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं. इससे न केवल नदियों से बहकर आने वाले उपजाऊ खनिज का नुकसान हो रहा है, बल्कि कई जीव भी विलुप्ति की कगार पर हैं. यही नहीं पानी को न सड़ने देने वाला खास तत्व भी खत्म हो रहा है.

पढ़ें: उत्तराखंड में शोभायात्रा के साथ हुआ नंदा-सुनंदा महोत्सव का समापन, श्रद्धालुओं का लगा तांता

पर्यावरणविद प्रोफेसर एसपी सती बताते हैं कि यूं तो पर्यावरणीय विसंगतियों के लिए स्थानीय स्तर पर भी कई वजह हैं लेकिन मुख्य रूप से तीन कारणों के चलते हिमालय में बदलाव देखने को मिल रहा है. हिमालयी क्षेत्रों में विकास के लिए बनाई जाने वाली सड़कें भी पर्यावरण को बदल रही है. प्रोफेसर एसपी सती बताते हैं कि उत्तराखंड में पिछले 20 सालों में करीब 30 से 40 हजार किलोमीटर सड़कें बनी हैं. सती बताते हैं कि एक किलोमीटर सड़क पर 30 से 60 हजार घन मीटर मलबा निकलता है. इस लिहाज से करीब 40 हजार किलोमीटर पर 160 करोड़ घन मीटर मलबा निकल चुका है. जोकि नदियों में पहुंचने से बाढ़ जैसे हालातों को पैदा करता है और शायद यही कारण है कि तेज बारिश के में अचानक बाढ़ आ जाती है.

हिमालय क्षेत्र में बदलाव का एक कारण वनों को लेकर बनाए गए तमाम नियम भी हैं. इसमें वन संरक्षण को लेकर तो काम किया जाता है, लेकिन वन प्रबंधन पर सरकारें कोई काम नहीं करती. जिस कारण हर साल जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ रही हैं और बेहद खास तरह की जड़ी बूटियां भी नष्ट हो रही हैं. वन प्रबंधन न होने से चीड़ के जंगल फैलते जा रहे हैं और जड़ी-बूटियों का संरक्षण न होने से इनकी मात्रा में कमी आ रही है.

हिमालय क्षेत्र में कृषि भी लगातार तेजी से घट रही है. हिमालय क्षेत्र में आने वाले एक बदलाव में यह भी एक बड़ा बदलाव है. हिमालय क्षेत्र के उपजाऊ खेत बंजर हो रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण इस क्षेत्र में खेती को नुकसान पहुंचाने वाले जानवरों से लेकर सरकारों का कोई ध्यान न होना है. साथ ही पलायन की वजह से भी खेती छूट रही है और जमीनें बंजर हो रही हैं.

प्रोफेसर एसपी सती ने कहा कि हिमालय क्षेत्र में विभिन्न स्तर पर अलग-अलग बदलाव आ रहे हैं. हर साल उत्तराखंड हिमालय दिवस मनाता है. लेकिन इस हिमालय दिवस पर जरूरत है एक संकल्प लेने की, ताकि स्थानीय कारणों की वजह से पर्यावरण में जो विसंगतियां आ रही हैं उनको खत्म किया जा सके.

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Summary- मानव सुविधाओं को बढ़ाने के लिए हो रहे अनियोजित विकास से हिमालय की सेहत बिगड़ रही है... हालत यह है कि हिमालय में तेजी से पर्यावरणीय विसंगतियां बढ़ रही हैं...हिमालय दिवस पर etv bharat की ये स्पेशल रिपोर्ट.....


हिमालय को पर्यावरणीय रूप से तबाह करने के लिए स्थानीय कारक भी जिम्मेदार हैं...हिमालय दिवस पर पर्यावरणीय रूप से विशनगतियाँ पैदा करते कुछ ऐसे ही कारणों पर etv bharat की खास रिपोर्ट....




Body:जिस हिमालय पर दुनिया के एक बड़े हिस्से का पर्यावरणीय संतुलन बनाने की जिम्मेदारी है ..उसकी सेहत मानव बिगाड़ने में जुटा है...यूं तो हिमालय की खराब होती सेहत के लिए वैश्विक कारण बड़े स्तर पर जिम्मेदार हैं लेकिन स्थानीय कारणों के चलते भी हिमालय में विसंगतियां पैदा हो रही हैं।। पर्यावरणविद प्रोफेसर एसपी सती बताते हैं कि यूं तो पर्यावरणीय विसंगतियों के लिए स्थानीय स्तर पर भी कई वजह हैं लेकिन मुख्यतः चार कारणों के चलते हिमालय में बेहद ज्यादा बदलाव देखने को मिल रहे हैं...


नदियों पर बड़ी संख्या में बनते बांध पर्यावरण और जैव विविधता के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं... इससे ना केवल नदियों से बहकर आने वाले उपजाऊ खनिज का नुकासन हो रहा है बल्कि कई जीव भी विलुप्ति की कगार पर हैं यही नही पानी को न सड़ने देने वाला खास तत्व भी खत्म हो रहा है...


बाइट प्रोफेसर एसपी सदी पर्यावरणविद


हिमालई क्षेत्रों में विकास के लिए बनाई जाने वाली सड़कें भी हिमालय पर्यावरण को बदल रही है साथ ही इससे मानव जाति के लिए भी खतरा पैदा हो रहा है... प्रोफेसर एसपी सती बताते हैं कि उत्तराखंड में पिछले 20 सालों में करीब 30 से 40 हज़ार किलोमीटर सड़कें बनी है जिन्हें बेहद पुराने तरीके से निर्मित किया जा रहा है.. सती बताते हैं कि 1 किलोमीटर सड़क पर 30 से 60000 घंटे मलवा निकलता है इस लिहाज से करीब 40000 किलोमीटर पर 160 करोड घन मीटर मलबा निकल चुका है जो कि नदियों में पहुंचने से बाढ़ जैसे हालातों को पैदा करता है और शायद यही कारण है कि हाल ही में थोड़े समय की तेज बारिश के कारण भी अचानक बाढ़ जैसी स्थितियां पैदा हो रही है।।।


बाइट प्रोफेसर एसपी सती पर्यावरणविद


हिमालय क्षेत्र में बदलाव का एक कारण वनों को लेकर बनाए गए तमाम नियम भी हैं इसमें वन संरक्षण को लेकर तो काम किया जाता है लेकिन वन प्रबंधन पर सरकारें कोई काम नहीं करती इसी का नतीजा है कि हर साल जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ रही हैं और इसमें बेहद खास तरह की जड़ी बूटियां नष्ट हो रही हैं।।। वन प्रबंधन ना होने से चीड़ के जंगल फैलते जा रहे हैं और जड़ी-बूटियों के संरक्षण ना होने से इनकी मात्रा में कमी आ रही है।।।


हिमालय क्षेत्र में कृषि भी लगातार तेजी से घट रही है... हिमालय क्षेत्र में आने वाले एक बदलाव में यह भी एक बड़ा बदलाव है और हिमालय क्षेत्र के उपजाऊ खेत बंजर हो रहे हैं इसका सबसे बड़ा कारण इस क्षेत्र में खेती को नुकसान पहुंचाने वाले जानवरों को लेकर सरकारों का कोई ध्यान ना होना है जिससे लोग पलायन कर रहे हैं और खेती छूटने से जमीनें बंजर हो रही है।।। इसमें खासतौर पर बंदर लंगूर और सूअर से खेती को हो रहे नुकसान सबसे ज्यादा है।।।।


बाइट प्रोफेसर एसपी सती पर्यावरणविद




Conclusion:प्रोफेसर एसपी सती ने इन 4 कारणों को हिमालय क्षेत्र में बदलाव के लिए बड़ा कारक बताया है और स्थानीय स्तर पर इन पर कोई काम ना होने से लगातार हिमालय क्षेत्र में विभिन्न स्तर पर अलग-अलग बदलाव आ रहे हैं।।। हर साल उत्तराखंड हिमालय दिवस मनाता है लेकिन इस हिमालय दिवस पर जरूरत है एक संकल्प लेने की ताकि स्थानीय कारणों जिससे पर्यावरण में विसंगतियां आ रही है उनको खत्म करने की तरफ प्रयास किए जाएं....
Last Updated : Sep 9, 2019, 9:06 AM IST
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